जयपुर।
राजस्थान के पशुपालक किसानों को आर्थिक बल देने की दिशा में राज्य सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत प्रदेश के लगभग 5 लाख रजिस्टर्ड दुग्ध उत्पादकों को सात महीनों की कुल 364 करोड़ रुपए की अनुदान राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से उनके खातों में भेजी गई है।
राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को जेईसीसी, जयपुर में किया गया, जहां केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उपस्थिति में यह ट्रांसफर संपन्न हुआ।
हर लीटर दूध पर 5 रुपए की सीधी सहायता
पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत ने जानकारी दी कि यह अनुदान जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक की अवधि के लिए प्रदान किया गया है।
इस योजना के अंतर्गत, सरस डेयरी से संबद्ध दुग्ध समितियों को दूध बेचने वाले पशुपालकों को प्रति लीटर दूध पर 5 रुपए की सहायता राशि सीधे उनके खातों में दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि योजना को मजबूती देने के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 650 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
प्रदेश के 24 जिलों के किसानों को मिला लाभ
डिपार्टमेंट के अनुसार, प्रदेश के 24 जिलों के दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को बड़ी मात्रा में अनुदान राशि ट्रांसफर की गई। कुछ प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:
- जयपुर: 139 करोड़ 7 लाख
- नागौर: 47 करोड़ 4 लाख
- भीलवाड़ा: 46 करोड़ 18 लाख
- जालोर: 41 करोड़ 6 लाख
- अजमेर: 40 करोड़ 22 हजार
- चूरू: 25 करोड़ 4 लाख
- झालावाड़: 21 करोड़ 6 लाख
- बांसवाड़ा: 20 करोड़ 1 लाख
- भरतपुर: 16 करोड़ 8 लाख
- जैसलमेर: 14 करोड़ 1 लाख
- चितौड़गढ़: 12 करोड़ 10 लाख
- बीकानेर: 11 करोड़ 90 लाख
- जोधपुर: 10 करोड़ 67 लाख
- पाली: 10 करोड़ 82 लाख
- सवाई माधोपुर: 10 करोड़ 35 हजार
- उदयपुर: 10 करोड़ 14 लाख
इसके अतिरिक्त राजसमंद, टोंक, कोटा, सीकर, बारां, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, अलवर सहित अन्य जिलों के पशुपालकों को भी करोड़ों की सहायता राशि सीधे खातों में भेजी गई।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
मंत्री कुमावत ने कहा कि यह योजना राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने और पशुपालकों की आमदनी में वृद्धि करने की दिशा में प्रभावी साबित हो रही है।
सरकार का उद्देश्य है कि पशुपालकों को केवल दूध बिक्री तक सीमित न रखते हुए उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जाए।
सभी भुगतान पारदर्शी और समयबद्ध
कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुदान राशि का भुगतान पूरी तरह से पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया के अंतर्गत किया गया है, जिससे किसानों को तत्काल लाभ मिल सके। DBT के माध्यम से किए गए इस भुगतान से न सिर्फ बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है, बल्कि किसानों का सरकार पर भरोसा भी और मजबूत हुआ है।