Home मनोरंजन केवल मनोरंजन ही नहीं, नुक्कड़ नाटक भी देते हैं गंभीर संदेश – मनोरंजक ही नहीं, गंभीर संदेश भी मिलेंगे

केवल मनोरंजन ही नहीं, नुक्कड़ नाटक भी देते हैं गंभीर संदेश – मनोरंजक ही नहीं, गंभीर संदेश भी मिलेंगे

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केवल मनोरंजन ही नहीं, नुक्कड़ नाटक भी देते हैं गंभीर संदेश – मनोरंजक ही नहीं, गंभीर संदेश भी मिलेंगे

खबर

समुच्चय का संदेश पूरी तरह से, पूरी तरह से ठीक है। पर्यावरण के हिसाब से काम कर रहे हैं। मजलूमों, आवाज की आवाज भी बजने के साथ साथ खराब भी होती है। रंगमंच, सिनेमा के दौर में भले ही अब इसका दायरा कुछ सिमट सा गया है लेकिन कला साहित्य और संस्कृति की भूमि काशी में नुक्कड़ नाटक पूरी जिंदादिली से मुस्कुरा रहा है। गलघ्ल, बाड़े, दौलत पर नुक्कड़ नाटकों का जादू अब भी टिका है। संस्थाएं भी विश्वसनीय और विश्वसनीय हैं।
रंगभूमि
नुक्कड़ कार्यालय संस्थान की बातचीत के क्रम में ही अलग-अलग प्रकार के कंप्यूटरों को संशोधित किया जाता है। अपने आस-पास के समाज के अलग-अलग वर्ग को सतर्क रहने वाले लोगों के लिए। संस्थान के कला चिलचिलाती धूप में तेज शोर के साथ हॉल के खामोशी में अपने को ढलते हैं। इस समूह में अनुराग मौर्या, शशि यदुवंशी, दीपक सिंह व भानुप्रिया त्विस कलाकार, जो नुक्कड़ नाटक की इस थाती को आज भी है।
नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम कला मंच
इंस्टिट्यूशन सैफदर हाशमी को मानकर आज से 29 देश भर में देश भर में गीत से मेडास्कर में नुक्कड़ नाट्य प्रदर्शन करने का कार्य भी अच्छा है। फोरम के शीर्षक के लिए काशी से नुक्कड़ नाटक कला परवान पर चलने वाली। पर्यावरण से प्रशिक्षण पाकर.
सफदर हाशमी की याद में मौसम खराब होगा
जाने मन में म्यूज़िक कला सफ़दर हाशमी की दिनचर्या में राष्ट्रीय नुक्कड़ नाट्य दिवस है। 12 अप्रैल को जन्मदिवस को इस दिन का नाम दिया गया है। भारत में आधुनिक नुक्कड़ नाटक को बनाने का श्रेय सफदर हाशमी को ही है।

समुच्चय का संदेश पूरी तरह से, पूरी तरह से ठीक है। पर्यावरण के हिसाब से काम कर रहे हैं। मजलूमों, आवाज की आवाज भी बजने के साथ साथ खराब भी होती है। रंगमंच, सिनेमा के दौर में भले ही अब इसका दायरा कुछ सिमट सा गया है लेकिन कला साहित्य और संस्कृति की भूमि काशी में नुक्कड़ नाटक पूरी जिंदादिली से मुस्कुरा रहा है। गलघ्ल, बाड़े, दौलत पर नुक्कड़ नाटकों का जादू अब भी टिका है। संस्थाएं भी विश्वसनीय और विश्वसनीय हैं।

रंगभूमि

नुक्कड़ कार्यालय संस्थान की बातचीत के क्रम में ही अलग-अलग प्रकार के कंप्यूटरों को संशोधित किया जाता है। अपने आस-पास के समाज के अलग-अलग वर्ग को सतर्क रहने वाले लोगों के लिए। संस्थान के कला चिलचिलाती धूप में तेज शोर के साथ हॉल के खामोशी में अपने को ढलते हैं। इस समूह में अनुराग मौर्या, शशि यदुवंशी, दीपक सिंह व भानुप्रिया त्विस कलाकार, जो नुक्कड़ नाटक की इस थाती को आज भी है।

नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम कला मंच

इंस्टिट्यूशन सैफदर हाशमी को मानकर आज से 29 देश भर में देश भर में गीत से मेडास्कर में नुक्कड़ नाट्य प्रदर्शन करने का कार्य भी अच्छा है। फोरम के शीर्षक के लिए काशी से नुक्कड़ नाटक कला परवान पर चलने वाली। पर्यावरण से प्रशिक्षण पाकर.

सफदर हाशमी की याद में मौसम खराब होगा

जाने मन में म्यूज़िक कला सफ़दर हाशमी की दिनचर्या में राष्ट्रीय नुक्कड़ नाट्य दिवस है। 12 अप्रैल को जन्मदिवस को इस दिन का नाम दिया गया है। भारत में आधुनिक नुक्कड़ नाटक को बनाने का श्रेय सफदर हाशमी को ही है।

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