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    एटम्स से भविष्य का निर्माण — जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल मटेरियल साइंस कॉन्फ्रेंस (आईएएमएसएसजी 2025) शुरू

    9 hours ago

    –एआई से एबीआई तक: प्रो. कुलकर्णी का मटेरियल साइंस पर अनोखा दृष्टिकोण

    –विज्ञान और भविष्य का सस्टेनेबल संगम: सस्टेनेबल गोल्स को शक्ति दे रही आईएएमएसएसजी 2025 कॉन्फ्रेंस, जेईसीआरसी

    –सोचो, बनाओ, और बचाओ — मटेरियल साइंस बनी सस्टेनेबल रिवॉल्यूशन की पहचान

    जयपुर। जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी में बुधवार को 3 दिवसीय इंटरनेशनल मटेरियल साइंस कॉन्फ्रेंस–'इनोवेशन, एडवांसेज इन मटेरियल साइंस फ़ॉर सस्टेनेबल गोल्स 2025' (आईएएमएसएसजी) का शुभारंभ हुआ। इसका मुख्य फोकस मटेरियल साइंस इनोवेशन्स को यूनाइटेड नेशंस के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) से जोड़ना है।

     

    कॉन्फ्रेंस के इनॉग्रल सैशन में मुख्य अतिथि, प्रो. गिरिधर यू. कुलकर्णी (फॉर्मर प्रेसिडेंट- जेएनसीएएसआर, एडजंक्ट प्रोफ़ेसर- सीईएनएस, बेंगलुरु) ने ’एआई इज नॉट सस्टैनेबल— व्हॉट वी नीड़ इज़ एबीआई (आर्टिफ़िशियल बायोलॉजिकल इंटेलिजेंस)’

    जैसे टोपिक्स पर कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए जेईसीआरसी को सराहते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि मटेरियल साइंस और सस्टेनेबिलिटी एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। एक महत्वपूर्ण फैक्ट साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा डिजिटल फुटप्रिंट आज वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन में एविएशन इंडस्ट्री के लगभग बराबर पहुँच गया है, जिसे युवा पीढ़ी बायोलॉजी से प्रेरणा लेकर व प्रकृति की मिमिकरी करके एक नई, कुशल और सस्टेनेबल तकनीक विकसित कर सकती है।

     

    पहले दिन के ऐकडेमिक सेशंस को आगे बढ़ाते हुए, गेस्ट ऑफ़ ऑनर, प्रो. ताकायुकी इचिकावा (हिरोशिमा यूनिवर्सिटी, जापान) ने हाइड्रोजन को भविष्य का महत्वपूर्ण एनर्जी कैरीअर के रूप में प्रस्तुत कर, सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए एनर्जी स्टोरेज और कार्बन रीसाइक्लिंग टेक्निक्स में मटेरियल साइंस की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार साझा किए।

     

    वहीं, कीनोट स्पीकर, प्रो. पीटर माकग्वाने (इंस्टिट्यूट ऑफ़ कैटेलिसिस & एनर्जी सॉल्यूशंस, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ अफ्रीका) ने एनर्जी एप्लिकेशंस के लिए नए कैटेलिटिक मैटेरियल्स के इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट और वैश्विक चुनौतियों के समाधान में उनकी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने दर्शाया कि कैसे मटेरियल डिज़ाइन से लेकर डिवाइस इंटीग्रेशन तक का दृष्टिकोण सस्टेनेबल केमिकल कन्वर्ज़न प्रोसेसेस को सक्षम कर सकता है।

     

    इस कॉन्फ्रेंस में प्रो. एस ए शेरिफ (यूएसए), और प्रो. मोन-शु हो (ताइवान) जैसे 30 से अधिक टॉप साइंटिस्ट्स द्वारा कीनोट, प्लेनरी और इनवाइटेड टॉक सेशन्स भी होंगे। इनके साथ ही आईआईटी, एनपीएल, सीएसआईआर, आईयूएसी जैसी राष्ट्रीय लैबोरेटरीज और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ के प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिकों समेत लगभग 150 रिसर्च स्कॉलर, पोस्ट-ग्रेजुएट स्टूडेंट्स और फैकल्टी सदस्य शामिल हुए हैं।

     

    इस सत्र के दौरान बुक ऑफ एब्स्ट्रेक्ट्स को भी रिलीज़ किया जिसमें इनवाइटेड स्पीकर्स, ओरल व पोस्टर प्रेजेंटेशन को मिलकर कुल 170 रिसर्च एब्स्ट्रेक्ट्स शामिल हैं जो कॉन्फ्रेंस के अकादमिक लेवल को दर्शाते है।

     

    कन्वीनर प्रो. प्रणव सक्सेना और को-कन्वीनर डॉ. शिवानी अग्रवाल ने कहा कि आईएएमएसएसजी 2025 जैसे मंच न केवल वैज्ञानिक विमर्श को बल देते हैं, बल्कि सीमाओं से परे एक साझा सस्टेनेबल विज़न का निर्माण भी करते हैं। जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी आगे भी विज्ञान को समाज और वैश्विक विकास से जोड़ने का सेतु बनी रहेगी।

     

    अगले दो दिनों में, आईएएमएसएसजी 2025 में टेक्निकल सेशन, ओरल एवं पोस्टर प्रेजेंटेशन, और रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आरएससी), अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स (आईएपीटी) द्वारा स्पॉन्सरशिप और पुरस्कार वितरण शामिल होंगे। प्रतिभाशाली रिसर्चर्स को यंग राइजिंग रिसर्चर अवार्ड और कैश प्राइजेस से सम्मानित किया जाएगा। साथ ही, चयनित और क्वॉलिटी रिसर्च पेपर्स को स्कोपस इंडेक्स जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।

     

    ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ अभिषेक शर्मा एवं डॉ हरिओम पवार ने अवगत कराया कि सभी पार्टिसिपेंट्स के लिए इनवाइटेड लेक्चर्स काफी प्रेरणादायक रहे जो कि आने वाली रिसर्चेज़ को नई दिशा देंगे।

     

    यह सम्मेलन रिसर्चर, एकेडमिशियंस और इंडस्ट्री प्रोफेशनल को नेटवर्क बनाने और सस्टेनेबल भविष्य के लिए सहयोग करने का अनूठा अवसर दे रहा है।

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