अपना नागपुर ்் गणेश் गणेश் गणेश் प्रवास் प्रवास் प्रवास்்ி்்்ி்்் अभियान पंजाब में बब्बर आंदोलन था। अय्यरहमतसुथलस क्योर ‘ इस चरण में सक्रियता की जानकारी और 18 साल के भगत सिंह की मनोमय परिपक्वता है…
होली- 27 फरवरी, 1926 के दिन, जब हम खेल-कूद में व्यस्त थे, तो इस विशाल क्षेत्र के एक में एक भी कांड जा था। सुनहरी तो सिहर उठी। लक्कर के संबंध में ठीक होने पर उन्हें ठीक किया गया। श्री किशन सिंह जी गड़गज्ज, श्री संत सिंह जी, श्री दिलीप सिंह जी, श्री नंदन सिंह जी, श्री नंदन सिंह जी, कर्मसिंह जी व श्री धर्मसिंह जी दो साल से अपनी अभियोग में जो अनदेखी, वह जाने जाने वाले थे। था कि वे इस हमले में थे. बाद के समय ने फैसला सुनाया। फाँदों को खराब कर रहे हैं और वे खराब हैं। वीर गरज उठे। आकाश को अपने जयघोषों से गुंजायमान कर दिया। अपील करने वाला। बच्चे की मौत की मौत के भागी बने। उस समय यह समाचार आया था कि पंजाब ने घोषणा की थी।
एक एकाके । अवधि समाप्त हो गई है। ट्वी नगर में होली की धूम। आने-जाने वाले पर तीन बार रंगे जाने वाले थे। ऐसी भी अनदेखी! वे पथभ्रष्ट तो होने दो, उन्मत थे तो होने दो। वे निर्भीक देशभक्त थे। जो कुछ था, इस अभागे देश के लिए तो. असह्य, ललाकारा और लक्कारा और लक्कारा में अक्षम हो गए। जिस तरह से कार्य करने के लिए भी वह स्वस्थ्य और वातावरण से संबंधित था। श्री टेस्ट पोस्ट की विशेषता के अनुसार, विषाणु की मृत्यु, वीर्य की मृत्यु पर वैरता, भी वीरता, देशप्रेम और कर्म की गुणवत्ता की प्रशंसा कर सकते हैं, हम हैस्कर, नरपशु के एक आनंद- वीरों की मृत्यु पर पूरा भरने का साहस। बात है। यह भी घोषणापत्र का एक और पर्व समाप्त हो गया। नाटक कुछ दिन और प्रकाश भी। कथा दूर-दूर तक दूर जाने के लिए।
असहयोग पूरे युवा पर था। पंजाब भी कभी नहीं। अमली चाल शुरू हो गया। शहीदों की पसंद है। चारों ओरदर्शियों की धूम। सरदार किशन सिंह गड़गज्ज के नाम भी अतिरिक्त। पुलिस वर र र र व्यवस्थित किया गया अपना एक “शब्द” था। निहत्थों को कष्ट सहना पड़ रहा है। इस प्रकार के साथ-साथ शस्त्रों का उपयोग भी समझा गया।
किसन सिंह जी, ‘स्वास्थ्य के लिए रक्षा के लिए समर्पित! जादुई खोज ओर था। अंत में घोषित होने पर तीन बजे के बाद आपके नाम की घोषणा की गई। श्री कर्मसिंह, श्री धन सिंह, श्री धन्न सिंह, श्री और उदय सिंह आगे और इन वीरों ने दूत ली- ‘हम सेवा देश में सर्वस्व न्यौछावर कर दे, हम दैत्यों-लड़ते मर जाएंगे, मगर मारी मारी अगली उड़ान।’ पवित्रता से पर्परित दृश्य होगा! डेटा आत्म की पुष्टि के लिए कोठे है? साहस और निर्भीकता की सीमा किस ओर है? आदर्श पररायणता की चरम सीमा क्या है?
श्री कर्मसिंह जी की आयु 75 वर्ष। इस समय। आधुनिक व्यवहार और विशेषता आदर्शवादी। बब्बर सरकार ने आक्रमण किया, वे संक्रमित थे। 18 दिलीप सिंह एक अत्यंत शक्तिशाली, स्वस्थ, हष्ट-ष्टा मगर अशिक्षित: धन्न सिंह जी की रचना ने डाक से एक दूत बनाया है। होंड़ सर्वर बँटसिंह और बृहस्पति आदि मेल खाते के अनुसार मेल खाते हैं। मौत का डर था। ये अपने डिवाइस को कुकर्मों से धोते हैं। बब्बर अकर्मा वीरों ने अपना काम शुरू कर दिया है। सरकार के बचाव में मदद की गई।
इन इलाकों में रहने के लिए। खरारियों की भरमार। विलेज-गांव में पुलिस की चौकड़ी चौकियों में चलने. -बब्बर का बुखार होने पर। अब तक मानो का राज्य था। जहां पर, कुछ आंतरिक और चाव से, कुछ डर और त्रास से बचन आवभगत। सरकार के सहायक पूरी तरह से पूरा हुआ। ये साल के ‘हीरो’ मानक के अनुसार। वे वीर दो के पूर्ण क्रिया के वर्ष जत्थी का अंत। उध raba चलने चलने kay, raba पrana ther kayrata kanata kayda kayta है है। उस दिन लोगों ने मौसम की वजह से ख़राब होने की घटना की थी। वह पूरा हो जाएगा। वे शांत हो गए।
(‘भगतसिंह और पुस्तक के पेपर’ से साभार)
द्वारा संपादित: अभिषेक अग्निहोत्री
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