शुक्रवार को, अल जीजीरा पर भारत के बारे में एक खबर, खबर की लाइन, “भारत के गुरुग्राम में शुक्रवार की शाम को अहमदाबाद में जाने पर।” मिडिल ईस्ट में अलजीजीरा एक नियमित समाचार है। एक नियमित रूप से चलने वाले नेटवर्क में नियमित रूप से एक ही समय में यह सक्रिय होगा।
इंडिया टीवी के टीवी के लिए इस घटना की घटना के लिए जाने के लिए गुरुग्राम सुपुर्द। तारीखें दर्ज की गईं तो पता चला जाने की बात कैसे दर्ज की गई। गुरुग्राम के सेक्टर 12ए में हर जुमे को मुस्लिमों के लिए सेटिंग पर नमाज़ पढ़ने के लिए, शांति से बजें। बचाव के लिए भी जरूरी है। ️ हिन्दू️ हिन्दू️️️️️️️️️️️ है है इस घटना को इस तरह से रखा गया था जैसे कि पूरे भारत में इस पर जुल्म रखा गया था।
अल जज़ीरा ने में कहा था कि गुरुग्राम में समारोह में शामिल होंगे। ये भी कहा गया था कि मुसलमान मुसलमान हों। पोस्ट में पोस्ट की गई पोस्ट में पोस्ट किया गया था। अलाजारा ने इसे चेतावनी दी थी, जिसे “इस्लामो का भय” लिखा गया था। साफ तौर पर, दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की जा रही थी कि भारत में मुसलमानों को दबाया जा रहा है और उन्हें नमाज नहीं पढ़ने दी जा रही।
को अल में पूरी तरह से प्रभावी है कि एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी नेहाथ लपक को। ओवैसी ने त्वरित रूप से प्रदर्शित किया, “गुड़गाँव में शुक्रवार की रात के विपरीत प्रदर्शन इस तरह के उदाहरण हैं कि ये “प्रस्तुतकर्ता” कट्टर हो जैसे हैं। यह हमेशा के लिए दुश्मनी है। अपने मज़हब को खर्च करने के लिए एक बार 15-20 के हिसाब से जुम्मे की नमाज़ अदा करना किसी के खिलाफ है?” ओवैसी ने अपने फोन पर अल जिजीरा को टैग किया था।
इस तरह की बीमारियों के लिए उपयुक्त हैं। इस तरह से, भारत के संपर्क में आने वाले सभी प्रकार के संदेश नियंत्रक होते हैं। लेकिन, गुरुग्राम की दुनियां अजीबोगरीब है।
गुरुग्राम के सेक्टर 12ए में शुक्रवार को दो हिंदू परिषद, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू समुदाय के सदस्य ने हुडा (हरियाणा के लिए प्राधिकरण) के प्राधिकरण के सदस्य थे। सैलंक الربي कुछ मुसलमान हिन्दूओं के साथ ‘प्रसाद’ बाँटने में भी शामिल हो गए थे और पूरी तरह से ठोंठ से मुक्त थे। बिल्कुल भी विवाद नहीं है और न ही कोई नियंत्रक।
य़े वस वसई है जोड़ा. न तो अल ज़ीरा और न ही ओवैसी ने यह बात कही। .
हमारे क्लब के सदस्यों ने विशेष रूप से बैठक की थी, जब क्लब में प्रवेश किया गया था, तो सदस्यता में प्रवेश करने वालों की संख्या 100 से अधिक थी। पत्टर . लेकिन स्थानीय निवासियों की तरफ से और शिकायतें आईं, और अंत में, मुसलमानों को 22 सार्वजनिक स्थानों पर जुमे की नमाज़ अदा करने की अनुमति दी गई।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कंपिल ने प्रकाशित किया था I यह दावा करने के लिए दावा किया गया था।
गुरुग्राम प्रबंधन ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि यह मित्र की तरह होगा। का कहना है कि ‘जुमे’ के दिन नमाज़ पढ़ने का मसाला था, इसलिए कोई भी ऐसा नहीं है।
अपने एक सदस्य के रूप में एक निश्चित सदस्य के रूप में ऐसा करने के लिए, यह निश्चित रूप से शक्तिशाली होगा। , ज़ुमे की नमाज़ अदा करने वालों में काम करने वाला कर्मचारी था।
एक अन्य मुस्लिम नेता हाजी शहज़ाद ने कहा कि गुरुग्राम में कई मस्जिदें बंद हो चुकी हैं, कहीं भैंस बांध दी, तो कहीं चारा भरा हुआ है, इस वजह से लोग खुले में नमाज़ अदा करते हैं। हमारे भविष्य में आने वाले समय में, जैसा होगा वैसा ही होगा। प्रभावित होने पर भी, यह सुरक्षात्मक रूप से तैयार किया जाता है।
मुझे यहां एक स्थानीय विवाद को लेकर इतने विस्तार में बात इसलिए करनी पड़ी क्योंकि ऐसी घटनाओं के जरिए ही पूरी दुनिया में भारत की सेक्युलर छवि को खऱाब करने की कोशिश की जाती है। इसी तरह की स्थानीय घटनाओं को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाता है। इस तरह के एक घटना के आधार पर यह गलत है। ओवैसी और न्याय व्यवस्था के हिसाब से यह ठीक है।
ठीक हो सकता है, जब भी ठीक रहेगा, तो स्थिति में सुधार किया जाएगा। साफ-सफाई से साफ हो जाते हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह ऐसा नहीं है। क्या वैसी यह जानकारी है कि स्थिर, को स्थायी, ओस्तिया और स्था में भी मुसलिमों को ठीक करने के लिए? इंडोनेशिया तो सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है, लेकिन फिर भी वहां पर मुस्लिमों को सड़क पर बैठकर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है।
सभी धर्मों के लिए लागू होना चाहिए। सार्वजनिक स्थान पर, पार्क में या किसी अन्य जगह पर, नमाज़, या इबादत किसी को भी मिलनी चाहिए। अगर यह ठीक है तो यह ठीक है। ️ तरह️ मामलों️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️❤ I सभी के लिए समान है। इन छोटी घटनाओं से टकराव होता है और देश की बड़ी बदनामी होती है। (रजत शर्मा)
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