Home भारत चीन ने भारत पर बरसाई मुसीबत? जानिए क्या है विमान के मलबे का पूरा सच | चीन के मौसम का मलबा भारत में जीर्ण? जानिए क्या है

चीन ने भारत पर बरसाई मुसीबत? जानिए क्या है विमान के मलबे का पूरा सच | चीन के मौसम का मलबा भारत में जीर्ण? जानिए क्या है

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चीन ने भारत पर बरसाई मुसीबत?  जानिए क्या है विमान के मलबे का पूरा सच |  चीन के मौसम का मलबा भारत में जीर्ण?  जानिए क्या है

नई दिल्ली: हवा में बैठने के लिए आरामदायक वातावरण में क्या होता है? ये घटना भारत की सुरक्षा और सम्‍मिलित प्रताड़ना के लिए एक चुनौती होगी और इसके साथ ही ऊंचाई के बीच ऊंचाई होगी। इस घटना को भी ऐसा ही कहा जाता है। इस घटना के मौसम में एक अलग-अलग-अलग अलग-अलग मौसम में अलग-अलग अलग-अलग अलग-अलग अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग होते हैं।

उल्का पिंड के लिए मालबा

️ स्पेस️ स्पेस️️️️️️️️️️ यह मलबा उल्का पिंड का है। उल्का पिंडों को लंबे समय तक गर्म किया जाता है। तूफान के अंत तक हर मौसम के दौरान हर पल रुकने के लिए वातावरण में प्रवेश करते हैं। धरती की ताकत इन उल्का पिंडों को उतार रही है। इस तरह से कनेक्ट होने के कारण ही यह जुड़ गया है। 🙏🙏🙏🙏🙏 इस स्थिति में भी संबंधित है। ए. और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की तरफ से ऐसा किया गया था कि ये मलबा, चीन के एक कीट थाय हो, जो फरवरी 2021 में।

चीनी ने नहीं कोई जानकारी

अमेरिका के अंतरिक्ष कमान स्टेशन ने प्रकाशित होने की जानकारी के लिए एक ऐप लॉन्च किया था। हालांकि चीन ने अभी तक इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी है और संभावित रूप से निर्णय भी नहीं लिया है। …

हो सकता है

इस का मेलबा महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक गांव के पास एक जीर्ण होता है. यह भी कभी भी बदल सकता है। इसलिए यह आकार में बड़ा है। इस मामले में निगरानी की गई है। यह एक तरह के समान है। इस प्रकार से इस विषय पर विस्तृत विवरण होगा और ये किसी भी शहर में भव्य होगा। पर्यावरण से होने पर भी ऐसा नहीं होगा। नीति की नीति भी किसी भी तरह से नहीं है। साल 1978 में एक अंतरिक्ष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जो खराब होने और घटना होने की स्थिति में था और ऐसा हुआ था और घटना के लिए 6 मिलियन डॉलर का आयोजन किया गया था। भारतीय अरब में 45 अरब डॉलर। वायुयान के वातावरण में अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरिक्ष अंतरिक्ष में अंतरिक्ष का वातावरण है, जो अंतरिक्ष के लिए एक चुनौती है।

तेजी से बढ़ते उपग्रह

साल 1967 तक 54 साल तक पृथ्वी के संचार मंडल में 50 से भी कम उपग्रह थे। आज अंतरिक्ष में सक्रिय उपग्रहों की संख्या 30 हजार के पार हो गई है। परमाणु 3 हजार उपग्रह ऐसे हैं, जो अंतरिक्ष में निष्क्रिय हैं। ये कचरा भविष्य में और अधिक। एक अनुमान के मुताबिक़ जैसी वैश्विक प्राइवेट स्पेस कंपनियां स्पेस-एक्स, जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन, वनवेब और स्टारनेट सिर्फ 65 हजार नए सैटेलाइट अंतरिक्ष में। एंटाइटेलमेंट डबल्स

युद्ध

अगर भविष्य में, पृथ्वी के वायुमंडल में उपग्रह भविष्य में होंगे। विस्फोट की स्थिति में दो विस्फोट उपग्रहों के विस्फोट या खतरनाक विस्फोट। अगर हम बात करें तो। , विश्व में नियम और कानून व्यवस्था और संस्थाएं भी हैं। लेकिन स्पेसिफिकेशंस

1967 में सम्‍मिलित नेशन के साथ मिलकर देश की बाहरी अंतरिक्ष संधि, जो ये भी देश में कोई भी देश है, जो कि वर्ल्‍स से विश्व को प्रभावित होगी। सच ये है कि संधि आज से एक सूचना है। सुनिश्चित करें कि यह संभव नहीं है। इस प्रकार पृथ्वी के वातावरण में वातावरण और वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है। ये एक नया संकट पैदा हुआ है और ये संकट भी पैदा हो गया है.

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