SEARCH

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    गुरु का गौरव, करुणा का आलोक प्रो. वाई. एस. रमेश की प्रेरणादायी जीवनयात्रा संस्कृत के साधक, शिक्षा के संन्यासी 38 वर्षों की अविराम साधना का अमर अध्याय

    11 hours ago

    जयपुर।

    केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर के निदेशक प्रोफेसर वाई. एस. रमेश अपनी 38 वर्षों की गौरवपूर्ण राजकीय सेवा पूर्ण कर आज सकुशल सेवानिवृत्त हुए। उनका जीवन केवल शिक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और संस्कार का सजीव उदाहरण है। वे सच्चे अर्थो में उन गुरुओ में से है जो केवल पाठ नही, बल्कि जीवन का उद्देश्य सिखाते है। उनकी वाणी में ज्ञान का तेज और हृदय में करुणा की निर्मल धारा प्रवाहित होती है।

     

    *संस्कृत साधना का संन्यास*

    31 जुलाई 1987 से प्रारंभ हुई उनकी शिक्षायात्रा में प्रो. रमेश ने संस्कृत को केवल भाषा नही, बल्कि जीवन-संस्कृति, दर्शन और आचरण का आधार माना। उन्होंने अपने विद्यार्थियो में यह चेतना जगाई कि संस्कृत आज भी विचार और व्यवहार दोनो में जीवंत है। उनके मार्गदर्शन में असंख्य विद्यार्थियो ने संस्कृत संभाषण में दक्षता प्राप्त की और देश–विदेश में संस्कृत का गौरव बढ़ाया।

     

    *श्रद्धा से ओतप्रोत विदाई समारोह अपने प्रिय गुरू को विदाई देने उमड़े पूर्व छात्र*

    सेवानिवृत्ति के अवसर पर जयपुर परिसर में भावनाओं से भरा समारोह आयोजित हुआ। छात्रों ने पुष्पवर्षा से उनका स्वागत किया और धर्मपत्नी श्रीमती राधा रमेश के साथ उन्होंने ‘अशोक वृक्ष’ का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने सेवा बस्ती के बच्चों को अध्ययन सामग्री वितरित की। अभिनन्दन ग्रन्थ का विमोचन हुआ और विद्यार्थियों ने उन्हें 21 किलो की माला तथा चाँदी की प्रतिमा भेंट कर भावभीनी विदाई दी। पूर्व छात्रों ने 51 हजार रुपये विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद युवनिधि कोष प्रदान की।

     

    *करुणा और परोपकार का प्रतिमान*

    प्रो. रमेश ने सदैव निर्धन विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता की — फीस भरवाई, पुस्तकें उपलब्ध कराईं और आवास की व्यवस्था की। उन्होंने यह सिद्ध किया कि गुरु केवल शिक्षक नहीं, बल्कि सहारा देने वाला करुणामय पथप्रदर्शक होता है।

     

    पुरस्कार और परोपकार

    संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें संस्कृत साधना सम्मान, संस्कृत विद्वत् सम्मान, SGVP अहमदाबाद और मध्य प्रदेश सरकार से सम्मान मिला। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति पुरस्कार योजना के अंतर्गत प्राप्त “शिक्षा विभूषण” पुरस्कार की ₹1,00,000 राशि उन्होंने “स्वामी विवेकानंद युवा निधि” में दान कर दी — जो उनके त्याग और सेवा भाव का अनुपम उदाहरण है।

     

    ज्ञान, संस्कार और नवाचार के वाहक

    प्रो. रमेश ने आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को संस्कृत के अनुरूप ढालते हुए संवादात्मक प्रशिक्षण प्रणाली को प्रोत्साहित किया। वे संस्कृत, हिन्दी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में निपुण हैं। उन्होंने NEP–2020 के अनुरूप बालवाटिका से अष्टम तक की संस्कृत पुस्तकों का पुनर्गठन किया। उनके निर्देशन में 17 शोधार्थियों ने पीएच.डी. प्राप्त की, 8 ग्रंथ और 20 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए, साथ ही 50 से अधिक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्होंने प्रमुख प्रशिक्षक के रूप में सेवा दी।

     

    गुरु के रूप में युगपुरुष

    प्रो. रमेश ने शिक्षा को सेवा, समर्पण और साधना का रूप दिया। उनके अनुसार — “संस्कृत केवल भाषा नहीं, यह जीवन दृष्टि है।” उनकी शिक्षायात्रा ने हजारों छात्रों के जीवन में आलोक फैलाया है। निस्संदेह, प्रो. रमेश का जीवन भारतीय शिक्षा-जगत में गुरु-धर्म, त्याग और करुणा का जीवंत प्रतीक बनकर सदैव प्रेरणा देता रहेगा। इस अवसर कुलपति अपेक्स विश्वविद्यालय प्रो सोमदेव शतांशु हुलास चन्द्र सम्पर्क प्रमुख संस्कृत भारती प्रो. अर्कनाथ चौधरी प्रो. सुदेश शर्मा प्रो भगवती सुदेश जयपुर परिसर के नव नियुक्त प्रो रमाकांत पाण्डेय प्रो श्रीधर मिश्र प्रो ईश्वर भट्ट प्रो शिवकांत झा प्रो बोध कुमार झा प्रो लोकमान्य मिश्र प्रो कुलदीप शर्मा प्रो गणेश टी पंडित डॉ विजय दाधीच डॉ. प्रमोद बुटोलिया डॉ कैलाश सैनी डॉ. गी सूर्या प्रसाद  डॉ दिनेश यादव डॉ.रानी दाधीच डॉ लोकेश शर्मा डॉ रेखा शर्मा डॉ प्रमोद बुटोलिया डॉ मनीष जुगरान नरेश सिंह अभिनव उपाध्याय डॉ मधुसूदन शर्मा कृष्णा शर्मा  सहित सैकड़ो संस्कृत अनुरागी परिवार जन उपस्थित थे।

    Click here to Read more
    Prev Article
    आईआईपीए नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन द्वारा अरावली उद्घोष पत्रिका के दो अंक जारी
    Next Article
    राजस्थान विश्वविद्यालय में "एंडोमेट्रियोसिस : प्रजनन विज्ञान के लिए चुनौती" विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित

    Related राजस्थान Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment