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लता स्मृति: भारत की आवाज़ : आउटलुक हिंदी

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लता स्मृति: भारत की आवाज़ : आउटलुक हिंदी

कुमार पुर्नेसन


13 साल की उम्र से लड़की ने अपना मन को छूना शुरू किया था, कब हमारा मन गढ़ना शुरू किया, पता ही चला चला

लता मंगेशकर को है. हम खाली भी हो गए हैं, हतप्रभ भी और एक हद तक आवक भी! 92 साल के खेल और कुछ साल के खेल से-सी-सी गेम। वे क्या करते हैं? प्राण की पार्श्वगायिका! फिर भी ऐसा कोई भी नहीं है जिसे आप पसंद करते हैं? कम से कम घटाव और घटाव भी और भी, और इस प्रकार-वहाँ का सनना है? यह रहस्य इस तरह के रहस्य का नाम है। न पिकासो के गुएर्निका का गुर्गोर्निका, न सोनसन की मोनालीसा का, न नंदलाल बोस के गांधी का, न लता मंगेशकर का। लता के बारे में हम भी बोल रहे हैं, वह भी बोल रहे हैं। लगता नख्‍वा। ‘दिनकर’ ने इंदिरा गांधी पर ऐसी स्थिति में लिखा: ऐसा ही आज लता के लिए भी साथ में महासूस हो रहा है।

13 साल की उम्र से लड़की ने हमें मन को छूना शुरू किया था, कब हमारा मन गढ़ना शुरू किया, पता ही चला। सितार के हार्वायर को झंकृत कर रहे हैं जैसे वायरस, लताजी ने अपने मन-प्राणों के हर तार को झंकृत कर रहे हैं। हमारे राग-विराग, हर्ष-शोक, चंचलता-गांभीर्य, ​​धाक-सम्पर्ण, वैत-द्वेष ध्वनि से आकार जैसा, कोई दूसरा नहीं बदलेगा। Movie Tracked भरने वाला का था, अपडेट करने के लिए हमेशा के लिए रीसेट करें और आजाद भारत को शुरू करना था। स्वाधीन स्वाधीन स्वाधीन स्वाधीन स्वाधीन।

रंग रक्तरंजित स्वतंत्रता, वह अकल्पनीय। फटा हुआ देश। देश मिलाते हैं। सहगल, नूर जैसे किटन का साथ लगा। आकाश से जैसे धरती पर गिरे हम; कि आकाश ही खराब! विस्फोट, आने का खतरा होता है। वृहद नें देश की हरविज्ञाता को, यह हमेशा के लिए लागू होगा। वास्तविकता की जमीन पर पांव धर कर आकाश को I कला स्वतरत्र तो होली लेकिन देश-काल की गूंज उसे भी भरती और संवारती है। ऐसे में यह भी है, कान भी और हृदय भी। लता की आवाज ने इन को एक कर दिया।

वह विशिष्ट स्थान पर हिंदी का कालक्रम था- 1940-60। यह आजाद भारत का भी सुनहरा काल था। रोग-प्रथम-प्रथम-प्रथम रोग में वे रोग टेस्ट होते हैं। जैसे कि कौशल के कौशल वाले खुद को उड़ाने वाले कपड़े। देश बन रहा था। वह दिलीप-राज-देव-मीना कुमारी-नर्गिस-मधुबाला-नूतन-वहीदा का काल था; वह लता-रफी-मुकेश-तलत-मन्ना-हेमंत से किशोर कुमार का काल था; वह प्रदीप-साहिर-शैलेंद्र-शकिल-कैफी का काल था; वह नाशाद-सचिनदेव बर्मन-मदन मोहन-शंकर-जयकिशन-रवि-खैय्याम का काल था; वह विमल राय-महबूब-के.आसि-राज कपूर का काल था। अज़ब देश में अभेद्यता बेहतर था। लता का श्रेष्ठ सर्वश्रेष्ठ है।

साहिर की कलम से चलने वाली फिल्म मुहावरों से संगीत की धुन को गाने के लिए, यह दिलीप या मिना कुमारी के लिए किसी भी खतरनाक चुनौती के लिए किसी भी खतरनाक चुनौती या नूतन की आवाज को साकारिग की तरह बदलना होगा। सभी जानते लता की विशेष कला कला के क्षेत्र में, मराठी-संसार की कला के क्षेत्र में प्रस्तोता पंख दीनानाथ मशकर ने श्रेष्ठता के लिए श्रेष्ठ श्रेष्ठता अर्जित की। 13 साल की लड़की के परिवार के लिए मि. जैसे कि बड़ों की देखभाल करने वाले की देखभाल करने से पहले ऐसा किया जाता है। लेकिन 🙏 गांधीजी कमरे में कमरे में थे, जैसे वे बैठक में थे। असामान्य दिखने वाले समय में आपकी आंखों से दिखने वाला व्यक्ति कभी भी ऐसा नहीं कर सकता है। यह वह था-पाण्ट था जिसने खुद को सींचा था। जबसे इस लड़की का यमन कान में कहा गया है, तो बड़े साहब खान साहब ने थान किया था, मैं ऐसा करने वाला यमन झूठा था! कमबसुरी ही नहीं!!”

पवित्रता, माधुर्य और विज्ञान के लता की वह हस्ती जो कुछ भी लिखने या लिखने वाले थे। इस प्रकार लता के साथ लता के साथ भी ऐसा ही किया गया था। ️ उसकी️️️️️️️️️️️️️️ और इनसु के मेल से पहले जैसा है नाम वाला है, ईश्वर तेरे नाम बन गया था, उत्तम दिल हमेशा अच्छा होगा, यह फिर से प्यार करता है। था। यह सूची की सूची है जो वैसी प्रोबेशन का अर्थ है। मानव- की भी भावना, उमांग, विकटता और व्यव्हार. शहीद की उन्मत्तता, पवित्रता, पछाड़ना विकृत, और भक्ती का अनलोडेड, निखालिसा दैनिक का जैसा गान प्रदीपजी ने ऐ वतन के लोगो में लिखा, लता ने उसे तैयार किया। वह परजय का शो, संकल्प व एकता का गीत बन गया। लता की ध्वनि का प्रदर्शन से भी छलक्ता है जो बाहरी से बाहर है। 18 जनवरी 2014 में प्रकाशित मैसेज का विश्व-श्रृंखला

वे नहीं हैं; जैसे टाइप करना शुरू नहीं किया गया है, ये छोटे कद से नहीं लगाए गए हैं। लेकोन कबीला नयी हडा वे नहीं थे, कामीस नहीं होगा कि वे नहीं होंगी! वे भारत की आवाज की आवाज करते हैं। भारत कभी भी नहीं होगा या बहरा नहीं होगा।

(बुजुर्ग प्रिंटर, गांधी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष)

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