Home मनोरंजन अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस 2022 किताबों से दूरी बचपन से मोबाइल में खो जाना – अंतरराष्ट्रीय बाल बुक दिवस विशेष: बचपन से बचपन

अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस 2022 किताबों से दूरी बचपन से मोबाइल में खो जाना – अंतरराष्ट्रीय बाल बुक दिवस विशेष: बचपन से बचपन

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अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस 2022 किताबों से दूरी बचपन से मोबाइल में खो जाना – अंतरराष्ट्रीय बाल बुक दिवस विशेष: बचपन से बचपन

सर

अंतिम बाल दिवस आज 2 अप्रैल के लिए जा रहा है। हमारे जीवन में …

खबर

चंदामामा, नंदन, चंपक…। कुछ इसी तरह के साक्षात्कार से। मीडिया की पत्रिकाएं प्रकाशित हो चुकी है।. इन टेबलों की जांच-पड़ताल करने के लिए मोबाइल और मोबाइल डेटा में डायल्स होते हैं।

पंचतंत्र में पशु चिकित्सक-पैक्टिक्स की शिक्षा की कहानी भी सही, ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ बाल साहित्य के रूप में रंग-बिरंगी स्टाइल में, साहसी, घातक जैसे वैसी पसंद, वैट वैट में मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर और क्लासिक्स के बीच में बैठने के लिए स्टाइल में होंगे।

20 साल के लिए

. . बोले कि बच्चन की कितो को खारीदने तो एकाओडो पॉन्ने के लिए भी ही इक्कका-दुक्का लोक हों। पांच-सात । बाल साहित्य की किताबें मोटी बिकती हैं। माता-पिता की बच्चे की किताब, अखबार की किताब था। लेकिन भर में क्या करें। पहले से ही बिक्री के लिए बेचती हैं 20. बार-बार होने से संक्रमण हो रहा है। अब हम बाल भी बहुत कम हैं।

घर में बनाए गए पादप

️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️❤️ चंदा मामा… जल की रानी है… कविताएं और बाल भारत, पाग, नंदन जैसे के लिए हम लालित रहते हैं। लेकिन अखबारों में छपे हुए अखबारों को पढ़ा जाता है। माता-पिता के लिए भी बुक, बाल साहित्य लाकर। घर में प्रकाशित होने वाली किताबें और अखबारों में रुचि रखने वाले लोग।

कक्षा से दूर

– मोबाइल से संपर्क बढ़ा।
– इंटरनेट पर खोज की कार्य विधि।
– ऑनलाइन परीक्षा ने भी परीक्षा दी।
– समाचार पत्र-पत्रिकाएं कम हो जाएं।
– अन्य सामान्य नियम

माता-पिता भी

मिथिला के गांधी गांधी मंदिर जाने वाले दिमित्रिका प्रसाद मही ने बाल साहित्य पर 26ेश्वरम में। अमागौर कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर विनोद कुमार माहेश्वरी के बच्चे की कविताएं क्रम में शामिल हैं। . अब तक के पास अन्य वैकल्पिक हैं। में रुचि रखते हैं। माता-पुस्तक भी उनमें पांडेकारों से अल्लावा पुस्तक आगे बढ़ने के लिए पेरिंथ नहीं।

मोबाइल फोन का स्थान

टीवी, इंटरनेट और मोबाइनों ने इस स्थिति को ठीक किया। सामाजिक स्तर पर विचार-विमर्श किया गया है । अब परीक्षा भी मोबाइल पर होना है। अलग-अलग समय के लिए अलग-अलग तरह से इसके

ज्ञान में है, मोबाइल में नहीं

बाल साहित्यकार डॉ. सूर सिंह ने कहा कि बाल साहित्य की किताबों को पढ़ने के लिए और माता-पिता पढ़ते हैं। अभिलेखों की प्रविष्टियां। ज्ञान में है न कि मोबाइल और टेलीविजन में।

भविष्य से ही अच्छा होगा

साहित्यकार डॉ. I मोबाइल पर हमेशा इसी तरह की परीक्षा होती है।

ये अखबार हों बंद

प्राग
नंदन
शेष सखा
वनर
शिशु

किसी भी तरह का व्यवहार न करें

️ नौ️ नौ️ नौ️ नौ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️❤ इस तरह से घड़ी की तरफ़। बाल साहित्य में कुछ नहीं है। क्लास 10वीं कक्षा के छात्र उत्कर्ष वर्मा का कहना है कि अधिक पढ़ सकते हैं। कोई बात नहीं। इसके

कटि

चंदामामा, नंदन, चंपक…। कुछ इसी तरह के साक्षात्कार से। मीडिया की पत्रिकाएं प्रकाशित हो चुकी है।. इन टेबलों की जांच-पड़ताल करने के लिए मोबाइल और मोबाइल डेटा में डायल्स होते हैं।

पंचतंत्र में पशु चिकित्सक-पैक्टिक्स की शिक्षा की कहानी भी सही, ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ बाल साहित्य के रूप में रंग-बिरंगी स्टाइल में, साहसी, घातक जैसे वैसी पसंद, वैट वैट में मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर और क्लासिक्स के बीच में बैठने के लिए स्टाइल में होंगे।

20 साल के लिए

. . बोले कि बच्चन की कितो को खारीदने तो एकाओडो पॉन्ने के लिए भी ही इक्कका-दुक्का लोक हों। पांच-सात । बाल साहित्य की किताबें मोटी बिकती हैं। माता-पिता की बच्चे की किताब, अखबार की किताब था। लेकिन भर में क्या करें। पहले से ही बिक्री के लिए बेचती हैं 20. बार-बार होने से संक्रमण हो रहा है। अब हम बाल भी बहुत कम हैं।

घर में बनाए गए पादप

️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️❤️ चंदा मामा… जल की रानी है… कविताएं और बाल भारत, पाग, नंदन जैसे के लिए हम लालित रहते हैं। लेकिन अखबारों में छपे हुए अखबारों को पढ़ा जाता है। माता-पिता के लिए भी बुक, बाल साहित्य लाकर। घर में प्रकाशित होने वाली किताबें और अखबारों में रुचि रखने वाले लोग।


कक्षा से दूर

– मोबाइल से संपर्क बढ़ा।

– इंटरनेट पर खोज की कार्य विधि।

– ऑनलाइन परीक्षा ने भी परीक्षा दी।

– समाचार पत्र-पत्रिकाएं कम हो जाएं।

– अन्य सामान्य नियम

माता-पिता भी

मिथिला के गांधी गांधी मंदिर जाने वाले दिमित्रिका प्रसाद मही ने बाल साहित्य पर 26ेश्वरम में। अमागौर कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर विनोद कुमार माहेश्वरी के बच्चे की कविताएं क्रम में शामिल हैं। . अब तक के पास अन्य वैकल्पिक हैं। में रुचि रखते हैं। माता-पुस्तक भी उनमें पांडेकारों से अल्लावा पुस्तक आगे बढ़ने के लिए पेरिंथ नहीं।

मोबाइल फोन का स्थान

टीवी, इंटरनेट और मोबाइनों ने इस स्थिति को ठीक किया। सामाजिक स्तर पर विचार-विमर्श किया गया है । अब परीक्षा भी मोबाइल पर होना है। अलग-अलग समय के लिए अलग-अलग तरह से इसके

ज्ञान में है, मोबाइल में नहीं

बाल साहित्यकार डॉ. सूर सिंह ने कहा कि बाल साहित्य की किताबों को पढ़ने के लिए और माता-पिता पढ़ते हैं। अभिलेखों की प्रविष्टियां। ज्ञान में है न कि मोबाइल और टेलीविजन में।

भविष्य से ही अच्छा होगा

साहित्यकार डॉ. I मोबाइल पर हमेशा इसी तरह की परीक्षा होती है।

ये अखबार हों बंद

प्राग

नंदन

शेष सखा

वनर

शिशु

किसी भी तरह का व्यवहार न करें

️ नौ️ नौ️ नौ️ नौ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️❤ इस तरह से घड़ी की तरफ़। बाल साहित्य में कुछ नहीं है। क्लास 10वीं कक्षा के छात्र उत्कर्ष वर्मा का कहना है कि अधिक पढ़ सकते हैं। कोई बात नहीं। इसके

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