जैसलमेर, राजस्थान।
राजस्थान के जैसलमेर जिले में हुई भीषण बस दुर्घटना ने पूरे प्रदेश को गहरे शोक में डुबो दिया है। आग की चपेट में आई इस बस में लगभग 20 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं। हादसे के बाद न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठे हैं, बल्कि आम जनमानस की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं गहराई हैं।
घटना के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया, लेकिन तब तक बस आग का गोला बन चुकी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस में आग इतनी तेजी से फैली कि यात्रियों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला।
अभाविप ने जताया शोक, पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा रहने का संकल्प
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने इस दुखद दुर्घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। परिषद ने कहा कि यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी है जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है।
अभाविप जयपुर प्रांत के प्रांत मंत्री अभिनव सिंह ने इस अवसर पर कहा,
"जैसलमेर का यह अग्निकांड केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए अत्यंत संवेदनशील और दुखद क्षण है। विद्यार्थी परिषद इस शोक की घड़ी में हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगतों को शांति और उनके परिजनों को इस असहनीय पीड़ा को सहने की शक्ति मिले।"
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों में राजस्थान में कई अग्निकांड हुए हैं, जिनमें अनेक नागरिकों की जान चली गई है। यह दर्शाता है कि राज्य में अग्निसुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर खामियाँ हैं।
सरकार से उठी मांग – सुरक्षा मानकों को लेकर हो कड़ी कार्रवाई
अभाविप ने सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएँ। बसों और सार्वजनिक परिवहन साधनों की सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा की जाए और दोषी पाए जाने पर संबंधित एजेंसियों या अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही, अभाविप ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि दुर्घटना में घायल यात्रियों के इलाज में कोई कसर न छोड़ी जाए और मृतकों के परिजनों को शीघ्र मुआवज़ा एवं पुनर्वास सहायता उपलब्ध कराई जाए।
सवालों के घेरे में परिवहन व्यवस्था
इस दर्दनाक हादसे ने राजस्थान की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की पोल खोल दी है। समय-समय पर उठती रही सुरक्षा चिंताओं के बावजूद ऐसी घटनाओं का बार-बार होना चिंताजनक है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस हादसे को चेतावनी के रूप में लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर क्या ठोस कदम उठाती है।
निष्कर्ष
जैसलमेर की यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक गहरी चेतावनी है—न केवल सरकार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए भी। यात्रियों की सुरक्षा अब एक विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता होनी चाहिए। जब तक सख्त नियमों और ज़िम्मेदाराना व्यवस्था की नींव नहीं रखी जाती, तब तक ऐसी घटनाएँ दुख और आक्रोश का कारण बनती रहेंगी।
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