पीसीबी अध्यक्ष और एसीसी प्रमुख मोहसिन नकवी ने बीसीसीआई को भेजा जवाब — कहा, भारत के प्रतिनिधि को दुबई आकर ही लेनी होगी ट्रॉफी; मामला अब आईसीसी के दरवाजे तक पहुंचा
एशिया कप 2025 खत्म हो चुका है, लेकिन उसकी ट्रॉफी को लेकर नया विवाद उभर आया है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) अध्यक्ष और एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के मुखिया मोहसिन नकवी ने खुद से ट्रॉफी सौंपने की जिद ठान ली है। नकवी का कहना है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और भारतीय टीम के प्रतिनिधि को दुबई आकर ट्रॉफी उनके हाथों से ही लेनी होगी।
भारत ने इस साल एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब अपने नाम किया था, लेकिन भारतीय टीम ने मोहसिन नकवी के हाथों से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था। अब यह मामला इतना बढ़ गया है कि दोनों बोर्ड — बीसीसीआई और पीसीबी — अगले महीने होने वाली आईसीसी बोर्ड मीटिंग में आमने-सामने आ सकते हैं।
नकवी की शर्त — ‘ट्रॉफी खुद से ही दी जाएगी’
बीसीसीआई ने हाल ही में नकवी को एक औपचारिक ईमेल भेजकर ट्रॉफी भारत को सौंपने की प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया था।
इसके जवाब में नकवी ने लिखा कि वह 10 नवंबर को दुबई में एक विशेष समारोह आयोजित करना चाहते हैं, जिसमें बीसीसीआई का कोई पदाधिकारी और भारतीय टीम का कोई भी उपलब्ध खिलाड़ी आकर उनसे ट्रॉफी ग्रहण करे।
नकवी ने अपने पत्र में कहा,
“एसीसी ट्रॉफी भारतीय टीम की है, लेकिन यह तब तक ट्रस्ट में रखी जाएगी जब तक बीसीसीआई का कोई प्रतिनिधि इसे औपचारिक रूप से एसीसी अध्यक्ष से प्राप्त नहीं करता। स्थापित परंपराओं से हटना खेल की भावना के विपरीत होगा।”
बीसीसीआई का रुख सख्त, आईसीसी में उठेगा मुद्दा
बीसीसीआई को नकवी के इस रवैये से आपत्ति है और उसने साफ संकेत दिए हैं कि यह विवाद अब आईसीसी की आगामी बैठक में उठाया जाएगा।
भारत को इस मामले में श्रीलंका और अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्डों का समर्थन भी प्राप्त है। दोनों बोर्डों का मानना है कि एसीसी अध्यक्ष के पद का उपयोग किसी व्यक्तिगत प्रदर्शन या राजनीतिक संदेश के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों में चल रहे तनाव को और गहरा कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई इस मामले को “खेल की मर्यादा से जुड़ा मुद्दा” बताते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर चुका है।
पीसीबी ने कानूनी तैयारी शुरू की
दूसरी ओर, पीसीबी ने भी स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अपने कानूनी विभाग को डोजियर तैयार करने का निर्देश दिया है।
सूत्रों के अनुसार, यदि बीसीसीआई आईसीसी बोर्ड मीटिंग में नकवी के खिलाफ औपचारिक शिकायत या निंदा प्रस्ताव लाता है, तो पीसीबी दस्तावेज़ी साक्ष्यों के साथ जवाब देने की तैयारी में है।
पीसीबी का दावा है कि पुरस्कार वितरण समारोह से पहले बीसीसीआई की ओर से किसी तरह की “औपचारिक आपत्ति” दर्ज नहीं कराई गई थी, और टीम इंडिया ने अंतिम क्षणों में ट्रॉफी न लेने का निर्णय किया, जिससे कार्यक्रम में विलंब हुआ।
नकवी का पलटवार — ‘एसीसी राजनीति में नहीं पड़ेगा’
नकवी ने अपने जवाब में कहा,
“एसीसी का कार्यालय किसी तुच्छ राजनीति में शामिल नहीं होगा, जिसका उद्देश्य कुछ चरमपंथी समूहों को खुश करना हो। हमारा उद्देश्य खेल की परंपरा और सम्मान को बनाए रखना है।”
उनका कहना है कि समारोह के दौरान मंच पर सभी विशिष्ट अतिथि मौजूद थे, लेकिन बीसीसीआई के प्रतिनिधि ने आखिरी क्षण में सूचना दी कि भारतीय टीम ट्रॉफी नहीं लेगी।
अब नजरें आईसीसी पर
अब यह पूरा मामला आईसीसी की नवंबर बैठक में चर्चा के लिए तय माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ, तो आईसीसी को इस ट्रॉफी विवाद पर अंतिम फैसला देना पड़ सकता है।
फिलहाल ट्रॉफी एसीसी के पास “ट्रस्ट में” रखी गई है और नकवी चाहते हैं कि भारत औपचारिक रूप से दुबई जाकर इसे ग्रहण करे।
एशिया कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की ट्रॉफी अब कूटनीतिक विवाद का प्रतीक बन गई है। क्रिकेट प्रेमी यह उम्मीद कर रहे हैं कि आईसीसी जल्द हस्तक्षेप कर इस विवाद को खत्म करे, ताकि एशियाई क्रिकेट फिर से मैदान के रोमांच पर लौट सके — ना कि राजनीति के पन्नों पर।