वडोदरा: बालरक्षक प्रतिष्ठान महाराष्ट्र की गुजरात इकाई द्वारा आयोजित महात्मा गांधी राष्ट्रीय शैक्षणिक सम्मेलन एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन वडोदरा चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के वाणिज्य भवन सभागार में भव्य रूप से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
मुख्य अतिथि और वक्ता ने शिक्षकों को किया सम्मानित
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जयप्रकाश सोनी, अध्यक्ष वडोदरा शहर, और मुख्य वक्ता जनक सिंह मीना उपस्थित रहे, जबकि अध्यक्षता रमेश कोठारी ने की। इस अवसर पर प्रोफेसर जनक सिंह मीना ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोई भी शिक्षक सामान्य नहीं होता, बल्कि वह भविष्य की पीढ़ियों को तैयार कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गांधी चिंतन और मूल्य आधारित शिक्षा का महत्व
प्रो जनक सिंह मीना ने कहा कि आज की आवश्यकता है कि महात्मा गांधी के चिंतन और विचारों को न केवल पढ़ाया जाए, बल्कि अपने जीवन में अपनाया जाए। उनके विचार सत्य, अहिंसा, सर्वोदय और अंत्योदय की प्रेरणा देते हैं, जिन्हें शिक्षकों को अपने शिक्षण और व्यक्तिगत जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
शिक्षकों को समर्पित कविता ने बढ़ाया उत्साह
समारोह में उन्होंने शिक्षकों के लिए एक प्रेरणादायक कविता भी प्रस्तुत की:
"बढ़ो शिक्षको बढ़ो, तुम्हें तालीम नई अपनानी है,
हर बालक के लिए स्वार्थ में पतित नहीं होने देना,
निस्वार्थ भावना पैदा कर कर्तव्यपरायणता लाना,
अमर महात्मा गांधी के सपने साकार बना लाना,
आज तुम्हें ये नाजुक कलियां चंदा सी चमकानी है,
बढ़ो शिक्षको बढ़ो तुम्हें तालीम नई अपनानी है।"
इस कविता के माध्यम से उन्होंने शिक्षकों को देश के भविष्य को संवारा करने की जिम्मेदारी का अहसास कराया।
भारत की उदारवादी दृष्टि और वैश्विक मानवता
प्रो मीना ने आगे कहा कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा से उदारवादी रहा है और मानवता के प्रहरी की भूमिका निभाता आया है। हमारा दृष्टिकोण विश्वव्यापी है और हम पूरी दुनिया को "वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना से देखते हैं।
देशभर के शिक्षकों का सम्मान
इस कार्यक्रम में देशभर से आए शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में मुख्य संयोजक धर्मेशभाई जोशी, मनोज चिंचोरे, नरेश वाघ, स्मिताबेन राणा, चेतनाबेन जोशी, निकिताबेन पटेल और लिलाबेन ठाकरडा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
समापन और संदेश
कार्यक्रम का समापन शिक्षक और समाज को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने वाले संदेश के साथ हुआ। आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षक केवल शिक्षा देने वाले नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माणकर्ता और गांधी चिंतन के वाहक भी हैं।
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