उदयपुर जिले की पंचायत समिति ऋषभदेव की ग्राम पंचायत घोड़ी में प्रधानमंत्री आवास योजना समेत कई सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों का मामला सामने आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने ग्राम पंचायत घोड़ी की वर्तमान सरपंच (प्रशासक) जसोदा मीणा सहित कुल 7 सरकारी कार्मिकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
निलंबित कार्मिकों में ग्राम विकास अधिकारी अजीत डामोर, रोजगार सहायक रमेश चंद्र डामोर, कनिष्ठ सहायक सुरेंद्र कुमार मीणा, सहायक विकास अधिकारी कैलाश जोया और तत्कालीन विकास अधिकारी मूलाराम सोलंकी शामिल हैं। सभी दोषियों पर राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के तहत 16 सीसीए की कार्रवाई की जाएगी।
जांच में उजागर हुआ करोड़ों का भ्रष्टाचार
मामले की जांच अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद राजसमंद की अध्यक्षता में गठित दल द्वारा की गई। रिपोर्ट में यह सामने आया कि ग्राम पंचायत घोड़ी में पीएम आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएं बरती गईं।
जांच में स्पष्ट हुआ कि लाभार्थियों को आवास योजना की राशि निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नहीं दी गई, आवंटन में पारदर्शिता का अभाव रहा और बिना अनुमोदन व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भुगतान किए गए। कई मामलों में कार्यों को बिना धरातली सत्यापन के पूरा दर्शा दिया गया।
पूर्व और वर्तमान सरपंच भी दोषी
जांच रिपोर्ट में ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच दिलीप परमार और वर्तमान सरपंच (प्रशासक) जसोदा मीणा को भी समान रूप से जिम्मेदार माना गया है। दोनों पर योजनाओं के क्रियान्वयन में मिलीभगत कर वित्तीय गड़बड़ी करने, शासन के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करने और ग्राम सभा की प्रक्रिया को दरकिनार करने के आरोप हैं।
सख्त होगी आगे की कार्रवाई
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि ग्रामीण विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार या लापरवाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मंत्री दिलावर ने कहा कि संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर नियम अनुसार सख्त विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और यदि आवश्यकता हुई तो मामले को आर्थिक अपराध शाखा या एसीबी को भी सौंपा जा सकता है।
क्या है 16 सीसीए?
राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 की धारा 16 (CC&A) के तहत किसी सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध गंभीर लापरवाही, भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता या कर्तव्यों के प्रति उदासीनता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। इसमें निलंबन, चेतावनी, वेतन कटौती, सेवा समाप्ति तक की सजा हो सकती है।
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