वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 17 Apr 2022 04:53 PM IST
सार
जब तक श्रीलंका का आईएमएफ के साथ समझौता नहीं हो जाता है यानी अगले चार महीनों के लिए इस द्वीपीय देश को आयात के लिए कहीं बड़े वित्तीय समर्थन की जरूरत होगी।
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विस्तार
यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उनके श्रीलंकाई समकक्ष और उच्चायुक्त के साथ कई बैठकें होने के बाद आया है। सूत्रों ने बताया कि श्रीलंका ने भारत से यह भी कहा है कि वह कोलंबो की लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में सहायता के लिए जापान जैसे मित्र देशों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। इसके साथ ही उसने मदद उपलब्ध कराने के लिए भारत से बहुपक्षीय मंचों तक पहुंचने की अपील भी की है।
श्रीलंका के अनुरोध पर भारत का रुख सकारात्मक
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण का रुख इस प्रस्ताव को लेकर सकारात्मक है। उम्मीद है कि भारत सरकार आर्थिक और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका तक मदद पहुंचाने के लिए अन्य मित्र देशों से संपर्क करेगी। इसी बीच, श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी आने वाले सप्ताह में वॉशिंगटन में अपनी भारतीय समकक्ष सीतारमण से मुलाकात कर सकते हैं।
भोजन, ईंधन, दवाइयों, मुद्रा अदला-बदली और एशियन क्लीयरिंग यूनियन में भुगतान के स्थगन के लिए भारत की ओर से श्रीलंका को 2.4 अरब डॉलर की मदद लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में उपलब्ध कराई जा चुकी है। हालांकि, जब तक श्रीलंका का आईएमएफ के साथ समझौता नहीं हो जाता है यानी अगले चार महीनों के लिए इस द्वीपीय देश को आयात के लिए कहीं बड़े वित्तीय समर्थन की जरूरत होगी।
इसके अलावा कर्ज और बहुपक्षीय सहभागिता को लेकर श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सलाहकार समूह की भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंद नागेश्वरन के साथ तकनीकी वार्ताएं भी आयोजित हो रही हैं। आईएमएफ के साथ श्रीलंका की वार्ता सोमवार से शुरू होगी। इसमें चार महीने लगने का अनुमान है, इसीलिए कोलंबो ने इस अवधि के लिए ब्रिजिंग फाइनेंस उपलब्ध कराने की मांग की है।
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