Home व्यापार मासिक दुर्गा अष्टमी 2021 दिसंबर शनि साढ़े साती और ढैया उपाय उपय टोटके – ज्योतिष हिंदी में

मासिक दुर्गा अष्टमी 2021 दिसंबर शनि साढ़े साती और ढैया उपाय उपय टोटके – ज्योतिष हिंदी में

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मासिक दुर्गा अष्टमी 2021 दिसंबर शनि साढ़े साती और ढैया उपाय उपय टोटके – ज्योतिष हिंदी में

हिंदू धर्म में दुर्गाष्टमी का अधिक महत्व है। हर माह में खराब होने वाली अष्टमी पर दुर्गा अष्टमी प्रबंधन है। शक्ति दुर्गाष्टमी पर विधि- विधायिका से मांदरी की पूजा-अभिनय है। इस दिन खुश रहने के लिए भक्त व्रत भी। माता की कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट- दर्द दूर होते हैं। इस मकर राशि, धनु राशि पर शनि की वैसाती और मिथुन, राशि पर शनि की चाल चलने वाली है। ️ शनि️️️️ शनि के प्रभाव से मुक्ति के लिए दुर्गाष्टमी के दिन देवी सूक्तम का पाठ करें। देवी स्कुतम का टेक्स्ट टेक्स्ट में विशेष रूप से प्राप्त होते हैं और सभी प्रकार के दर्द- दर्द दूर होते हैं। आगे देवी सूक्तम…

  • देवी सूक्तम पाठ

नमो देव्यै महादेव्यै शिवै सस्टेनेबलं नमः।

नमः प्रकृत्यै भद्रायैत: प्रणता स्मरताम। 1॥

रंध्ररायै नमो नित्ययै गौर्य धात्र्यै नमो नमः।
योत्यस्त्रायै चन्दुरुप्यैै सुखयै स्थिरं नमः ॥2॥

कल्याण्यै प्रमं प्रवृध्द सिद्धयै कुरमो नमो नमः।
नैऋत्यै भूभृतं लक्ष्म्यै शर्वण्यै ते नमो नमः ॥3॥

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दुर्गायै दुर्गपारयैै रैयै सर्वकारिण्यै।
ख्यात्यै तक्षव कृष्णायै धूम्रायै स्थिरं नमः ॥4॥

अतिसौम्यातिरंद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्त्तयै देव्यै नमो नमः 5॥

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 6॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधियते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 7॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण वैज्ञानिकता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥8॥

यादेवी सर्वभूतेषु न्यासरूपेणन संगठनथियता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 9॥

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या देवी सर्वभूतेषु यौद्विक रूपेण थिथियता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः 10॥

या देवी सर्वभूतेषुच्छाध्यायरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 11॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेणें थियता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः 12॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥13॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षांतिरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥14॥

चाणक्य नीति: मित्र की

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेणेंथियता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 15॥

या देवी सर्वभूतेष लज्जारूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥16॥

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण थिथियता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥17॥

या देवी सर्वभूतेषु श्रीमत्तारूपेणन प्रतिष्ठान।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥18॥

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥19॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 20॥

या देवी सर्वभूतेष वर्तनीरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥21॥

या सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥22॥

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेणं थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥23॥

या देवी सर्वभूतेष तुष्टिरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥24॥

या देवी सर्वभूतेषु ग्रहरूपेणता वैज्ञानिकता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 25॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण थिथिता।
नमस्तस्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥26॥

इंद्रियानामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेष स्थिरं तस्मोयै स्थिति दैवीयै नमः ॥27॥

चित्तरूपेण या कृत्स्त्रमेतद्व्याप्त जगत्।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥28॥

स्तुता सुराः पूर्वमभीष्टसंश्राया -त्तथा सुरेंद्रेनु दिनेषु सेविता॥
करोतु सा नःहेतुरीश्वरी

या साम्प्रतं चोद्धदैत्यतापितै -रस्माभिरिशा च सुर्न्मस्यते।
या च स्मृतात्वक्षमेव हंति नः सर्वपदो धाकविविनम्रमूर्तिभिः ॥30॥

मैं इति तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् संपूर्णम्

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