जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। कारण—दीपावली से पहले भी उन्हें बढ़े हुए महंगाई भत्ते (DA) की राशि नहीं मिल पाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक महंगाई भत्ता जारी करने का आदेश जारी नहीं किया है, जिससे सैकड़ों पेंशनभोगियों को तीज-त्योहार से पहले आर्थिक झटका लगा है।
सरकारी आदेश के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन मौन
राज्य सरकार की ओर से सेवानिवृत्त कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता देने के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
पहले के वर्षों में सरकार के आदेश मिलते ही विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर पेंशनर्स को राशि जारी कर देता था, पर इस बार फाइलें अब भी विश्वविद्यालय दफ्तरों में अटकी हुई हैं।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का यह रवैया न केवल उदासीन है, बल्कि सेवानिवृत्त जनों के साथ अन्याय भी है, जो पूरी उम्र संस्था को समर्पित करने के बाद अब अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
बोनस से भी वंचित रहेंगे सेवारत कर्मचारी
नाराजगी का एक और कारण यह है कि इस बार दीपावली से पहले सेवारत कर्मचारियों को भी बोनस की राशि जारी नहीं की जा रही है।
हर साल त्योहार से पहले बोनस मिलने की परंपरा रही है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक राहत मिलती थी। लेकिन इस बार प्रशासन की निष्क्रियता ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है।
धरने की तैयारी, कुलपति सचिवालय पर होगा विरोध
महंगाई भत्ता की राशि शीघ्र जारी करने की मांग को लेकर पेंशनभोगियों ने आंदोलन का रास्ता चुना है।
घोषणा की गई है कि 18 अक्टूबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक कुलपति सचिवालय पर धरना दिया जाएगा।
धरने में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारी, पेंशनभोगी और विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
उनकी मुख्य मांगें हैं—
• दीपावली से पूर्व बढ़े हुए महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाए।
• सेवारत कर्मचारियों को बोनस की राशि तुरंत जारी की जाए।
• प्रशासनिक देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो।
“त्योहार से पहले मिला आघात, अब सड़कों पर उतरना मजबूरी”
पेंशनभोगियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में महंगाई भत्ता ही एकमात्र सहारा है। दीपावली जैसे बड़े पर्व से पहले राशि न मिलने से वे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
एक पेंशनर ने कहा—“हमने वर्षों तक विश्वविद्यालय को दिया, आज उसी संस्था से अपने अधिकार के लिए धरने पर बैठना पड़ रहा है।”
राजस्थान विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त और सेवारत दोनों ही वर्गों में प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर गहरी नाराजगी है।
दीपावली से पहले महंगाई भत्ता और बोनस न मिलना कर्मचारियों के लिए आर्थिक ही नहीं, भावनात्मक झटका भी साबित हुआ है।
अब सबकी नजरें 18 अक्टूबर के धरने और प्रशासन की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
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