जयपुर।
बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने और शैक्षणिक दिनों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग एक बड़े नवाचार की तैयारी कर रहा है। इसके तहत अगले शैक्षणिक सत्र को 1 अप्रैल से शुरू करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
इस संबंध में शिक्षा संकुल में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें विभाग के उच्चाधिकारियों और शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने नए शैक्षणिक सत्र की योजना पर विस्तार से मंथन किया।
शिक्षण गुणवत्ता और समय में वृद्धि का लक्ष्य
बैठक में शिक्षा सचिव ने बताया कि नया शैक्षणिक सत्र एनईपी 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप शिक्षण को और प्रभावी बनाने में मदद करेगा। इससे न केवल शैक्षणिक दिनों की संख्या 180 से बढ़कर 210-220 तक पहुंचेगी, बल्कि विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलेगा।
साथ ही, सीबीएसई के शैक्षणिक कैलेंडर से तालमेल स्थापित होने से विद्यालयों में नामांकन दर में भी सुधार की संभावना बढ़ जाएगी। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं को भी गंभीरता से सुना और उनका शीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया।
परीक्षा, पुस्तक वितरण और शिविरा में बदलाव की तैयारी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने उपस्थित प्रतिनिधियों से सुझाव आमंत्रित किए और कहा कि विभाग आवश्यक सहयोग सुनिश्चित करेगा। उन्होंने परीक्षा तिथियों, पुस्तक वितरण और स्कूलों में शिविरा की तिथियों में संभावित परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला।
चर्चा के मुख्य मुद्दे
बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें प्रमुख थे:
• राजकीय विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के उपाय
• ओरल रीडिंग फ्लूएंसी (ORF) और बुनियादी साक्षरता व सांख्य ज्ञान (FLN) को मजबूत करना
• शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम की प्रगति
• सभी विद्यालयों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं के संचालन को सुनिश्चित करना
अभिभावक जागरूकता को प्राथमिकता
शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने नए नवाचार को सफल बनाने के लिए अभिभावक जागरूकता अभियान पर जोर दिया। उनका मानना है कि अगर समय पर सभी अभिभावकों को जानकारी मिल जाए, तो बच्चों का शैक्षणिक अनुभव और भी बेहतर होगा।
भविष्य की दिशा
शिक्षा विभाग का यह कदम बच्चों के लिए अधिक शिक्षण समय, गुणवत्ता और उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। नई योजना के लागू होने के बाद उम्मीद है कि शिक्षा प्रणाली में स्थायी सुधार और विद्यार्थियों की सफलता दर में भी वृद्धि होगी।
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