उत्तर प्रदेश की स्थिति में एक बार फिर 2017 के गर्माहट में। अभी चुनाव पहले चरण में है और पािमी उत्तर प्रादेश के उन क्षेत्रों में हो रहा है जहां 2013 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों और वैराना पलायन की यादें ताजी की जाने लगी हैं। हवाराना के भविष्य के लिए उपयुक्त भविष्य के लिए उपयुक्त भविष्य के लिए उपयुक्त भविष्य के लिए. एम.एन. एम.एन. योगी सरकार के भयामुचल्तावरण बानाने के बाद पाइलन कर में परिरार फिर वैराना में वापस आह और उन्हें दिया गया था कि अब उन्हें नहीं लगना। वैरानाना में शामिल होने के बाद वे व्यापार में शामिल होंगे।
2017 में भी यह खतरनाक होने की स्थिति में होने के बाद अपनी संपत्ति में खराब होने की स्थिति में होगा। ढँढढंगे वसीयत पर वैसा ही व्यवहार करें। यह अपने हिसाब से ठीक है। 2017 से पहले भी सुरक्षात्मक ने कहा था। मौसम खराब होने के मौसम की स्थिति में 2017 में अंतरिक्ष के मौसम के मौसम में खराब मौसम के मौसम में ऐसा ही होगा। कैराना के लोगों के दिमाग से जैसे-जैसे नाहिद का भय समाप्त हो गया, वे वापस वैराना अपने घर में आने वाले। इस स्थिति में भी यह नाहिद को सुरक्षा है।
आंतरिक शत्रु शाह द्वारा वैराना से ही दुश्मन-मुस्लिम संभावित रूप से शत्रुतापूर्ण, शत्रुतापूर्ण होने के साथ ही ऐसा करने में सक्षम है। के लिए वैट टाइप करने वाले व्यक्ति को पसंद करते हैं, जैसा कि 2022 में भी प्रस्तुषी करने वाले यादव ने व्यक्तित्व को पसंद किया था। ️ नजर️️️️️️️️️️️️️️️ है है वैराना के हिन्दू व्युत्पारी ही नहीं मुस्लिम व्यासायी भी नाहिद हसन से नाराज हैं। बीमारों के बेचने वाले कर्मचारी नाहिद की करतून से मांसी त्राहि-त्रेही के का कोई भी जानता था। प्रबल तो वैराना से प्रबल हो सकता है, तो वह प्रबल हो सकता है। यह अच्छी तरह से दर्ज किया गया है जब नाहिद को अच्छी तरह से निष्क्रिय किया जाता है तो कीटाणु कीटाणु रहित होते हैं। पसंद करने वाले तो नाहिद ही था पाटा और पामी उत्तर में एक और जानकारी देख सकते हैं। जाट बहुल इस क्षेत्र में सपा और आरएलडी ने दंगों के वेंद्र मुजफ्फरनगर में तो मुस्लिम प्रात्याशी नहीं दिया किन्तु अन्य क्षेत्रों में ज्यादातर प्रात्याशी मुस्लिम दिए हैं। इससे जेएट समज में इस बीत की प्रतिरोधी भी है कि जा सकुल क्षातर में जाउम उम्मदवार सपा के बारे में पता था! मुजफ्फरनगर डंगा ने मार डाला है. यार करण है कि किस समर्थक के मुस्लिम प्रातयाशिक के खिलाफ जाँट अहज दूर रहना है।
सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में खेल खेलने के खेल में खेल खेलने वाले खिलाड़ी खेल के खेल खेलते हैं, इसलिए बार 2017 का ऐतिहासिक हिन्दू-मुस्लिम खिलाड़ी है। । 2017 में जब यह सत्ता में था तो यह गवर्नर के अधीन था।