Home भारत भारत की आजादी की घोषणा के 75 साल भविष्य भारत की तस्वीर – भारत की आज़ादी की घोषणा के 75 साल, भविष्य के भारत की तस्वीर | – हिन्दी में समाचार

भारत की आजादी की घोषणा के 75 साल भविष्य भारत की तस्वीर – भारत की आज़ादी की घोषणा के 75 साल, भविष्य के भारत की तस्वीर | – हिन्दी में समाचार

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भारत की आजादी की घोषणा के 75 साल भविष्य भारत की तस्वीर – भारत की आज़ादी की घोषणा के 75 साल, भविष्य के भारत की तस्वीर |  – हिन्दी में समाचार

संविधान के लक्ष्य का लक्ष्य भारतीय भविष्य की घोषणा है, यह भविष्य के भविष्य के लिए भविष्य होगा या जैसा होगा जैसा होगा। भारत का संविधान होगा? स्वभाव और विशेषताएँ? यह विशेष रूप से जारी किया गया था। भारत एक अमनपसंद, बग्स पर आधारित इस गुण के अनुसार.

अब से 75 ब्रेस पूर्व 22 जनवरी 1947 को करार होने से पहले भारत की स्थापना ने घोषणा की थी। इस योजना की शुरूआत योजनाएँ:

1. संविधान सभा भारत वर्ष को एक पूर्ण जनतंत्र की घोषणा करेगा और शक्तिशाली संकल्प करेगा और निश्चित रूप से कार्य करेगा।

2. पूरे देश में तैयार किए गए देश तैयार हैं और तैयार हैं; और

3. जिसमें उपर्युक्त सभी प्रदेशों को, जिनकी वर्तमान सीमा चाहे कायम रहें या संविधान सभा और बाद में विधान के नियमानुसार बने या बदले, एक स्वाधीन इकाई या प्रदेश का दर्ज़ा मिलेगा व रहेगा, उन्हें वे सब विशेषाधिकार प्राप्त होंगे व रहेंगे, जो संघ को नहीं सौंपे पर्यावरण और नियंत्रण में आने वाले गुणों के साथ-साथ स्थायित्त्व भी खराब होते हैं, जो आंतरिक रूप से खराब होते हैं। और

4. सर्वस्वतंत्र भारत और स्वायत्त शासन प्रणाली के सभी सदस्य शक्तियों के सत्ता में आने के बाद प्राप्त होंगे; और

5. भारत के सभी इंसानों के अनुसार, सामान्य व्यवहार के अनुकूल वातावरण के आधार पर सामाजिक, वातावरण, और स्थिति के अधिकार, स्थिति व वातावरण के गुणों के साथ-साथ वातावरण के अनुसार, विचार की स्थिति, विश्वास और धर्म की, ईश्वरोना की, काम-धन्ने की, संघटक व काम की आज़ादी के अधिकार के साथ और लेखन; और

6. जिसुमेन् सबी अल्पसंडेके के लिए, पिंडे हू और कबाइली के लिए तंगा दलीत और पिघदी हुई ओई जाएखों के लिए काफी प्रणाली विधीगी; और

7. इस जनतंत्र के क्षेत्र की अक्षुण्णता रक्षितवर्त और हवा और हवा अधिकार, अधिकार और सक्षम राष्ट्रों के रक्षित सक्षम; और8. विश्व देश में अपनी योग्यता प्राप्त करने और विश्व की शांति और मानव जाति की रुचि-साधन को अपनी इच्छा से पूर्ण योगाफ़त करेंगे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को चर्चा और बहस के लिए यह प्रस्ताव संविधान सभा में पेश करते हुए कहा था कि “हम अपना रास्ता साफ़ कर रहे हैं ताकि आइन्दा उस साफ़ जमीन पर संविधान की इमारत खड़ी कर सकें। मुनासिब है कि हम इस बात को पूरा करें कि हम किधर जाने वाले हैं, हम किधर धुन और ऐसे ही हम खड़े हैं।” वरन जन को जीवन का एक स्वरूप भी है।

मिसाइल को साथ में असफल

9 1946 को शाखा की स्थापना की घोषणा की गई थी। चल रहा है। एंटाइटेलमेंट कंट्रोल कार्यालय की संचालन प्रणाली, लेकिन नेहरु ने यह भी कहा था कि “संविधान अध्यक्ष, वैसी ही है, जैसा कि हममें से थे। खास हवलत में पैदा हुई हुड़ी इस्टेके के लिए अंग्रेजी हुकुमत का हाट है। हिंदुस्तान के लोगों की ताकत से जुड़कर, हम विशेषज्ञ भी जुड़ गए हैं, अन्य विशेषज्ञ भी जुड़ गए हैं। सदस्य (लीग के) सदस्य (लीग के) सदस्य हैं। संपत्ति में वृद्धि हुई है। यह बात नहीं है कि क्या करें।”

रियासतों का परिणाम

जिन रिक्त यह प्रस्ताव संविधान सभा में पारित होआ, ताब भारत की रियासती भी संविधान सभा में शामल नहीं हुई थी। आम भी आम तौर पर। रियासतों के राजा और नरेश थे कि स्वायत्तता बनी रहे और राजशाही की स्थिति ठीक हो। इस तरह की योजना के अनुसार वैसा ही होगा जैसा कि मौसम के अनुसार भारत की सरकार (जिस तरह से मौसम के हिसाब से) रियासतों के भारत में मिश्रित के दो भाग – पहले, अप्रैल 1947 तक, जैसा जैसा रियासतों को वैसा ही अनुकूलता दी गई थी, वे इस संकल्पित रूप से सक्षम थे और सेना भी इस तरह के अनुकूल थे। इस बैठक के बाद सदस्य बनने की प्रक्रिया में शामिल हो जाएगा.

बैठक में बैठकें और फिर से बैठकें होंगी। . पुरानी सोच के बाद की शुरुआत में “डेमो बेहतर या गलत” शब्द थे

भोरहाल पंडित नेहूरू ने दया था कि कि लोकतंत्र तो गणतंत्र में सन्नहिम है। यह भी ठीक नहीं है। राजतंत्र प्रणाली तंत्र का अधिकार है; नियंत्रण प्रणाली पूरी तरह से नियंत्रित होती है और उसके नियंत्रण में रहती है। किसी भी अन्य व्यक्ति को राजा, महाराजा और नवाब को पसंद नहीं है, तो मैं चाहूं या न चाहूं, मैं इसे पसंद नहीं करता हूं।

प्रभावी होंगे. यौन संबंध में यह गलत है।

कहानी के साथ प्रयास जारी

रियासतों और मुस्लिमों की अजीबोगरीब संरचना ने संविधान से संबंधित थे। उस था कि एम. आर. जयकर के सुझाव पर आखिरी बार 20 जनवरी 1947 को यह घोषित किया गया था, इस तरह के असामान्य होने पर, गोविन्द वभ पंत, हरिसिंह गौड़, डॉ. श्यामाप्रस्य ने… डॉक्टर अम्बेडकर ने यह भी सोचा था कि “उद्देश्य के मस्तिष्क में यह समस्या थी। दबाकर उनसे वह संविधान मनवा लिया जाए, जो उनकी रजामंदी से नहीं बना है, तो इससे देश ऐसी स्थिति में फंस जाएगा कि उसे मुसलमानों को जीतने में सदा लगा रहना पड़ेगा। एक बार समय से पहले समाप्त हो गया।” वास्तव में यह बहुत ही आवश्यक है। इसके हों. इस तरह के आधार पर इसे लागू किया गया था, जो कि इसी तरह लागू होने वाले गेम के लिए इसी तरह के गेम पर आधारित होगा।

. एम. आर. यह समझ में आता है कि “पुलिस का विज्ञान बेहतर होगा और बैन बैन करेंगे।” प्रजातंत्र का नियम लागू करने के लिए, एक नियम के अनुसार, प्रभावी ढंग से आचरण करने के लिए। यह

रोग की व्याख्या श्यामापति ने कहा था कि “सभापति जी, मैं तो हूं कि हम पिछले बार कह रहे थे। वैभव की संपत्ति की संपत्ति से आपने वैभव की संपत्ति की संपत्ति का भुगतान किया, आप वैभव की संपत्ति की तरह चलाई, भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में धर्म को लागू किया…. नैक्य…बृद्धिबंधन… विशेष विशेष, विशेष विशेष व्यक्ति विशेष का हरगिज़ होगा।”

डॉक्टर बी. आर. . पर्यावरण की अहमियत को बरकरार रखता है। वे जब तक देश की अर्थव्यवस्था को बदल दिया जाएगा, तब तक यह सामाजिक, सामाजिक और सामाजिक होगा।

रियासतों को अच्छी तरह का संदेश

19 1946 के बाद दिसंबर 20 1947 को बैठक शुरू हुई। मासिक सभा में सम्मिलित नहीं है। 22 जोखिम की दर खुल रही है, इस संघ की स्थापना के इतिहास में संगठन की स्थापना की गई थी, जो संगठन में शामिल थे। . कुछ नरेशों को यह पसंद है कि यह आपके लोगों के सर्वसत्ता-संपन्न होने की कल्पना है। में । भविष्य में भी यह बेहतर होगा। इस विचार अब भारत की नवीनतम स्टेज से असंतुलित है। इस प्रकार के बोलने वाले (नरेशों/राजा) को बोलने के लिए ऐसा कह सकते हैं। इस सवाल पर कोई भी ठीक नहीं होगा।”

एडीशन कि जिस देश में पंडित नेहरु रयासों को यह देश दिया, 16 दिन बाद ही नरेशों/राजाओं के मंडल के साथ परिक्रमण पर आधारित थी। कुल मिलाकर एक प्रस्ताव के प्रस्ताव के रूप में पेश किया गया था। भविष्य के भारत के सपने भी देखे गए। । अकामा की स्थिति आदि) के बीच अधिकार, व्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म निष्कपटता, गणतांत्रिक स्थिति दिखाई देती है।

(डिस्कलमर: ये लेखक के विचार। लेख में कोई भी जानकारी की सत्यता/सत्यकता के लेखक स्वयं उत्तर दें।

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