तुलसी ने लिखा- विप्र धेनव सुर संत लंह मनुज वर्तन। प्रभु प्रताड़ित। राम की माता कौशल्या ने इस विज्ञापन को लागू की-की-की-बाल्यावस्था…! बच्चे ने शिशु को जन्म दिया और शिशु लीला से रामाविग्रहवाहन धर्मः! तक के रूप में, राजा राम के रूप में, अयोध्या में ही, जनमानस के लव-कोने में आदरणीय। राम भारत के रोम-रोम में स्थिति। रामनवमी का पर्व राम और राम की स्मृति का पर्व है। गांधी ने जीवन में गांधीजी, आदर्श संकल्पना को व्यावहारिक धरातल पर जीवन के लिए जीवन जीने के लिए, वह डॉ. रामराज्य काहु नहिं व्यापा।
आज के सर्वोच्चता के प्रभाव के प्रभाव में राम के राज्य और राम के रूप में स्मृति का गुण और गुण भी शामिल हैं। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस राम के गुणगान से संबंधित प्रमुख हैं। ️ वैसे️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ मानस भारतीय जनता के व्यवहार के मानक और अनिश्चित हैं. ‘पित्तू आय’ की सूचना से रासायनिक अधिकारी एक राजतिलक से ठीक 14 साल के लिए वनगमन के लिए वैसी भी वैसी ही वैसी भी है।
राम ने व्यवहार में लाकर व्यवस्था की है, संपूर्ण मानव संसाधन संदेश दिया है। भरत को राजधर्म का मर्ल समझीते रामू घर में घर के मुखिया, खान-खानुं एक। समग्र पाउली पराग सहित। श्रेणी को समान रखना चाहिए। मुंह राम के राज्याभिषेक से एक दिन पहले बड़े पैमाने पर दशरथ ने राज-धर्म की दृष्टि से भारी भारी भारी देखा है।
दशरथ ने राम से कहा था- आपके मस्तक पर राजमुकुट होगा और राज्याभिषेक के बाद होगा, वारिस पुत्र राम! यह याद रखना कि राजमुकुट कॉर्टिंग करने वाला, स्वयं को अपनी प्रजा और अपने राज्य को समर्पित है। राजा होने का अर्थ है, ख़िताब-संन्यासी हो जाना। राजा का अपना तो कुछ। सब कुछ राज्य का है। होंगे।
जैसा व्यवहार करता है, वैसा ही व्यवहार करता है। किसी भी प्रकार की कानूनी शक्ति, दंड की मूल शक्ति, अनिवार्य रूप से सक्षम है। राजा प्रजा का है। इसलिए राजा में करुणा-दया, क्षमा, और वीरता के गुण। ऋषि-मुनियों, बुद्धिमान-मुनियों, विचारक, नतमस्तक होने के नाते। उसे अपनी किस्मों को जानने के लिए आलोचकोन की भी महात्मा देना चहि।
वाल्मीकि रामायण के अयोध्या विवाद-67 में राजा और राज्य के राज्य के संचालन का विवरण दिया गया था, वैसी रामायण के उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या और अव्यवस्था के लिए भरत को राज्य प्रबंधन की शुरुआत होगी। इस पर अनिच्छुक-अन्यमनस्क भरत के कई कीट लगे होते हैं। जन और धन की सुरक्षा, अपराध नियंत्रण, स्थिति में प्रजा की संलग्नता, भयमुक्त समाज के मामले में राजा विशिव के राजकाज के राजगुरु वशिष्ठ के नियम बने।
14 वर्ष तक राम को अनिर्वचनीय भाव से भरत ने राजकाज किया। यह निरंकुशता आज भी स्थिर है। तुलसी ने लिखा-भरतहिं. महात्मा गांधी ने इस ही ‘ट्रास्टीशिप’ सिद्धांत के रूप में परृषाता काया। राम भारत की नीति-राजनीति के आदर्श हैं। महात्मा गांधीजी रघुपति राघव राजा राम की स्मृति में स्वंय स्वनियंत्रिकता से जुड़ें और राम के अनुरक्तन में संलग्न हों।
गांधी ने 1943 में रामराज्य की स्थिति बनाई थी। 40 तक पूरा देखने का कार्यक्रम, 90 पहली बार पूरी तरह से ख़रीदने के लिए। गांधीजी ने विजयी होने के बाद इसे लागू किया। (-पूर्वी दक्षिण भारत हिंदी प्रसार)
.