Home मनोरंजन विश्व रेडियो दिवस : अमृतसर हॉल मार्केट में केवल एक रेडियो की दुकान बची – विश्व रेडियो दिवस पर विशेष: मोबाइल ने हर का मनोरंजन किया… और बज गया रेडियो का बाजा

विश्व रेडियो दिवस : अमृतसर हॉल मार्केट में केवल एक रेडियो की दुकान बची – विश्व रेडियो दिवस पर विशेष: मोबाइल ने हर का मनोरंजन किया… और बज गया रेडियो का बाजा

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विश्व रेडियो दिवस : अमृतसर हॉल मार्केट में केवल एक रेडियो की दुकान बची – विश्व रेडियो दिवस पर विशेष: मोबाइल ने हर का मनोरंजन किया… और बज गया रेडियो का बाजा

सर

मजीठमंडी के पुन: सक्षम होने के बाद, वे वयस्क होते हैं, जो अपने युवा वयस्क वयस्क होते हैं। रेडियो के क्षेत्र में कॅरिअर में ये होता है. रेडियो में स्थिर —

खबर

जैसे रेडियो लोगों के मनोरंजन का सिस्टम चालू था। गलत प्रकाशित होने पर समाचार, समाचार, समाचार प्रकाशित होने के बाद, अलग-अलग समाचारों पर प्रकाशित होने वाले समाचार प्रकाशित होने वाले समाचार प्रकाशित होने के साथ ही अलग हो जाएंगे। मगर आध्युणिकता के दुर्तर में मनोरंजन साधन का कहने वारे रेडियो का बाजा झका है। एंटाइटेलस रेडियो रेडियो अब अपनी अंतिम भूमिका में सक्रिय है। स्वास्थ्य के वातावरण में खराब खराब स्वास्थ्य वाले खराब मौसम में, जैसा अगस्त में बजे उन्होंने शुरुआत की थी भारत रेडियो स्वास्थ्य देखभाल में। यह बात भी पूरी हो गई है।

हाल ही में बाजार भारत रेडियो के मालिक ललित कुमार ने पिता लोकनाथ और ताया राम ने 1948 में रेडियो की दुकान शुरू की। लोगों को रेडियो स्टेशन था। भोजन और सामग्री के साथ-साथ अन्य चीजें भी तैयार की जाती हैं। लेकिन अब टीवी, मोबाइल इंटरनेट, खतरनाक, प्रसारण ने रेडियो ने प्रसारण किया है।

मोबाइल के ठीक ऊपर होने वाली विकिरण था रेडियो : सूरज

रेडियो सूरज कुमार ने 40 साल तक रेडियो ठीक किया है। मौसम में अपडेट होने के बाद भी वे अपडेट किए गए थे। हर घर रेडियो था, हर 25 सेल पहली मोबाइल सेवा शुरू। आज के युग के मोबाइल पर α मोबाइल के सीधे रेडियो के खात्मे का शिलशिला शुरू हो गया था। आज के समय में ये लोग रेडियो पर खोज कर रहे हैं। यह है कि मोबाइल, टीवी और बात पर रेडियो के विभिन्न सुविधाएं।

कामकाज का जरिया भी था : अरोड़ा

मजीठमंडी के पुन: सक्षम होने के बाद, वे वयस्क होते हैं, जो अपने युवा वयस्क वयस्क होते हैं। रेडियो के क्षेत्र में कॅरिअर में ये होता है. रेडियो में स्थिर — पेशा पेशा. ऐसे में ये वे थे जो एक में थे. अब ये सब बातें पूरी हों।

चौपाल पर काम करने वाला भोजन कार्यक्रम : शिव सिंह

ंत गांव धनोए कलां के 82 लिंग सिंह ने कभी-कभी मनोरंजक रेडियो उपकरण लगाया। गांव से शहर तक रेडियो पर पसंद, चित्रपट संगीत, भिन्न भारत से प्रसारित होने वाले प्रसिद्ध कार्यक्रमों में वे लोग रहते हैं। किराये के कमरे में रहने के लिए विशेष सुविधाएँ इस प्रकार के कार्यक्रम के समय गांव के चौपाल पर जानकारी प्राप्त करेंगे। इस समय और आधुनिकता के अभिनय के हालात भी बदल गए हैं।

कटि

जैसे रेडियो लोगों के मनोरंजन का सिस्टम चालू था। गलत प्रकाशित होने पर समाचार, समाचार, समाचार प्रकाशित होने के बाद, अलग-अलग समाचारों पर प्रकाशित होने वाले समाचार प्रकाशित होने वाले समाचार प्रकाशित होने के साथ ही अलग हो जाएंगे। मगर आध्युणिकता के दुर्तर में मनोरंजन साधन का कहने वारे रेडियो का बाजा झका है। एंटाइटेलस रेडियो रेडियो अब अपनी अंतिम भूमिका में सक्रिय है। स्वास्थ्य के वातावरण में खराब खराब स्वास्थ्य वाले खराब मौसम में, जैसा अगस्त में बजे उन्होंने शुरुआत की थी भारत रेडियो स्वास्थ्य देखभाल में। यह बात भी पूरी हो गई है।

हाल ही में बाजार भारत रेडियो के मालिक ललित कुमार ने पिता लोकनाथ और ताया राम ने 1948 में रेडियो की दुकान शुरू की। लोगों को रेडियो स्टेशन था। भोजन और सामग्री के साथ-साथ अन्य चीजें भी तैयार की जाती हैं। लेकिन अब टीवी, मोबाइल इंटरनेट, खतरनाक, प्रसारण ने रेडियो ने प्रसारण किया है।

मोबाइल के ठीक ऊपर होने वाली विकिरण था रेडियो : सूरज

रेडियो सूरज कुमार ने 40 साल तक रेडियो ठीक किया है। मौसम में अपडेट होने के बाद भी वे अपडेट किए गए थे। हर घर रेडियो था, हर 25 सेल पहली मोबाइल सेवा शुरू। आज के युग के मोबाइल पर α मोबाइल के सीधे रेडियो के खात्मे का शिलशिला शुरू हो गया था। आज के समय में ये लोग रेडियो पर खोज कर रहे हैं। यह है कि मोबाइल, टीवी और बात पर रेडियो के विभिन्न सुविधाएं।

कामकाज का जरिया भी था : अरोड़ा

मजीठमंडी के पुन: सक्षम होने के बाद, वे वयस्क होते हैं, जो अपने युवा वयस्क वयस्क होते हैं। रेडियो के क्षेत्र में कॅरिअर में ये होता है. रेडियो में स्थिर — पेशा पेशा. ऐसे में ये वे थे जो एक में थे. अब ये सब बातें पूरी हों।

चौपाल पर काम करने वाला भोजन कार्यक्रम : शिव सिंह

ंत गांव धनोए कलां के 82 लिंग सिंह ने कभी-कभी मनोरंजक रेडियो उपकरण लगाया। गांव से शहर तक रेडियो पर पसंद, चित्रपट संगीत, भिन्न भारत से प्रसारित होने वाले प्रसिद्ध कार्यक्रमों में वे लोग रहते हैं। किराये के कमरे में रहने के लिए विशेष सुविधाएँ इस प्रकार के कार्यक्रम के समय गांव के चौपाल पर जानकारी प्राप्त करेंगे। इस समय और आधुनिकता के अभिनय के हालात भी बदल गए हैं।

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