जयपुर। युवाओं में सस्टेनेबल फ्यूचर के निर्माण की अलख जगाने के उद्देश्य से जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के 'सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी’ ने 'रिस्पायर 25' का आयोजन किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में देश के जाने-माने विशेषज्ञों के कीनोट सेशंस, राउंड टेबल कांफ्रेंस, और कई कंटेस्ट्स भी सम्मिलित थे, साथ ही सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी का ऑफिशियल इंडक्शन भी हुआ।बिल्डिंग ड्रीम करियर: फ्रॉम क्लासरूम टू बोर्डरूम एवं बियोंड द एजुकेशन बबल: हाओ हाइयर एजुकेशन केन ड्राइव कम्युनिटी सस्टेनेबिलिटी जैसी इकोलॉजिकल थीम्स पर इस इवेंट ने उड़ान भरी।
सस्टेनेबिलिटी को भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण रास्ता बताते हुए, फॉर्मर इसरो साइंटिस्ट व सस्टेनेबिलिटी स्पेशलिस्ट पंक्ति पांडे ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी केवल पेड़ लगाने तक सीमित नहीं, बल्कि सोच और व्यवहार में मौलिक बदलाव लाना है। उन्होंने 'कार्बन फुटप्रिंट' को 'इंविज़िबल कचरा' बताते हुए, मिनिमलिस्ट लाइफ़स्टाइल अपनाने पर जोर दिया।
यूएन वुमन की स्टेट कोऑर्डिनेटर, डॉ. मुक्ता अरोड़ा ने एसडीजी को व्यक्तिगत ज़रूरतों से जोड़ते हुए समझाया कि 'जेंडर' समाज द्वारा बनाई गई भूमिकाएं हैं, न कि कोई जैविक नियम। वहीं, सीएसआर लीडर, यूएन रिप्रेजेंटेटिव, सृष्टि दुबे ने भारत में एचआईवी से प्रभावित लोगों, विशेषकर एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के संघर्षों को साझा करते हुए ह्यूमन रिसोर्सेस और भावनात्मक शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।
इसके साथ ही, डिजिटल वर्ल्ड के चैलेंजेज को समझाते हुए भारती केओरा (आउटरीच एंड रिलेशनशिप्स, सस्टेनेबल ग्रीन इनिशिएटिव्स) और उनकी असिस्टेंट मधुमिता मज़ूमदार ने रेस्पोंसिबल कंटेंट क्रिएशन और पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन की बात की।
राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में एक्सपर्ट्स ने इस बात पर खास ज़ोर दिया कि कैसे हर छात्र को, आगे बढ़ने और लीड करने का मौका दिया जाना चाहिए। चर्चा में यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों, और गिरते अटेंशन स्पैन पर भी प्रकाश डाला।
'रिस्पायर 25' में आयोजित छह अनूठी प्रतियोगिताओं ने छात्रों को सस्टेनेबिलिटी प्रिंसिपल्स को क्रिएटिव एवम प्रैक्टिकल तरीके से सीखने का अवसर दिया। 'सस्टेनेबल स्टाइल फैशन कॉन्टेस्ट' में रीसाइकल्ड मटेरियल से बने इको-फ्रेंडली फैशन का प्रदर्शन हुआ, तो 'रील/मीम कॉन्टेस्ट' ने एसडीजी पर मनोरंजक संदेश दिए। 'ज़ीरो वेस्ट कुकिंग कॉन्टेस्ट' ने कम से कम कचरे के साथ भोजन बनाने की कला सिखाई, जबकि 'मार्केट मेहेम' के माध्यम से छात्रों ने क्वालिटेटिव एजुकेशन के महत्व को प्रैक्टिकल रूप से समझा। इसके अलावा, 'पॉलिसी ड्राफ्टिंग हैकथॉन' और वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक्स पर आधारित 'इको-ट्रेस' जैसे आइडियाथॉन ने छात्रों को गंभीर समस्याओं के पॉलिसी बेस्ड सॉल्यूशंस खोजने के लिए प्रेरित किया। और अंत में सस्टेनेबिलिटी को हर एक तक पहुंचाने के लिए ‘ईको ओपन माइक’ का प्रबंध किया गया।
जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर, अर्पित अग्रवाल ने यूथ से यूएन के 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को समझने और छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने ने रिस्पायर के अगले वर्ज़न से पहले पूरे राजस्थान में 5 लाख पेड़ लगाने का संकल्प लिया, सस्टेनेबिलिटी पर काम करने वाले छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और एकेडेमिक क्रेडिट की घोषणा की, एक विशेष सस्टेनेबिलिटी लैब की स्थापना और ग्रीन स्टार्टअप्स के लिए 20 लाख रुपये के फंड का भी ऐलान किया।
यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि ऐकडेमिक इंस्टीट्यूशंस की भूमिका केवल डिग्री देने तक सीमित नहीं, बल्कि एक बेहतर और सस्टेनेबल भविष्य के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना भी है।
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