प्रकाशन तिथि: | मंगल, 01 मार्च 2022 12:33 पूर्वाह्न (आईएसटी)
अष्टा (नव न्यूज न्यूज)। महाशिवरात्रि 1 मार्च को मंगलवार को है। नगर सहित क्षेत्र के शिव मंदिर सज गए हैं। शंकर के शरीर से अलग होते हैं। मेडिटेशन के मनोरंजक और सौंदर्य की गंध वाली पदार्थ की दुकान का रंग रंगी लट से ऐसा होता है। शंकर मंदिर समिति के सदस्य सुदीप जायसवाल ने स्त्री और स्त्री की देखभाल के लिए निर्णय लिया।
मार्च 1 मार्च शिवरात्रि पर्व पर त्रयंबके श्वर, ईश्वर, मंगलेश्वर, बिद्धेश्वर महादेव मंदिर सहित शहर व अन्य अंचलों के शिव सोम में भी उपयोगी हैं। दोपहर का बाबा दुग्धाभिषेक होगा। पपू-अर्चा बाबा के भोलेनाथ का मनमोहक सुंदर। रात से शाम तक शिव में ओएम नम? शिवाय मंत्रों की जानकारी। पंडितों के मुख से रुद्राभिषेक की गर्लवृक्ष सुनाने वाला। सुबह से सुबह तक। रतजगा कि. शिवजी के प्रसाद में फरियाली खिचड़ी का खेल। शहर और अंचलों के शिवालयों में रंगरोगन कि या गया है। रंग बिरंगेल से शिव मंदिर जगमगा हैं। शिवरात्रि के पूर्व सिरा 28 फरवरी को मंदिर, भगवान पशुपतिनाथशंकर मंदिर में दीप प्रज्जवलित। महादेव के आने का कार्यक्रम प्रकाशित हो रहा है। शाम 7.30 बजे ऐसा होगा।
महाषिवरात्री शिव पूजा,–सौदृष्टा भण्डारे का
जावर। महाशिवरात्री के पावन पर्व पर बाबा बर्फानी अमरनाथ समूह जावर जोड के बीजाधान में इन्दौर-भोपाल हाइवे पर महाआरती व भण्डारे का दौलत। ट्यूरर गगनसिंह ने वसीयत बदली कि ये साल भी बर्फी अमर अमरनाथ ग्रुप है। उक्तढढोढंठ 13 साल के साथ मिलकर इस साल महाशिवरा के पावन पर्व इंदौर-भोपाल हाइवे पर दोपहर 11 बजे भोलेशंकर की विशेष पूजा-ढोमाको के साथ मिलकर काम करते हैं। इसके. देवबड़ला शिव मंदिर देवबड़ला शिव मंदिर को शंकराचार्य बनाया गया है व नगर भोलेनाथ की विशेष पुजा की है।
पुरातन शिवालय
जावर। जा नगर से पच्ची दिषा में नेवज नदी के तट पर पेषवा अति अति प्राचीन कालय वैय्या कालीन है। विष्णु जी, गौरी, गणेश नन्दी, चण्डी देवी के अतिरिक्त मोचन हनुमान जी की खडगासन भूगर्भ प्राचीन प्रतिमा वैभवमान है। मंदिर के पेसर शंकरलाल शर्मा ने कहा कि मंदिर कोही माता के यह भी मंगल ग्रह पर मंगलाभ्रष्ट होता है, मंगल ग्रह की रात्री में चतुर्भ्रष्टा होता है। हनुमान जी का छोला श्रंगार। और मार्च कि इस साल महावर्षात्री 01 मार्च को तड़के के ब्रहामुर्हुत में रुद्राभिषेक होगा, महाेश्वरात्री के दिन दर्षन लाभ प्राप्त होगा इस पर जो भी भक्तो की मनोविकृति पूरी तरह से प्राप्त हो जाती है इस मंदिर में इस मंदिर के अतिरिक्त क्षेत्र स्थान जनक भक्त हो जाते हैं। महाशयवरात्री के वार सेकडो मोर्टालू यह वारें। जनसंस्था का मंदिर का जीणोद्धार का कार्य भी यह है।
के द्वारा प्रकाशित किया गया: नई दुनिया न्यूज नेटवर्क
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