जयपुर।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के परिसर में करवा चौथ का पर्व हर्षोल्लास और पारंपरिक गरिमा के साथ मनाया गया। यह आयोजन नारी सशक्तिकरण, भारतीय संस्कृति और सामाजिक सौहार्द का अनूठा संगम रहा, जिसमें विश्वविद्यालय की महिला शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पूरा परिसर रंग-बिरंगे परिधानों और पारंपरिक सजावट से सुसज्जित था, जिससे वातावरण में उत्सव और आध्यात्मिकता का मनोहर समावेश दिखाई दिया। महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सोलह श्रृंगार के साथ भाग लिया और करवा चौथ के सांस्कृतिक महत्व को जीवन्त किया।
आकर्षक प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मेहंदी डिज़ाइन प्रतियोगिता रही, जिसमें छात्राओं और महिला कर्मचारियों ने अपनी कलात्मकता का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से करवा चौथ के पारंपरिक गीत, नृत्य और नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किए गए, जिन्होंने समूचे आयोजन को जीवंत बना दिया।
नेतृत्व का संदेश – परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रश्मि जैन ने अपने संबोधन में कहा, “करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि यह विश्वास, प्रेम और निष्ठा का पर्व है। यह हमें रिश्तों की मजबूती और भारतीय स्त्री की शक्ति का प्रतीकात्मक संदेश देता है। हमें चाहिए कि हम अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक सोच के साथ अपनाएँ।”
प्रो. चेयरपर्सन डॉ. अंशु सुराना ने कहा, “इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को हमारी विरासत से जोड़ते हैं और उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जगाते हैं। संस्कृति से जुड़ा हर उत्सव समाज में एकता, सद्भाव और समरसता का संदेश देता है।”
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शुभकामनाएँ दी गईं। आयोजन समिति को इसके सफल संचालन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
करवा चौथ उत्सव ने न केवल पारंपरिक मूल्यों को पुनर्जीवित किया, बल्कि महिला समुदाय को एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने का अवसर भी प्रदान किया।