SEARCH

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    बालिका दिवस पर संयुक्त अभिभावक संघ का सवाल — “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” सिर्फ नारा नहीं, सुरक्षा की गारंटी बने

    4 days ago

    जयपुर। शनिवार को बालिका दिवस के अवसर पर संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रदेश और देश में बालिकाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संघ ने कहा है कि सरकार के “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों ने अब सिर्फ नारों का रूप ले लिया है। जमीनी स्तर पर न तो बेटियाँ सुरक्षित हैं और न ही उन्हें पढ़ाई के लिए सुरक्षित माहौल मिल पा रहा है।आंकड़े बताते हैं कि कोटा में जनवरी से जून 2025 तक 200 से अधिक गैंगरेप के मामले दर्ज हुए, जिनमें 5 बालिकाओं की हत्या भी कर दी गई। राज्य में 2010 से 2019 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 126% वृद्धि दर्ज की गई — 18,344 से बढ़कर 41,623 मामले। 2024 में नाबालिग बालिकाओं से जुड़े गैंगरेप के मामले 187 से बढ़कर 206 हो गए।

    स्कूलों और सड़कों पर बढ़ते अत्याचार: संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि राज्य के कई सरकारी और निजी स्कूलों में बालिकाएँ असुरक्षा का सामना कर रही हैं — कहीं बस-रूट पर छेड़छाड़, कहीं विद्यालय परिसर में उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आ रही हैं। अभिभावक अपनी बेटियों को स्कूल भेजने से पहले भय में जी रहे हैं।

    सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे: प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन “बिट्टू” ने कहा — “सरकार बालिका दिवस पर केवल मंचों से भाषण और दीये जलाने में व्यस्त है, जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि बेटियाँ स्कूल तक सुरक्षित नहीं पहुँच पा रहीं। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अब खोखला नारा बन गया है। जब तक बेटियों की सुरक्षा सड़क, स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल और सार्वजनिक स्थलों तक सुनिश्चित नहीं होती, तब तक इस अभियान का कोई अर्थ नहीं है। सरकार को दिखावा बंद कर ठोस कदम उठाने होंगे — पुलिस और शिक्षा विभाग को जवाबदेह बनाना होगा, और हर जिले में बालिका सुरक्षा निगरानी इकाई बनानी होगी।”

    संयुक्त अभिभावक संघ की प्रमुख मांगें:

    1. हर जिले में “बालिका सुरक्षा निगरानी इकाई” का गठन किया जाए।

    2. स्कूलों, कॉलेजों और हॉस्टलों में बालिका सुरक्षा प्रकोष्ठ अनिवार्य हों।

    3. सार्वजनिक स्थानों और परिवहन रूट्स पर सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई जाए।

    4. अत्याचार मामलों में 48 घंटे के भीतर कार्रवाई व चार्जशीट दाखिल हो।

    5. फास्ट ट्रैक कोर्ट में बालिकाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई तेज़ी से की जाए।

    6. पीड़िताओं को आर्थिक व मानसिक सहायता तुरंत प्रदान की जाए।

    7. “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” अभियान का ऑडिट किया जाए — यह देखें कि इसका वास्तविक लाभ बेटियों तक पहुँचा भी या नहीं।

    Click here to Read more
    Prev Article
    राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने किया पेंशन योजना पर सरकार के आदेश का विरोध
    Next Article
    राजस्थान विश्वविद्यालय की स्पष्ट घोषणा: उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में पूर्ण संवेदनशीलता

    Related शिक्षा Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment