“सेफर हिल्स” परियोजना से हिमालयी समुदायों में लचीलापन और सुरक्षा बढ़ाने का लक्ष्य
मंडी, 17 अक्टूबर 2025। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने टाटा ट्रस्ट्स से एक प्रतिष्ठित अनुदान प्राप्त कर देश में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह अनुदान संस्थान की “टाटा ट्रस्ट्स समर्थित ऑगमेंटेड फैसिलिटीज फॉर एम्पावरिंग रेजिलिएंस इन हिमालयन हिल्स (सेफर हिल्स)” परियोजना के लिए प्रदान किया गया है, जो भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने और हिमालयी समुदायों में लचीलापन बढ़ाने का उद्देश्य रखती है।
आईआईटी मंडी की दृष्टि और उद्देश्यों पर प्रकाश
संस्थान के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहेरा ने कहा,
“हाल ही में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ से हुई तबाही ने हमें सामुदायिक लचीलापन बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाई। टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से हम अत्याधुनिक अनुसंधान को आगे बढ़ाएंगे और ऐसे नवाचारी समाधान विकसित करेंगे जो जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा करेंगे।”
प्रो. वरुण दत्त, डीन (संसाधन सृजन एवं पूर्व छात्र संबंध) ने जोड़ा,
“यह सहयोग आईआईटी मंडी को भूस्खलन जोखिम में कमी और हिमालयी समुदायों में लचीलापन बढ़ाने के लिए प्रभावशाली समाधान विकसित करने में सक्षम बनाएगा।”
सी3डीएआर और समुदाय आधारित नवाचार
सी3डीएआर (C3DAR) की चेयरपर्सन डॉ. कला वी. उदय ने कहा,
“हमारा मिशन उन्नत तकनीकों को सतत प्रथाओं के साथ जोड़कर समुदायों में लचीलापन विकसित करना है। यह परियोजना इसी दृष्टि का हिस्सा है।”
टाटा ट्रस्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ शर्मा ने इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा,
“आईआईटी मंडी के साथ सेफर हिल्स पहल का यह सहयोग विज्ञान, सामुदायिक अंतर्दृष्टि और संस्थागत क्षमता को जोड़कर ऐसे व्यावहारिक समाधान तैयार करेगा, जो जलवायु जोखिमों से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”
परियोजना का महत्व और अपेक्षित परिणाम
“सेफर हिल्स” परियोजना के तहत आधुनिक तकनीक, डेटा-संचालित मॉडल और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से हिमालयी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के तंत्र सुदृढ़ किए जाएंगे। इसका लक्ष्य केवल जोखिम को कम करना ही नहीं, बल्कि आपदा के समय जीवन और आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है।
अनुदान प्राप्त होने के बाद, आईआईटी मंडी भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों और हिमालयी हिल्स में नई तकनीकी और नवाचारी समाधानों के माध्यम से समुदायों की सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाने के लिए कार्यरत रहेगा। यह कदम संस्थान को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।