जयपुर।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी अकादमी, एमएनआईटी जयपुर ने भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्वावधान में “5G और 6G अनुप्रयोगों के लिए आवृत्ति चयनात्मक सतहों के डिजाइन में हाल के रुझान” विषय पर 3 से 14 अक्टूबर तक 40 घंटे का ऑनलाइन संकाय विकास कार्यक्रम (FDP) आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में आवृत्ति चयनात्मक सतहों (Frequency Selective Surfaces) के नवीनतम शोध रुझानों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर व्यापक चर्चा की गई। इसमें विद्युतचुंबकीय बैंडगैप सामग्री, मेटामटेरियल्स, मेटासर्फेस, ध्रुवीकरण प्रभाव, बीमफॉर्मिंग और MIMO सपोर्ट, एंटेना एकीकरण, टेराहर्ट्ज़ डिजाइन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, एआई/एमएल-सहायता प्राप्त डिजाइन तकनीक, ऊर्जा संचयन, और बायोमेडिकल इमेजिंग जैसे विषयों को शामिल किया गया।
कार्यक्रम के दौरान 24 घंटे विशेषज्ञ व्याख्यानों के लिए और 16 घंटे सत्रों के लिए समर्पित रहे। देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे IIT, NIT, IIIT और CFTI के विशेषज्ञ वक्ताओं ने इसमें भाग लिया और प्रतिभागियों को अत्याधुनिक तकनीकों से परिचित कराया।
कुल 39 प्रतिभागियों को उपस्थिति और मूल्यांकन के मानदंडों को सफलतापूर्वक पूरा करने पर प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इनमें से 18 प्रतिभागियों ने 90% से अधिक अंक प्राप्त कर “उत्कृष्ट” श्रेणी में स्थान पाया, जबकि 12 प्रतिभागी “बहुत अच्छा”, 2 “अच्छा”, 2 “ठीक” और 5 “संतोषजनक” श्रेणी में रहे। यह परिणाम प्रतिभागियों के उच्च स्तर के प्रदर्शन को दर्शाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी अकादमी तथा ईसीई विभाग, एमएनआईटी जयपुर ने कार्यक्रम की सफलता के लिए निदेशक प्रो. नारायण प्रसाद पाढ़ी के मार्गदर्शन और प्रेरणा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग विभाग के मुख्य अन्वेषक प्रो. विनीत साहुला और विभागाध्यक्ष प्रो. एम. एम. शर्मा के सहयोग एवं नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक डॉ. सार्थक सिंघल और डॉ. रीना कुमारी को उनके सतत प्रयासों और उत्कृष्ट आयोजन के लिए विशेष धन्यवाद दिया गया। साथ ही सभी विशेषज्ञ वक्ताओं, सक्रिय प्रतिभागियों और समर्पित कर्मचारियों की सहभागिता ने इस एफडीपी को एक उल्लेखनीय सफलता में परिवर्तित किया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल शिक्षकों और शोधकर्ताओं को नई तकनीकों की गहराई से समझ प्रदान करता है, बल्कि भविष्य की 6G और उससे आगे की संचार प्रणालियों के लिए नवाचार की दिशा भी तय करता है।