जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि वह उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में पूर्ण संवेदनशीलता बरतता है। विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर परीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रेषित किए जाते हैं और छात्र द्वारा उत्तर-पुस्तिका के मूल्यांकन से असंतुष्ट होने की स्थिति में प्रक्रियानुसार पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान है।
पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया:
विश्वविद्यालय द्वारा उत्तर-पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन मूल परीक्षक से नहीं करवाकर दूसरे परीक्षक से करवाया जाता है। साथ ही निर्धारित समयावधि में सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत उत्तर-पुस्तिका की प्रमाणित छायाप्रति भी प्राप्त की जा सकती है।
असामाजिक तत्वों का दुष्प्रचार:
विश्वविद्यालय ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा विश्वविद्यालय छात्र प्रतिनिधि के नाम पर छात्रों को गुमराह कर उत्तर-पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन के संबंध में भ्रम फैलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसे प्रकरणों का परीक्षण किया गया है और पाया गया है कि उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कोई भिन्नता नहीं है।
विश्वविद्यालय की अपील:
विश्वविद्यालय ने सभी विद्यार्थियों से अपील की है कि वे ऐसे असामाजिक तत्वों से सावधान रहें और अपनी आपत्ति के लिए सक्षम स्तर पर अपनी परिवेदना प्रस्तुत करें। साथ ही किसी व्यक्ति द्वारा छलपूर्वक अनुचित तरीके से प्राप्तांक बढ़वाने अथवा उत्तीर्ण करवाने संबंधी झांसे धोखे में नहीं आने की सलाह दी है।
विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता:
विश्वविद्यालय ने कहा है कि वह छात्रहित को मद्देनजर रखते हुए प्रक्रियानुसार मूल्यांकन एवं परीक्षा परिणाम में पूर्ण सावधानीपूर्वक कार्य करता है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले कुछ वर्षों के पुनर्मूल्यांकन के प्रकरणों का विश्लेषण किया है, जिसमें यह पाया गया है कि मूल परीक्षा परिणाम एवं पुनर्मूल्यांकन परीक्षा परिणाम में बहुत कम भिन्नता रही है।