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    जीएसटी दर में कटौती: उत्तराखंड में कृषि, पर्यटन और उद्योग को मिली मजबूती

    14 hours ago

     

    • पहाड़ी तूर दाललाल चावल और लखौरी मिर्च पर जीएसटी घटाकर 5% करने से पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा मिला हैजिससे 13 पहाड़ी जिलों के छोटे किसानों को मदद मिली है।
    • 7,500 रुपए तक के होटल शुल्क पर जीएसटी घटाकर 5% करने से पर्यटन को राहत मिली हैजिससे प्रमुख स्थलों के 80,000 लोगों को लाभ हुआ है।
    • ऐपणरिंगाल और ऊनी उत्पादों पर जीएसटी घटाकर 5% करने से शिल्प क्षेत्र में बड़ा सुधार देखने को मिला हैजिससे महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों और पारंपरिक कारीगरों को लाभ मिला है।
    • जीएसटी 28% से घटाकर 18% करने से ऑटो उद्योग को बढ़ावा मिला हैजिससे वाहन 8-10% सस्ते हो गए हैं और 50,000 नौकरियों को बढ़ावा मिला है।

     

    हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जहाँ सीढ़ीनुमा खेती काआध्यात्मिक पर्यटन के साथ तालमेल देखने को मिलता है और प्राचीन शिल्प उभरते उद्योगों के साथ घुलमिल जाते हैं। पुरोला के लाल चावल के खेतों से लेकर नैनीताल और मसूरी के चहल-पहल भरे होमस्टे तकराज्य की अर्थव्यवस्था प्रकृतिपरंपरा और उद्यमशीलता के समृद्ध संतुलन को दर्शाती है।

    हाल ही में जीएसटी दरों में किए गए बदलाव से इस पहाड़ी अर्थव्यवस्था को समय रहते बढ़ावा मिला हैजिससे कृषिपर्यटनशिल्प और विनिर्माण क्षेत्र में करों में कमी आई है। पहाड़ी तूअर दाललाल चावलहस्तशिल्पऊनी वस्त्र और आतिथ्य जैसी प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं पर दरें कम करकेइन सुधारों का मकसद सामर्थ्य में सुधार लानाछोटे उत्पादकों को सशक्त बनाना और राज्य के पर्यावरण-अनुकूल तथा उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना है।

    यह सुधार उत्तराखंड के सतत् विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप हैजो पहाड़ों में आजीविका को बढ़ावा देते हुए मैदानी इलाकों में उभरते औद्योगिक केंद्रों को मज़बूत करेगें।

    कृषि एवं अन्य उत्पाद

    पहाड़ी तूर दाल

    चमोलीअल्मोड़ाटिहरीनैनीताल और पिथौरागढ़ में उगाई जाने वाली पहाड़ी तूर दाल की खेती वर्षा-आधारित छोटे किसान पारंपरिक बारहनाजा मिश्रित फसल प्रणाली के तहत करते हैं। जैविक और स्थानीय रूप से प्रसिद्ध होने के कारणयह उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों का एक अहम हिस्सा है और 13 पहाड़ी जिलों में इसकी व्यापक रूप से खेती की जाती है।

    जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेइसकी कीमतें और अधिक किफायती होने की उम्मीद हैजिससे पहाड़ी तुअर दाल जैविक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य बाज़ारों में और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगी। इस बदलाव से टिकाऊ पहाड़ी खेती को प्रोत्साहन मिलने और छोटे व सीमांत किसानों की आय की संभावनाओं में सुधार होने की उम्मीद है।

    उत्तराखंड लाल चावल

    पुरोला और मोरी में उगाया जाने वाला उत्तराखंड का लाल चावल अपने पारंपरिक मूल्य और पहाड़ी कृषि-जैव विविधता में योगदान के लिए जाना जाता है। जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेइसकी कीमतें और अधिक प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद हैखासकर पैकेज्ड और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य बाज़ारों में। इस बदलाव से लाल चावल की खेती से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 4,000 लोगों को मदद मिलेगीस्थानीय रोज़गार पैदा होगा और सतत् पहाड़ी कृषि को बढ़ावा मिलेगा।

    अल्मोड़ा लखोरी मिर्च

    अल्मोड़ा की जीआई-टैग वाली लखोरी मिर्च अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है। जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेइसकी कीमतें और अधिक प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद हैजिससे इसकी खेती से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 5,000 लोगों को लाभ होगा। यह कदम स्थानीय किसानों के लिए लाभकारी होगा और इस पारंपरिक पहाड़ी मसाले की बाजार में उपस्थिति को मजबूत करेगा।

    पर्यटन एवं कुटीर उद्योग

    पर्यटन एवं होमस्टे

    होटल और रेस्टोरेंट सहित पर्यटनउत्तराखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 13.57% का योगदान देता है और करीब 80,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। 7,500 रुपए तक के होटल शुल्क पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है। इस सुधार से यात्रा और अधिक किफायती होने और नैनीतालमसूरीऔलीचोपतामुनस्यारीहरिद्वार और ऋषिकेश के छोटे होटलोंरेस्टोरेंट और होमस्टे को लाभ होने की उम्मीद है।

    ऐपण कला और सजावटी हस्तशिल्प

    अल्मोड़ाबागेश्वर और नैनीताल सहित कुमाऊँ क्षेत्र में प्रचलित ऐपण एक पारंपरिक दीवार और फर्श कला है, जिसे अब बैगदीवार पर लटकाने वाली वस्तुओं और उपहार वस्तुओं में रूपांतरित किया जा रहा है। जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेइस सुधार से करीब 4,000 लोगों, खासकर महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों को लाभ होने की उम्मीद हैसाथ ही जीआई-टैग को बढ़ावा देने और स्थानीय हस्तशिल्प बाजारों का विस्तार करने में भी मदद मिलेगी।

    हाथ से बुने हुए ऊनी वस्त्र

    उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों मेंस्थानीय रूप से हाथ से बुने हुए स्वेटरटोपी और मोज़े पहाड़ी महिलाओं द्वारा संचालित एक अहम मौसमी कुटीर उद्योग हैं। जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेकीमतों में 6-7% की गिरावट आने की उम्मीद हैजिससे करीब 10,000 लोगों को आजीविका में सहारा मिलेगा और छोटे उत्पादकों को पर्यटन के लिहाज़ से सबसे अच्छे मौसम में बेहतर लाभ कमाने में मदद मिलेगी।

    रिंगाल (पहाड़ी बाँस) शिल्प

    रिंगाल मुख्य रूप से पिथौरागढ़चंपावत और नैनीताल में उत्पादितएक स्थानीय छोटा बाँस है, जिसका इस्तेमाल टोकरियाँट्रे और उपयोगी वस्तुएँ बनाने में किया जाता है। जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने सेयह सुधार रिंगाल-आधारित हस्तशिल्प में लगे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को मदद प्रदान करता है। गढ़वाल हिमालय में एक अध्ययन में पाया गया कि करीब 47.65% पहाड़ी परिवार रिंगाल या बाँस शिल्प कार्य से कुछ आय अर्जित करते हैंजो ग्रामीण आजीविका को बनाए रखने में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है।

    पारंपरिक

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