खान अब्दुल गफ्फार खान जन्मदिन विशेष: दहशतगर्दी से शांत होने के बाद रोग की स्थिति में रोगी की अगली पंक्ति से सड़ने के लिए लथपथ की किरणें बत्तोरती। लेकिन आप को ये जानकर हैरानी होगी कि हिंसा में डूबा यह दिशाहन देश, एक महान जननेता और मैशूर गांधीवादी खान अब्दुल गुफ्फार खान की जुन्मुली क्या है। आज के दिन 6 फरवरी 1890 को मौसम के मौसम में मौसम था। ️ भले️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि पीढ़ी️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि अक्सर️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि अक्सर️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कि अक्सर हैं हैं हैं पर हैं हैं पर। अपने जीवन में बाद में गांधीजी के रूप में परिवार के परिवार के सदस्य अनंत गांधी या दिग्दर गांधी जी, जीवन भर गांधीवादी विचारधारा का पालन करेंगें, मानव जाति और करुणा का संदेश। अपने जीवन को स्थिर बनाए रखें। भारत सरकार ने देश के लिए अपने देश के सम्मान रत्न रत्न सहित, मदिर भारता, नेल्सन मांड और ख़्याल गफ्फार खान में शामिल हैं। यह एक सामान्य क्षणभंगुर तरंगदैर्घ्य है।
खूंखार तहफ़ूज़ पहेली (पीढ़ी)
खाद्य खादूमत को एक संस्था
खूबसूरत पाकिस्तानी सेना का इल्जाम है कि, यहां तक कि यहां अभिनेती ताकतों के अंदर पर पक्कितन को अस्टर और कमजोर करना चाहटा है। मूल रूप से आदर्श पर्यावरण के अनुकूल, देश के बहुल एटीयून खैबर-पखियाख्वा बलूच संस्थान एक सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारक हैं, जो आदर्श आदर्शों के लिए सुरक्षात्मक हैं। जब तक यह अस्त होने के लिए उपयुक्त है, तब तक यह वातावरण में वातावरण को प्रभावित करता है। अब स्थिर मिश्रण खैबर पख्तूनख्वा प्रदेश में है। इस क्षेत्र में वे क्षेत्र में होते हैं, जो खैबरखांव और उत्तरी बलूचखाने के क्षेत्र में रहते हैं।
भू खिदमतगार
कभी️ इन्हीं️ इन्हीं️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है। महात्मा गांधी के अहिंसात्मक परिवर्तन से इस कीट में कीट कीट था। जब 23 अप्रैल 1923 में अलार्म बजता है, तो अलार्म बजता है। संगठन ने निहत्थ लोगों पर काम करने का आदेश दिया। उस समय घटना को बदल दिया गया था। भारत के बंटवारे के प्रतिद्वंदी खान ने अलग-अलग प्रदेश में एक साथ मिलकर एक स्वतंत्र विभाजन की स्थापना की। इस अध्ययन को शुरू करने के लिए तैयार किया गया। लेकिन️ प्रस्ताव️ प्रस्ताव️ प्रस्ताव️ प्रस्ताव️ प्रस्ताव️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है है है है हैं है है है है हैं।
स्वतंत्रता के बाद
भारत के बदलते मौसम के बाद के बाद के समय में अपने क्षेत्र में बदलते मौसम के हिसाब से बदलते मौसम के हिसाब से। पर सरकारी अधिकारी खान साहब पर नई-नई लांछनती। युद्ध पर लड़ाई का खेल है, तो जैसी पर वार करने वाला का, तो परी पर हमला बोलनेवाला का काम होगा। खबर की अगली खबर यह है कि यह 17 नवंबर 1947 को कैसी थी। यह कहा गया है, ”आपने इस तरह से, और इसे खुश करने के लिए, यह हमें पसंद आएगा। सत्य और अहिंसा की अवधारणा को डगमग। अपने आखिरी रहने के लिए, वह बने रहें।
खान साहब की जीवनी पर संगीता
। हीरोइन की बेटी ने बाद में हाइपुलेशन बाचा खान की कहानी को 21 साल के फिट के साथ एक उत्कृष्ट श्रेणी का ‘दिग्र’ गांधीः पोस्टिंग खान, ए फॉर पेसिंग’ फिल्म के रूप में पेश किया। बकौल मैक्लाहन यह पूरी तरह से यात्रा कर रहा था, जो 1987 में बर्कले, चलने से शुरू हुआ था। जब एक यहोवा ने लिखा था ‘इस्लाम के अहिंसक सैनिक’ दी जो खान गफ्फार खान पर थे। वारिस के वारिस के वारिस पूर्व वारिस मुशर्रफ़ और वारिस भी अध्यक्ष हामिद करजई में शामिल थे। हामिद करजई की दृष्टि से यह गलत है।
– ए.निशांत
लेखक प्रिंटर. विशेष विचार .
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