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    अगले तीन दिनों में 900 विशेष ट्रेनें; रेलवे ने अतिरिक्त एटीवीएम, पीआरएस काउंटर और सभी स्टेशनों पर मोबाइल टिकटिंग सुविधाओं के साथ यात्री सुविधा में वृद्धि की

    रेलवे ने पटना, दानापुर, हाजीपुर, भागलपुर, जमालपुर, सोनपुर, नई दिल्ली, गाजियाबाद और आनंद विहार टर्मिनल सहित प्रमुख स्टेशनों पर भक्तिमय छठ गीत बजाकर त्योहारी यात्रा के अनुभव को और बेहतर बनाया रेलवे ने पर्याप्त संख्या में आरपीएफ तैनात किया है, यात्री सहायता बूथों, कतार प्रबंधन और उद्घोषणा प्रणालियों को सुदृढ़ किया है और यात्रियों की आवश्यकताओं पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए 24x7 वॉर रूम संचालित किए हैं रेलवे ने पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया और सहरसा में 24x7 मेडिकल बूथ स्थापित किए हैं, साथ ही यात्रियों को त्वरित स्वास्थ्य सहायता और सुरक्षा प्रबंधन के लिए अग्निशमन और एम्बुलेंस सेवाएं भी तैयार रखी हैं यात्रियों ने आरामदायक त्यौहारी यात्रा अनुभव के लिए भारतीय रेल की विशेष ट्रेनों और व्यवस्थाओं की सराहना की भारतीय रेल देश भर में 12,000 से अधिक विशेष रेलगाड़ियां चलाकर यात्रियों के लिए सुगम और आरामदायक त्योहारी यात्रा सुनिश्चित कर रहा है। त्योहारों पर आने वाली भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए, नई दिल्ली, आनंद विहार टर्मिनल, उधना, पुणे, मुंबई, बेंगलुरु आदि जैसे प्रमुख स्टेशनों पर सभी यात्री सुविधाओं से सुसज्जित होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। रेलवे कर्मचारी यात्रियों का मार्गदर्शन करने, व्यवस्था बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं ताकि सभी लोग अपने प्रियजनों के साथ त्योहार मनाने के लिए सुरक्षित घर पहुंचें। त्योहारों पर आने वाली भीड़ को कम करने के लिए अगले तीन दिनों में देश भर में 900 से अधिक विशेष रेलगाड़ियां चलाई जा रही हैं। रेलवे अब छठ पूजा के बाद यात्रियों की सुरक्षित और आरामदायक वापसी यात्रा के लिए कमर कस रहा है। त्योहारों के बाद अपने कार्यस्थलों पर लौटने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए 28 अक्टूबर से नवंबर तक 6181 विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी। बिहार के लगभग 30 स्टेशन त्योहारी भीड़ के लिए होल्डिंग एरिया, अतिरिक्त टिकट काउंटर, सीसीटीवी निगरानी और अन्य यात्री-अनुकूल व्यवस्थाओं के साथ तैयार हो रहे हैं। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा सेवाओं में अतिरिक्त कोच भी जोड़े जा रहे हैं। यात्रियों की भारी आमद को नियंत्रित करने और ट्रेनों के प्रस्थान से पहले सुविधाजनक प्रतीक्षालय प्रदान करने के लिए प्रमुख स्टेशनों पर मौसम-रोधी होल्डिंग एरिया बनाए जा रहे हैं। जिन स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया बनाए जा रहे हैं उनमें बिहार के पटना, दानापुर, राजेंद्र नगर टर्मिनल, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, समस्तीपुर, बरौनी आदि और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बलिया और बनारस शामिल हैं।

    कोयला मंत्रालय ने विशेष अभियान 5.0 के तहत उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज कीं

    कोयला मंत्रालय और उसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने विशेष अभियान 5.0 के भाग के रूप में, स्वच्छता को बढ़ावा देने, संचालन दक्षता बढ़ाने और कोयला क्षेत्र में स्‍थायित्‍व को बढ़ावा देने पर केंद्रित अनेक पहल की हैं। 2 से 31 अक्टूबर, 2025 तक के कार्यान्वयन चरण के दौरान, उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कुल 1,205 स्थलों की सफाई की गई है, जिससे 68,04,087 वर्गफुट क्षेत्र को कवर किया गया है, जो 82,51,511 वर्गफुट के समग्र लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ रहा है।   8,678 मीट्रिक टन स्क्रैप के लक्ष्य के मुकाबले 5,813 मीट्रिक टन स्क्रैप का निपटान किया गया जिससे 22.87 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।       एनएलसीआईएल के बाद     1,11,248 भौतिक और 30,331 इलेक्ट्रॉनिक फाइलों की समीक्षा की गई तथा 74,123 फाइलों को हटा दिया गया/बंद कर दिया गया।       सीसीएल से पहले सीसीएल के बाद       विशेष अभियान 5.0 के दौरान प्रदर्शित कुछ सर्वोत्तम तौर-तरीके इस प्रकार हैं- 80 साल पुरानी इमारत का जीर्णोद्धार ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के बंकोला क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक "टैली बंगला" का जीर्णोद्धार कर उसे योग एवं मनोरंजन केंद्र के रूप में पुनः इस्‍तेमाल में लाया गया है। ब्रिटिश काल में निर्मित, 80 वर्ष पुराने इस भवन का अपनी स्थापत्य विरासत को संरक्षित रखने के लिए सावधानीपूर्वक जीर्णोद्धार किया गया है। विशेष अभियान 5.0 पर जागरूकता गीत (एनएलसीआईएल) एनएलसीआईएल की माइन 1ए टीम द्वारा हिन्दी उपशीर्षक के साथ रचित एक तमिल जागरूकता गीत, अभियान की प्रमुख गतिविधियों और उद्देश्यों पर रचनात्मक रूप से प्रकाश डालता है। संविदा श्रमिकों के लिए वीटीसी पोर्टल (एनसीएल) नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने 30.09.25 को अपनी तरह का पहला व्यावसायिक प्रशिक्षण पोर्टल पेश किया, जिसमें ठेकेदारों के कर्मचारियों के निर्बाध प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रमाणन के लिए एक व्यापक, एंड-टू-एंड डिजिटल व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रबंधन और वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है। अब तक 350 पंजीकरण पूरे हो चुके हैं। अपशिष्ट से सद्भाव की ओर (एनसीएल) जयंत क्षेत्र में एक खाली जगह, जो पहले कबाड़ से अटी पड़ी थी, को "झंकार" नामक एक संगीत कक्ष में बदल दिया गया है। यह रचनात्मक पहल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करती है और कर्मचारियों व उनके परिवारों के समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है, तथा एनसीएल में एक सर्वोत्तम तौर-तरीके के रूप में स्थापित है। नव-विकसित संगीत कक्ष एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां बच्चों से लेकर महिलाओं तक, नवोदित शिक्षार्थियों से लेकर अनुभवी कलाकारों तक, सभी संगीत की खोज, सीख और अपने प्रेम को अभिव्यक्त कर सकते हैं। विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों से सुसज्जित, यह स्थान कर्मचारियों और उनके परिवारों के बीच रचनात्मकता, सामुदायिक जुड़ाव और आनंद की भावना को बढ़ावा देता है। 5. एमओसी में कविता और भाषण प्रतियोगिता 22 अक्टूबर, 2025 को, कोयला मंत्रालय ने "स्वच्छता" और "स्वच्छ भारत मिशन" विषयों परएक कविता और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया। आठ विजेताओं को उनके प्रेरक योगदान के लिए सम्मानित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अपने अभिनव विचार साझा किए। 6. साइबर सुरक्षा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कोयला मंत्रालय ने 10 अक्टूबर, 2025 को साइबर सुरक्षा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सुरक्षित एवं जिम्मेदार डिजिटल व्‍यवहार के बारे में जागरूकता बढ़ाई। कोयला मंत्रालय अपने सभी कार्यों में निरंतर स्वच्छता, दक्षता और नवाचार सुनिश्चित करते हुए, विशेष अभियान 5.0 की भावना को लेकर प्रतिबद्ध है। मंत्रालय और उसके सार्वजनिक उपक्रमों के सामूहिक प्रयास स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने और एक स्वच्छ, कुशल और भविष्य के लिए तैयार कोयला क्षेत्र को बढ़ावा देने के दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं।

    शीतकालीन समय-सारणी 2024 की तुलना में प्रति सप्ताह 5.95 प्रतिशत प्रस्थान वृद्धि प्रस्तावित

    निर्धारित घरेलू एयरलाइनों की शीतकालीन समय-सारणी 2025 अमरावती, हिसार, पूर्णिया और रूपसी के नए हवाई अड्डों को शीतकालीन समय-सारणी में जोड़ा गया है सितंबर 2025 में आयोजित स्लॉट सम्मेलन बैठक के बाद निर्धारित घरेलू एयरलाइनों की शीतकालीन समय-सारणी 2025 (डब्ल्यूएस25) (26 अक्टूबर, 2025 से 28 मार्च, 2026 तक प्रभावी ) को अंतिम रूप दे दिया गया है। संबंधित हवाई अड्डों के संचालकों से अंतिम स्लॉट की स्‍वीकृति प्राप्त हो गई है। यह पाया गया है कि डब्‍लयू एस25 के अनुसार 126 हवाई अड्डों से/के लिए प्रति सप्ताह 26,495 प्रस्थान तय किए गए हैं, जबकि ग्रीष्मकालीन समय-सारणी 2025 (एसएस25) में 129 हवाई अड्डों से प्रति सप्ताह 25,610 प्रस्थान तय किए गए हैं। इन 126 हवाई अड्डों में से अमरावती, हिसार, पूर्णिया और रूपसी, डब्‍लयूएस25 में निर्धारित एयरलाइनों द्वारा प्रस्तावित नए हवाई अड्डे हैं, जबकि अलीगढ़, मुरादाबाद, चित्रकूट, भावनगर, लुधियाना, पाकयोंग और श्रावस्ती हवाई अड्डों से परिचालन डब्‍लयू एस25 में स्‍थगित कर दिया गया था। एयरलाइनों द्वारा प्रति सप्ताह प्रस्थानों का ब्यौरा इस प्रकार है:- एयरलाइन प्रति सप्ताह प्रस्थान डब्‍लयूएस25 एलायंस एयर 520 एयर इंडिया 4,277 एआई एक्सप्रेस 3,171 इंडिगो 15,014 स्पाइसजेट 1,568 स्टार एयर 538 फ्लाई बिग 58 इंडिया वन 126 अकासा एयर 1,027 फ्लाई91 196 कुल 26,495    डब्‍लयूएस25 की तुलना में एसएस25 में प्रस्थान की संख्या में तुलनात्मक वृद्धि की गणना की गई है और इसे नीचे दर्शाया गया है: एयरलाइन प्रति सप्ताह प्रस्थान  डब्‍लयूएस25 प्रति सप्ताह प्रस्थान एसएस25 डब्‍लयू एस25 बनाम एसएस25 वृद्धि (प्रतिशत ) एलायंस एयर 520 520 0.00 एयर इंडिया 4,277 4,310 -0.77 एआई एक्सप्रेस 3,171 3,375 -6.04 इंडिगो 15,014 14,158 6.05 स्पाइसजेट 1568 1,240 26.45 स्टार एयर 538 505 6.53 फ्लाई बिग 58 176 -67.05 इंडिया वन 126 114 10.53 अकासा एयर 1027 1,089 -5.69 फ्लाई91 196 123 59.35 कुल 26495 25,610 3.46   डब्ल्यूएस 25 की तुलना में डब्ल्यूएस 24 में प्रस्थान की संख्या में तुलनात्मक वृद्धि की गणना की गई है और इसे नीचे दर्शाया गया है:   एयरलाइन प्रति सप्ताह प्रस्थान  डब्‍लयूएस25 प्रति सप्ताह प्रस्थान  डब्‍लयूएस24 डब्‍लयूएस25 बनाम  डब्‍लयूएस24 वृद्धि (प्रतिशत ) एलायंस एयर 520 673 -22.73 एयर इंडिया + विस्तारा 4,277 4,779 -10.50 एआई एक्सप्रेस 3,171 2,832 11.97 इंडिगो 15,014 13,691 9.66 स्पाइसजेट 1,568 1,297 20.89 स्टार एयर

    बिहार चुनाव और उपचुनाव 2025 में सभी मतदान केंद्रों पर न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित होंगी और मतदाता सहायता प्रदान की जाएगी

    बिहार चुनाव और उपचुनाव 2025 में सभी मतदान केंद्रों पर न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित होंगी और मतदाता सहायता प्रदान की जाएगी निर्वाचन आयोग ने 6 अक्टूबर, 2025 को बिहार विधान सभा चुनाव और 8 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कार्यक्रम की घोषणा की है। निर्वाचन आयोग ने राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे मतदान के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र पर न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित करें कि और मतदाताओं को सहायता उपलब्ध कराएं। न्यूनतम सुविधाओं में पेयजल, प्रतीक्षालय, जल सुविधा, शौचालय, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, दिव्यांग मतदाताओं के लिए उचित ढलान वाले रैम्प, मानक मतदान कक्ष और उचित संकेतक शामिल हैं। मतदाताओं की जागरूकता के लिए, सभी मतदान केंद्रों पर चार समान और मानकीकृत मतदाता सुविधा पोस्टर (वीएफपी) प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे, जिनमें मतदान केंद्र का विवरण, उम्मीदवारों की सूची, क्या करें और क्या न करें, अनुमोदित पहचान दस्तावेजों की सूची और मतदान प्रक्रिया की जानकारी शामिल होगी। प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता सहायता बूथ (वीएबी) स्थापित किए जाएंगे, जहां बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ)/कर्मचारियों की टीम मतदाताओं को संबंधित बूथ मतदाता सूची में मतदान केंद्र संख्‍या और क्रम संख्या ढूंढ़ने में मदद करेगी। मतदाता सहायता बूथ पर प्रमुख संकेतक चिह्न लगे होंगे और मतदान परिसर में मतदाताओं के पहुंचने पर वे सुगमता से दिखेंगे। विशिष्‍ट पहल के तहत, मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार के बाहर मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन जमा कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। मतदान केंद्र में प्रवेश से पहले मतदाताओं को अपना फोन बंद कर निर्दिष्ट स्वयंसेवक को इसे सौंपना होगा जिसे मतदान के बाद वापस प्राप्‍त किया जा सकता है। आयोग ने फिर कहा है कि न्‍यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित करना और संबंधित सुगम्यता उपायों के प्रावधान अनिवार्य हैं और सभी मतदान केंद्रों पर इनके सख्त अनुपालन की निगरानी की जाएगी। सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे मतदान तिथियों से पहले ही ये आवश्यक कार्य पूरा कर लें ताकि सभी मतदाताओं के लिए निर्बाध और सुविधाजनक मतदान सुनिश्चित हो सके।

    आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर "आयुर्वेद से यकृत-पित्त स्वास्थ्य" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करेंगे

    यकृत-पित्त देखभाल में आयुर्वेद और आधुनिक अनुसंधान को जोड़ने के लिए "यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा" पर राष्ट्रीय संगोष्ठीसीसीआरएएस-सीएआरआई और आईसीएमआर-आरएमआरसी ने यकृत-पित्त स्वास्थ्य में सहयोगात्मक अनुसंधान की संभावनाओं का पता लगाने के लिए संगोष्ठी का नेतृत्व किया  आयुष मंत्रालय साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) और इसके केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), भुवनेश्वर के माध्यम से भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और इसके क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी), भुवनेश्वर के सहयोग से 25 से 26 अक्टूबर 2025 तक भुवनेश्वर में "आयुर्वेद से यकृत-पित्त स्वास्थ्य: समकालीन विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान का जुड़ाव" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। “यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा ” (यकृत की रक्षा, जीवन की रक्षा) विषय पर आयोजित यह सेमिनार यकृत और पित्त संबंधी स्वास्थ्य के लिए एकीकृत और शोध आधारित समाधानों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जो आयुर्वेद और आधुनिक जैव चिकित्सा विज्ञान के बीच सहयोगात्मक जांच की मांग करता है। इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. रवि नारायण आचार्य ने कहा, "आयुर्वेदिक विज्ञान यकृत-पित्त स्वास्थ्य के लिए एक समग्र ढांचा प्रदान करता है, जिसमें रोकथाम, संतुलन और स्थायी स्वास्थ्य सेवा पर ज़ोर दिया जाता है। सहयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से, हम आयुर्वेद के सिद्धांतों और सूत्रों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कर रहे हैं ताकि उनके तंत्र और नैदानिक ​​प्रासंगिकता को बेहतर ढंग से समझा जा सके। इस तरह के एकीकृत प्रयास न केवल आयुर्वेद की वैश्विक विश्वसनीयता को मज़बूत करते हैं, बल्कि ऐसे नवीन, प्रमाण-आधारित समाधानों का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं जो यकृत देखभाल और जन स्वास्थ्य परिणामों में बदलाव ला सकते हैं।" आईसीएमआर की अपर महानिदेशक और आरएमआरसी, भुवनेश्वर की निदेशक डॉ. संघमित्रा पति ने कहा, "यकृत-पित्त विकार से जटिल चुनौतियां आती हैं जिनके लिए बहु-विषयक जांच और नवाचार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद और आधुनिक जैव-चिकित्सा के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान रोग तंत्र को समझने, सुरक्षित उपचार विकसित करने और रोगी देखभाल को बेहतर बनाने के लिए नए आयाम खोलता है। पारंपरिक अंतर्दृष्टि को समकालीन वैज्ञानिक दृढ़ता के साथ एकीकृत करके, हम ऐसे व्यापक स्वास्थ्य सेवा मॉडल तैयार कर सकते हैं जो निवारक, व्यक्तिगत और विश्व स्तर पर प्रासंगिक हों।" "आयुर्वेद से यकृत-पित्त स्वास्थ्य" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पांच प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श होगा, जिससे यकृत और पित्त संबंधी स्वास्थ्य में सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। पहले दिन समग्र निवारक और उपचारात्मक दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें आयुर्वेद आहार विज्ञान, दिनचर्या, ऋतुचर्या, पंचकर्म और विषहरण चिकित्सा शामिल हैं। साथ ही एनएएफएलडी, हेपेटाइटिस और यकृत सिरोसिस के वैज्ञानिक सत्यापन और रोग-विशिष्ट प्रबंधन पर सत्र भी होंगे। दूसरे दिन साक्ष्य-आधारित एकीकरण पर ज़ोर दिया जाएगा, जिसमें आयुर्वेद योगों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और क्रियाविधि पर प्रायोगिक शोध प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही आयुर्वेद को आधुनिक अस्पताल पद्धतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने के प्रोटोकॉल भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनमें गट-लिवर एक्सिस जैसे नवाचार शामिल हैं। इस कार्यक्रम में 58 वैज्ञानिक प्रस्तुतियां भी होंगी—22 मौखिक और 36 पोस्टर—जो नैदानिक ​​परिणामों और बदलाव क्षमता पर प्रकाश डालेंगी। "यकृत पित्त विकारों में एथनोमेडिसिन" पर एक विशेष सत्र की योजना बनाई गई है, जिसमें ओडिशा के 20 आदिवासी चिकित्सकों पर प्रकाश डाला जाएगा, जो स्वदेशी चिकित्सा ज्ञान के संरक्षण के लिए मंत्रालय के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। सीसीआरएएस और आईसीएमआर का यह सहयोगात्मक प्रयास आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक दृढ़ता, अंतःविषय अनुसंधान और बदलाव संबंधी परिणामों पर केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देता है। आयुर्वेद के समग्र ज्ञान को आधुनिक अन्वेषणात्मक विज्ञान के साथ जोड़ते हुए इस संगोष्ठी का उद्देश्य यकृत-पित्त स्वास्थ्य के लिए एकीकृत दृष्टिकोणों के नए रास्ते खोलना और वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान में भारत के नेतृत्व को मज़बूत करना है। कृत स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचारों को वैज्ञानिक रूप से मान्य किया  आयुष मंत्रालय, सीसीआरएएस और अन्य संबंधित निकायों के माध्यम से व्यापक शोध कर रहा है ताकि यकृत स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचारों को वैज्ञानिक रूप से मान्य किया जा सके, और एमएएसएलडी तथा हेपेटाइटिस जैसे विकारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। पिक्रोरिज़ा कुरोआ (कुटकी) और आयुष-पीटीके योगों पर पूर्व-नैदानिक ​​अध्ययनों ने महत्वपूर्ण यकृत-सुरक्षात्मक क्षमता प्रदर्शित की है, जबकि सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान, एटीटी-प्रेरित यकृत विषाक्तता के विरुद्ध प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों का मूल्यांकन कर रहा है। इसके अतिरिक्त, आरोग्यवर्धिनी वटी और पिप्पल्यासव पर एक बहुकेंद्रीय नैदानिक ​​परीक्षण ने एमएएसएलडी प्रबंधन में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। एटीटी चिकित्सा पर तपेदिक रोगियों में आयुष-पीटीके की यकृत-सुरक्षात्मक प्रभावकारिता का आकलन करने वाला एक डबल-ब्लाइंड यादृच्छिक नियंत्रित अध्ययन भी चल रहा है, जो साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद अनुसंधान के प्रति सीसीआरएएस की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है। वैज्ञानिक संवाद को बढ़ावा देने और समृद्ध करने के लिए तैयार    राष्ट्रीय संगोष्ठी इस क्षेत्र में वैज्ञानिक संवाद को बढ़ावा देने और समृद्ध करने के लिए तैयार है। इस संगोष्ठी में आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा के प्रमुख विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे, जिनमें एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक और सीईओ प्रो. (डॉ.) आशुतोष विश्वास; केआईआईएमएस भुवनेश्वर के प्रो-चांसलर और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक प्रो. सुब्रत कुमार आचार्य; और सीएआरआई भुवनेश्वर की प्रभारी सहायक निदेशक डॉ. शारदा ओटा शामिल हैं। संगोष्ठी में प्रो. मानस रंजन साहू, डॉ. एन. श्रीकांत, डॉ. अशोक बीके, डॉ. राजेश कुमावत और कई अन्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, चिकित्सक और शिक्षाविद भी शामिल होंगे, जो आयुर्वेद के माध्यम से यकृत पित्त अनुसंधान और एकीकृत स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के लिए एक बहु-विषयक मंच स्थापित करेंगे।

    देश के जनसांख्यिकीय लाभांश के प्रभावी उपयोग के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

    राष्ट्रपति ने सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में भाग लिया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज केरल के एर्नाकुलम में सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि सेंट टेरेसा कॉलेज आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ भारत में महिला शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है। यह सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण में एक महान योगदान है। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हमें उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की दूरदर्शिता और विरासत का गहराई से सम्मान करना चाहिए जिन्होंने इस संस्थान का निर्माण किया और इसे एक शताब्दी की निरंतर उपलब्धियों तक पहुंचाया। राष्ट्रपति ने कहा कि केरल की महिलाओं ने राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान किया है। संविधान सभा की पंद्रह असाधारण महिला सदस्यों ने देश के संविधान के निर्माण में अपने समृद्ध विचार रखे थे। उन पंद्रह उत्कृष्ट महिलाओं में से तीन केरल से थीं। अम्मू स्वामीनाथन, एनी मैस्करेन और दक्षायनी वेलायुदन ने मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श को प्रभावित किया था। भारत में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चांडी थीं। 1956 में, वह केरल उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। न्यायमूर्ति एम. फ़ातिमा बीवी ने 1989 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनकर इतिहास रचा था। राष्ट्रपति ने कहा कि सेंट टेरेसा कॉलेज की मेधावी छात्राएं युवा भारत, संपन्न भारत और जीवंत भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में जेंडर बजट आवंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है। 2011 और 2024 के बीच महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई लगभग दोगुने हो गए हैं। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए कार्यबल में 70 प्रतिशत महिला भागीदारी सुनिश्चित करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों की महिलाएं भारत की प्रगति में योगदान दे रही हैं। राष्‍ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि इस कॉलेज की पूर्व छात्राएं देश के विकास में अपने योगदान के माध्यम से सकारात्मक भूमिका निभा रही हैं। राष्ट्रपति ने खुशी जताई कि सेंट टेरेसा कॉलेज ने शिक्षा के माध्यम से स्थिरता, नेतृत्व और प्रतिनिधित्‍व को बढ़ावा देने के लिए ‘स्लेट’ नामक परियोजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के माध्‍यम से कॉलेज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। युवाओं को सतत विकास लक्ष्यों के तहत भारत के लक्ष्यों से जोड़ना और उन्हें भविष्य की नौकरियों के लिए सक्षम बनाना इस परियोजना के सराहनीय उद्देश्य हैं। उन्होंने कहा कि सेंट टेरेसा कॉलेज जैसे उच्च शिक्षा संस्थान भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभरने में मदद करेंगे।

    मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बालिका शिक्षा को मिली नई राह

    -देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण एवं प्रोत्साहन राशि योजना से बेटियां संवार रही अपना भविष्य -प्रदेश की प्रत्येक बेटी को उच्च शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की प्राथमिकता जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि प्रदेश की प्रत्येक बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनें, जिससे राज्य महिला शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाईयों को छू सकें। इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा संचालित देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण एवं प्रोत्साहन राशि योजना प्रदेश की किशोरियों में उत्साह और जोश भरने का कार्य कर रही है।            प्रदेश में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण एवं प्रोत्साहन राशि योजना कॉलेज शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 में आरम्भ की गई थी। इस योजना के तहत राजस्थान मूल की विशेष पिछडा वर्ग की वह छात्रा जिसने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड या केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं परीक्षा में 50 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त किये तथा राजस्थान स्थित राजकीय महाविद्यालय, राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालय में स्नातक प्रथम वर्ष में नियमित अध्ययनरत है, उसे 12 वीं परीक्षा में प्राप्तांक प्रतिशत की वरीयता सूची के आधार पर स्कूटी प्रदान की जाती है। वर्ष 2025 से बालिकाओं को हर वर्ष 4 हजार 240 स्कूटियों का किया जाएगा वितरण- मुख्यमंत्री की पहल पर इस योजना के तहत प्रतिवर्ष निर्धारित लक्ष्य के अलावा अन्य समान कट ऑफ प्राप्तांक वाली छात्राओं को भी स्कूटी निःशुल्क वितरित की जाती है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए छात्रा के माता पिता/अभिभावक/संरक्षक/पति की वार्षिक आय 2.50 लाख रूपये से कम होनी चाहिए। वर्ष 2019-20 से प्रतिवर्ष 1500 स्कूटी वितरण का लक्ष्य निर्धारित था, जिसे राज्य सरकार द्वारा बढ़ाया गया है और अब वर्ष 2025-26 से 4 हजार 240 स्कूटियों का वितरण किया जाएगा।                 इस योजना के अंतर्गत विशेष पिछडा वर्ग की वे छात्राएं जो स्कूटी स्वीकृति की वरीयता सूची में नहीं आ पाती हैं, उनके लिए स्नातक प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष एवं तृतीय वर्ष में 50 प्रतिशत या अधिक अंक प्राप्त करने पर 10,000 रूपये वार्षिक प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ ही, उन्हें स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में 20,000 रूपये वार्षिक तथा स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में 50 प्रतिशत या अधिक अंक प्राप्त करने स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष में 20,000 रूपये वार्षिक प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इसके लिए विशेष पिछडा वर्ग की वे छात्राएं जिनके माता-पिता अथवा अभिभावक की वार्षिक आय 2.50 लाख रूपये से कम है तथा जो राजकीय महाविद्यालय, राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत है, पात्र हैं।                 राज्य सरकार द्वारा देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण के तहत अब तक 74 करोड़ 35 लाख रुपये व्यय कर 16 हजार 21 छात्राओं को लाभान्वित किया जा चुका है। साथ ही, प्रोत्साहन राशि में 9 करोड़ 76 लाख रुपए व्यय कर 19 हजार 100 छात्राएं लाभान्वित की जा चुकी हैं। योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 में 56.10 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान स्वीकृत है, जिसके विरूद्ध माह सितंबर 2025 तक 32.92 करोड़ राशि का व्यय किया जा चुका है।

    उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने निम्बाहेड़ा-मगंलवाड़ सड़क फोरलेनकरण के लिए 260 करोड़ के लोन को स्वीकृति दी

    आरएसआरडीसी की 129 वी बोर्ड बैठक जयपुर, 24 अक्टूबर। उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने शुक्रवार को राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेन्ट कोर्पोरेशन की 129 वी बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करते हुए निम्बाहेड़ा-मगंलवाड़ सड़क फोरलेनकरण कार्य के लिए नाबार्ड से लिए जा रहे 260 करोड़ रुपए के लोन को मंजूरी प्रदान की।इसके साथ उन्होंने उन्होंने कम ब्याज दरों के कारण हुड़को से नाबार्ड को शिफ्ट किए जा रहे 175 करोड़ रुपये के लोन की शिफ्टिंग को भी मंजूरी दी ।    उप मुख्यमंत्री ने आरएसआरडीसी सभागार में आयोजित बैठक में आरएसआरडीसी के टर्न ओवर एवं लाभ में वृद्वि की सराहना करते हुए अधिकारियों से कहा की, कोस्ट सेन्ट्रिक अप्रोच के साथ काम कर प्रोजेक्ट वाइज कोस्टशीट तैयार करके उसका परीक्षण करें ताकि हर प्रोजेक्ट की वास्तविक लागत, लाभ-हानि की सही जानकारी मिल सके।   आरएसआरडीसी की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करते हुये उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के रोड कॉर्पोरेशन के मॉडल की स्टडी करें ताकि आरएसआरडीसी को वित्तीय रूप से मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के कॉर्पोरेशन जो बेहतरीन काम कर रहे है उनकी बेस्ट प्रेक्टिसेज को प्रदेश में लागू किया जाये।    उपमुख्यमंत्री ने आरएसआरडीसी के कार्यो में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने की बात कहते हुये क्वालिटी कन्ट्रोल विंग को सुदृढ़ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जो भी परियोजनाऐं संचालित की जा रही है वे निश्चित समय अवधि में पूरी होनी चाहिए।   इस दौरान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रवीण गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव आयोजना भवानी सिंह देथा, शासन सचिव वित्त नवीन जैन, शासन सचिव पीडब्ल्यूडी डीआर मेघवाल सहित सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं आरएसआरडीसी के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

    प्रदेश के 5 जिले और 27 ब्लॉक में समावेशी और समग्र विकास हो रहा सुनिश्चित

    -सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति से आकांक्षी जिले एवं ब्लॉक भर रहे विकास की नई उड़ान - मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अभिनव पहल से विकसित राजस्थान का संकल्प हो रहा साकार- हर जिले में एक ब्लॉक को विकसित बनाने के लिए राज्य सरकार ने शुरू की ‘गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना’ जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के सिद्धांत पर चलते हुए प्रदेश में आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉक्स का समावेशी एवं सतत विकास सुनिश्चित हो रहा है। प्रधानमंत्री की इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विकसित राजस्थान के संकल्प को साकार करने की दिशा में प्रदेश के सभी 41 जिलों के एक-एक ब्लॉक में गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना भी शुरू की है। अविकसित जिलों के उत्थान के लिए जनवरी, 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) 112 जिलों में शुरू किया गया। केंद्र सरकार एवं नीति आयोग द्वारा संचालित यह कार्यक्रम नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत राजस्थान के पांच जिलों बारां, धौलपुर, जैसलमेर, करौली और सिरोही में स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन एवं कौशल विकास और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम डेटा पर संचालित होता है, जिससे चिन्हित जिलों की प्रतिमाह डेल्टा रैंकिंग निकाली जाती है। 49 संकेतकों के आधार पर कार्य की निगरानी और मूल्यांकन कर अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिलों को पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। इसके तहत अब तक बारां को 17.51 करोड़ रुपये, धौलपुर को 15.82 करोड़, जैसलमेर को 9.62 करोड़, करौली को 9.05 करोड़ औऱ सिरोही को 4.81 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि प्राप्त हो चुकी है।     आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम से निचले स्तर पर सकारात्मक बदलाव की शुरूआत- आकांक्षी जिला कार्यक्रम से जिलों में आए सकारात्मक बदलाव, सफलता और विकास को ब्लॉक स्तर तक पहुंचाने के लिए जनवरी, 2023 में आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान केे 27 ब्लॉक किशनगंज, बसेड़ी, फतेहगढ़, मासलपुर, आबूरोड, नीमराना, सज्जनगढ़, रामसर, वैर, कोटड़ी, कोलायत, केशवरायपाटन, निम्बाहेडा, राजगढ़, रामगढ़ पचवारा, झोंथरी, संगरिया, अहोर, खानपुर, शेरगढ़, जायल, रानी, पीपलखूंट, भीम, गंगापुर सिटी, पीपलू और खेरवाड़ा शामिल हैं। इन ब्लॉक में स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं संबद्ध सेवाएं, बुनियादी ढांचा और कौशल विकास के क्षेत्र में काम किया जा रहा है।  गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना के तहत विभिन्न कार्यक्रम होंगे संचालित- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विकसित राजस्थान के संकल्प को साकार करने की दिशा में समग्र और समावेशी विकास की भावना से गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना की शुरूआत की तथा इसके सफल क्रियान्वयन के संबंध में 27 मार्च, 2025 को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले से एक ब्लॉक का चयन किया गया है। योजना के माध्यम से राजस्थान में कुल 41 ब्लॉकों में लक्षित विकास कार्यक्रम संचालित कर उन्हें विकसित ब्लॉक की श्रेणी में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ब्लॉक्स में नवाचार आधारित कार्यक्रम को मिलेगा बढ़ावा- गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना के जरिए सभी चिन्हित ब्लॉकों में स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं संबद्ध सेवाएं, आधारभूत संरचना, कौशल विकास एवं सामाजिक विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार आधारित कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग के लिए 39 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को आधार बनाया गया है। इस योजना की विभिन्न स्तर पर निगरानी की जाएगी। राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर समितियां कार्यक्रमों की नियमित समीक्षा करेंगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति और जिला क्लक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय एवं ब्लॉक स्तरीय समितियां बनाई गई हैं। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले ब्लॉकों को मिलेगी पुरस्कार राशि- वित्त वर्ष 2025-26 के राज्य बजट में आकांक्षी ब्लॉक्स के विकास के लिए 75 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें प्रत्येक ब्लॉक के लिए 1.5 करोड़ रुपये (अनटाइड फण्ड) का प्रावधान शामिल है। योजना से संबंधित 30 ब्लॉकों से प्लान ऑफ एक्शन प्राप्त हो चुके हैं। योजना में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले ब्लॉकों को प्रोत्साहन स्वरूप वार्षिक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। पहला स्थान प्राप्त करने ब्लॉक को 50 लाख रुपये, दूसरे स्थान को 35 लाख, तीसरे स्थान को 25 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। चयनित ब्लॉकों में बेसलाइन डाटा संग्रहण का कार्य पूर्ण- गुरु गोलवलकर आकांक्षी ब्लॉक विकास योजना में भिनाय, रामगढ़, सिणधरी, गढ़ी, शाहबाद, चौहटन, मसूदा, भूसावर, करेड़ा, बीकानेर, तालेड़ा, गंगरार, चूरू, सिकंदरा, पहाड़ी, सैपऊ, नावा, गलियाकोट, भादरा, चाकसू, सम, जालौर, झालरापाटन, झुंझूनूं, सेखाला, करौली, तिजारा, लाडपुरा, बानसूर, मेड़ता, बाली, आऊ, धमोतर, कुंभलगढ़, खंडार, सराड़ा, खंडेला, पिंडवाड़ा, सादुलशहर, उनियारा, कोटड़ा ब्लॉक शामिल हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए अब तक सभी चयनित ब्लॉकों द्वारा बेसलाइन डाटा संग्रहण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं सभी चयनित ब्लॉकों से ब्लॉक विकास रणनीति प्राप्त हो चुकी है। आकांक्षी ब्लॉक खेरवाड़ा बना उदाहरण उदयपुर जिले का जनजाति बहुल खेरवाड़ा ब्लॉक कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं और जनजागरूकता की कमी के कारण 2 साल पहले तक कुपोषण और कम प्रसव पूर्व देखभाल (एएनसी) पंजीकरण सहित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से जूझ रहा था। आकांक्षी ब्लॉक विकास कार्यक्रम में जुड़ने के बाद संपूर्णता अभियान, एएनसी खोजो अभियान, स्वस्थ धरोहर शिविरों जैसी गतिविधियों और कंगारू मदर केयर जैसे अभिनव नवाचारों ने खेरवाड़ा ब्लॉक में स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दी है। एएनसी खोजो अभियान चलाकर प्रत्येक गर्भवती महिला की पहचान व 12 सप्ताह के भीतर उनका पंजीकरण सुनिश्चित किया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि 2023 में जहां एएनसी पंजीकरण दर 60 प्रतिशत थी, वहीं 2025 तक यह 90 प्रतिशत तक पहुंच गई। पंचायत स्तर पर महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए प्रेरित किया गया जिससे संस्थानिक प्रसवों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। साथ ही, कुपोषण और एनीमिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। स्वस्थ धरोहर शिविरों के माध्यम से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अन्य असंचारी रोगों की जांच की गई। खेरवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर लाउंज स्थापित किया गया, जहां कम वजन वाले शिशुओं (1800-2500 ग्राम) को उनकी माताओं के साथ त्वचा से त्वचा सम्पर्क में रखा जाता है। इससे शिशु का तापमान नियंत्रित रहता है और उसका वजन भी तेजी से बढ़ता है।  एक अन्य नवाचार स्वच्छ ढाणी एप ने खेरवाड़ा ब्लॉक को सिंगल यूज प्लास्टिक और ठोस कचरे से काफी हद तक निजात दिलाई है। इस एप पर ग्रामीण अपने मोबाइल से कचरा या गंदगी वाले स्थान की तस्वीर अपलोड कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। क्यूआर कोड आधारित डिजिटल शिकायत निवारण प्रणाली के माध्यम से समस्या का समाधान हाथों-हाथ किया जाता है। इससे ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग 80 प्रतिशत से अधिक घटा है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए खेरवाड़ा ब्लॉक के 61 स्कूलों के शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और उन्हें ब्रेल बुक्स, साउंड बॉल्स, फ्लैशकार्ड्स आदि प्रदान किए गए। इन प्रयासों से ब्लॉक के 134 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सामान्य स्कूलों में ही शिक्षा संभव हो सकी है।  

    पहली बार किसी सरकारी सेवा पर उपभोक्ता दे सकेंगे ’स्टार रेटिंग

    — विद्युत सेवाओं में सुधार के लिए जयपुर विद्युत वितरण निगम की पहल जयपुर। जयपुर विद्युत वितरण निगम ने अपनी विद्युत सेवाओं में सुधार कर इसे कंज्यूमर फ्रेंडली, जवाबदेह एवं पारदर्शी बनाने की दिशा में अनूठी पहल की है। इस प्रक्रिया में जयपुर डिस्कॉम नया घरेलू कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने जा रहा है। प्रदेश में आमजन से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने वाले किसी राजकीय निगम अथवा विभाग ने पहली बार निजी सेवा प्रदाता कंपनियों की तरह उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने की ऐसी शुरूआत की है। फिलहाल नए घरेलू कनेक्शन को इसके दायरे में लिया गया है। धीरे-धीरे निगम की अन्य सेवाओं को भी इसके दायरे में लाया जाएगा।  चेयरमैन डिस्कॉम्स आरती डोगरा ने शुक्रवार को सभी जोनल मुख्य अभियंताओं तथा अधीक्षण अभियंताओं के साथ फीडबैक मैकेनिज्म की तैयारियों की समीक्षा की और सोमवार से इसे प्रारंभ करने के निर्देश दिए।  अब जो भी नए घरेलू कनेक्शन जारी होंगे उनमें फीडबैक देने की यह व्यवस्था प्रभावी रहेगी। निगम का प्रयास है कि 1 अक्टूबर से जो घरेलू कनेक्शन दिए गए हैं, उनमें भी ऐसा फीडबैक लिया जाए।    ऐसे दे सकेंगे फीडबैक —   नया घरेलू कनेक्शन जारी होने के बाद आवेदक को मोबाइल एप्लीकेशन ‘बिजली मित्र‘ डाउनलोड करने का एसएमएस प्राप्त होगा। एप्लीकेशन डाउनलोड करते ही ‘के‘ नम्बर ड़ालने पर उपभोक्ता को फीडबैक पॉप अप दिखाई देने लगेगा। इस पॉप अप पर क्लिक करते ही उपभोक्ता कनेक्शन प्राप्त करने के अपने अनुभव 1 से 5 स्टार रेटिंग के जरिए प्रदान कर सकेंगे। इस दौरान वे अन्य वैकल्पिक टिप्पणियां भी जोड़ सकेंगे। एक से 2 स्टार रेटिंग के मामलों में अधिकारी नियमित समीक्षा करेंगे और सेवा में सुधार के उपाय सुनिश्चित करेंगे। डिस्कॉम द्वारा इनकी नियमित मॉनीटरिंग की जाएगी। वृत्त तथा सब डिविजन स्तर पर प्रत्येक माह समीक्षा होगी। इसके आधार पर अधीक्षण अभियंता तथा सहायक अभियंता कार्यालयों की भी रैंकिंग तय होगी।    निचले स्तर तक मॉनीटरिंग होगी आसान —   इस प्रक्रिया से निचले स्तर तक मॉनीटरिंग आसान होगी। कनेक्शन जारी करने में कई बार देरी की शिकायतें सामने आती हैं। ऐसे में स्वतंत्र फीडबैक लेने से वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगी। इससे सेवाओं को त्वरित, बेहतर, पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने में डिस्कॉम प्रबंधन को मदद मिलेगी। उन अधिकारियों अथवा कार्मिकों की भी मॉनीटरिंग हो सकेगी जो आम आदमी से जुड़ी सेवाओं की अदायगी में लापरवाही बरतते हैं अथवा उन्हें लटकाते हैं।    उल्लेखनीय है कि जयपुर विद्युत वितरण निगम ने कुछ दिन पूर्व ही बिजली कनेक्शन को लेकर उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने में हैल्पलाइन सेवा 181 का भी सहयोग लिया था। इस प्रक्रिया में 1 अप्रैल, 2025 से 15 अगस्त  2025 के दौरान विद्युत कनेक्शन लेने वाले 75,746 उपभोक्ताओं को मोबाइल पर कॉल किए गए। जिन 41,815 उपभोक्ताओं ने कॉल रिसीव किए। उनसे बिजली कनेक्शन जारी होने तथा इससे संबंधित अनुभव पूछे गए। इस पूरी कवायद के पीछे जयपुर डिस्कॉम की मंशा आमजन से जुड़ी सेवाओं के प्रति आमजन का वास्तविक फीडबैक प्राप्त कर इन्हें बेहतर करने की रही है।

    मर्यादा, अनुशासन एवं नैतिकता का पालन करते हुए जनसेवक करें अपने कार्यों का निर्वहन - मुख्य सचिव

    -विभागीय नवाचारों से मिल रही सुशासन को मजबूती जयपुर। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि जनसेवक के रूप में प्रत्येक अधिकारी को मर्यादा, अनुशासन एवं नैतिकता का पालन करते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की है कि कार्यस्थल एवं कार्यस्थल के बाहर भी अधिकारी पद, आचरण एवं सेवा की गरिमा को बनाए रखें। पंत शुक्रवार को शासन सचिवालय में कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी नियमित रूप से अपने विभागों का औचक निरीक्षण करें एवं विभागीय कार्यों की निरंतर समीक्षा करते रहें जिससे योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने प्रदेश में सुशासन एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में जयपुर विद्युत् वितरण निगम द्वारा शुरू की गई पहल की सराहना की एवं आमजन से सीधे जुड़े अन्य विभागों को भी इस तरह के नवाचार अपनाने के लिए कहा। जयपुर डिस्कॉम ने नए घरेलू विद्युत कनेक्शन की सेवा की संतुष्टि का स्तर जानने तथा इनमें सुधार को लेकर उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने की पहल की है। इसके अंतर्गत घरेलू विद्युत कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से बिजली मित्र मोबाइल एप्लीकेशन पर कनेक्शन प्राप्त करने के अनुभवों का फीडबैक लिया जा रहा है। इसी प्रकार शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी राजन विशाल ने बताया कि किसानों को कृषि संबंधी तकनीक एवं विभागीय योजनाओं की जानकारी के उद्देश्य से विभाग द्वारा कृषि ज्ञान धारा 2.0 कार्यक्रम चलाया गया है। विभागीय यू-ट्यूब चैनल पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों द्वारा कृषि संबंधी जानकारियां देकर कृषकों से संवाद किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सैंकडों किसान इस कार्यक्रम के द्वारा लाभान्वित हो चुके है। अतिरिक्त मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, श्रीमती श्रेया गुहा ने बताया कि राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) ने अपनी नई पहल उन्नति इन्क्यूबेशन हब के तहत हाल ही में भारतीय शिल्प एवं डिजाइन संस्थान, जयपुर (आईआईसीडी) के साथ एक महत्वपूर्ण एमओयू किया है। इस एमओयू से प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास, नवाचार, उत्पाद विविधीकरण एवं विपणन सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल सकेगा। इसी प्रकार अन्य अधिकारियों ने भी अपने विभागों द्वारा शुरू किये गए नवाचारों के संबंध में जानकारी दी। मुख्य सचिव ने बताया कि बजट घोषणाओं की कुल 39 नीतियों में से 23 नीतियां जारी की जा चुकी हैं, जबकि विभिन्न विभागों के स्तर पर 16 नीतियां जारी किया जाना प्रक्रियाधीन है। इसी प्रकार कुल 14 अधिनियमों में से 6 अधिनियमों की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है । मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि खेल नीति-2024, राजस्थान रोजगार नीति-2025, एग्रो प्रोसेसिंग नीति- 2024, नवीन आयुष नीति, राजस्थान व्हीकल स्क्रैप नीति, उद्योग नीति-2024, ग्रीन ग्रोथ क्रेडिट नीति, राजस्थान ट्रेड प्रमोशन पॉलिसी सहित कुल 16 लंबित नीतियों को शीघ्रता से लागू करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जाएं एवं इन नीतियों की प्रगति को नियमित रूप से सीएमआईएस पोर्टल पर अपडेट किया जाए ताकि पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित हो सके। साथ ही मुख्य सचिव ने नया आबकारी कानून, ई कॉमर्स और ऑनलाइन सेवा प्रदायगी कानून, एग्रीगेशन ऑफ प्राइवेट लैंड एक्ट, राजस्थान नागरिक सुरक्षा अधिनियम और लोक विश्वास अधिनियम सहित कुल 8 लंबित अधिनियमों के क्रियान्वयन के लिए त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए। पंत ने भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया को सरल और डिजिटल बनाने एवं वाणिज्यिक भूखंडों में भूमि की हानि को कम करने के उद्देश्य से भवन विनियमों में आवश्यक संशोधनों को निश्चित समयावधि में पूर्ण करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि कुछ खतरनाक उद्योगों में महिलाओं के काम करने पर लगे हुए प्रतिबंधों में ढिलाई देकर उन्हें रोजगार के समान अवसर प्रदान करने की दिशा में संशोधन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ढिलाई कि बिजली और जल कनेक्शन की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए ऑनलाइन आवेदन, भुगतान और ट्रैकिंग की सुविधा शुरू कर आमजन को लाभांवित करना सुनिश्चित करें। बैठक में पंत ने विभिन्न विभागों से सम्बंधित नीतियों एवं अधिनियमों की वर्तमान स्थिति के संबंध में समीक्षा की एवं इन्हे निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के निर्देश दिए। राज्य सरकार के सभी विभागों एवं एजेंसियों में सार्वजनिक खरीद प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, दक्ष एवं नियम आधारित बनाने के उद्देश्य से लागू जैम पोर्टल (Government e-Marketplace) की क्रियान्विति एवं देश में राज्य की रैंकिंग को लेकर चर्चा की। उन्होंने आगामी समय में होने वाले मुख्य सचिवों के पांचवे राष्ट्रीय सम्मलेन को लेकर अधिकारियों से चर्चा कर आवश्यक तैयारियों के संबंध में दिशा निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीण एवं शहरी सेवा शिविर, अधिकारियों के ई-फाइल का औसत निस्तारण समय एवं भर्ती प्रक्रिया पर जानकारी ली। प्रमुख शासन सचिव वित्त वैभव गालरिया ने विभिन्न विभागों एवं स्वायत्त संस्थाओं द्वारा विकास कार्यों पर किये गए खर्च की विधानसभा क्षेत्रवार प्रगति के संकलन हेतु विकसित किये जा रहे (CM- WMS Chief Minister's Work Management System Module) की जानकारी दी और बताया कि आगामी 1 दिसम्बर को इसे लाइव किया जाना प्रस्तावित है। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी अखिल अरोरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता श्रीमती अपर्णा अरोरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती श्रेया गुहा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण आनंद कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग प्रवीण गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह भास्कर आत्माराम सावंत सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।  

    राज्य सरकार ने बजट घोषणा का वादा निभाते हुए मंत्रालयिक संवर्ग के विभिन्न पदों में वृद्धि कर ज्यादा पदोन्नति की राह खोली

    जयपुर। राज्य सरकार की बजट घोषणा संख्या 97.02 की क्रियान्वति के क्रम में एवं मंत्रालयिक संवर्ग के विभिन्न कर्मचारी संगठनों की मांगो को दृष्टिगत रखते हुए पदोन्नति के अवसरों में वृद्धि किए जाने हेतु अधीनस्थ विभागो में मंत्रालयिक संवर्ग के स्वीकृत पदो का पुनर्गठन किया गया है। जिसके फलस्वरूप संस्थापन अधिकारी के 206 पद, प्रशा. अधिकारी के 342 पद एवं अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 683 पदों का नवसृजन एवं कैडर पुनर्गठन करते हुए पदोन्नति के अवसरो में वृद्धि की गई है। वित्त(व्यय-2) विभाग की संयुक्त शासन सचिव डॉ. भारती दीक्षित ने बताया कि वित्त(व्यय) विभाग के शासन सचिव श्री नवीन जैन द्वारा जारी आदेश के अनुसार संस्थापन अधिकारी एल-16, जीपी-6600 के वर्तमान पद 888 में 206 की वृद्धि कर 1094, प्रशासनिक अधिकारी एल-12, जीपी- 4800 के वर्तमान पद 2734 में 342 की वृ़द्धि कर 3076 पद कर दिए गए हैं। इसी प्रकार अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी एल-11 जीपी 4200 के 6153 पदों में 683 की बढ़ोतरी कर 6836 किए गए हैं। इससे कनिष्ठ सहायक एल-5, वरिष्ठ सहायक एल-8, सहायक प्रशासनिक अधिकारी व इससे वरिष्ठ पदों पर कार्यरत कार्मिकों को समय पर पदोन्नति के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे।