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राज्य सरकार ने 65.56 एकड़ भूमि का किया आवंटन, प्रदेश के युवाओं को मिलेंगे रोजगार के भरपूर अवसर -त्वरित गति से पूरी हुई आवंटन प्रक्रिया, 1200 करोड़ रुपये का होगा निवेश जयपुर। कोटपूतली-बहरोड़ जिले में जल्द ही प्रदेश का पहला ई-बस मेन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित होगा। राज्य सरकार ने नीमराणा तहसील के घिलोठ औद्योगिक क्षेत्र में इलेक्ट्रिक बस मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट हेतु 2 लाख 65 हजार 329 वर्गमीटर (65.56 एकड) भूमि का आवंटन किया है। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में हुए एक एमओयू के तहत निजी क्षेत्र की कंपनी पीएमआई इलेक्ट्रो मॉबिलिटी सॉल्यूशन्स प्रा. लिमिटेड को रीको के माध्यम से यह भूमि आवंटित की गई है। इस प्लांट में शुरूआत में लगभग 1200 करोड़ रूपये का निवेश किया जाएगा और ई-बसों के अतिरिक्त यहां बस बॉडी, मोटर, बैटरी, वायर हार्नेस तथा अन्य स्पेयर पार्ट्स का भी निर्माण होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर पीएमआई इलेक्ट्रो मॉबिलिटी सॉल्यूशन्स के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर बेहद कम समय में त्वरित गति से भूमि आवंटन के लिए उनका आभार जताया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और बुनियादी सेवाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार निरन्तर फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि यह प्लांट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इण्डिया’ संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे राज्य के औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी और इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण क्षेत्र में राजस्थान देश का महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरेगा। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को इलेक्ट्रो मॉबिलिटी के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा उनके लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के भरपूर अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि ई-बसों के संचालन से राज्य मंे ग्रीन एनर्जी और हरित परिवहन को बढ़ावा मिलने के साथ ही, शहरी परिवहन सेवा भी सुगम होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों सहित पीएमआई इलेक्ट्रो मॉबिलिटी सॉल्यूशन्स के प्रबंध निदेशक सतीश कुमार जैन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आंचल जैन, कार्यकारी निदेशक गजेन्द्र यादव, निदेशक दीपांशु द्विवेदी, प्लांट हैड हरीश यादव उपस्थित रहे।
अंता विधानसभा उपचुनाव - 2025: -जनरल ऑब्जर्वर सुभाश्री नंदा ने किया मतदान केंद्रों, चेक पोस्टों का निरीक्षण एवं जिला अधिकारियों के साथ की बैठक जयपुर। अंता विधानसभा उपचुनाव 2025 के तहत भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त जनरल ऑब्जर्वर सुभाश्री नंदा ने सोमवार को विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न मतदान केंद्रों एवं चेक पोस्टों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्वाचन तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण एवं पारदर्शी मतदान के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान नंदा ने मतदान केंद्रों पर बिजली, पानी, शौचालय, रैम्प, शेड, व्हीलचेयर एवं प्रतीक्षा स्थल जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता का जायजा लिया। उन्होंने विशेष रूप से दिव्यांग मतदाताओं, वरिष्ठ नागरिकों और महिला मतदाताओं के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी ली तथा निर्देश दिया कि मतदान दिवस 11 नवम्बर को सभी मतदाताओं के लिए सुरक्षित एवं सुगम वातावरण सुनिश्चित किया जाए। जनरल ऑब्जर्वर ने चेक पोस्टों का भी दौरा किया और वहां पर की जा रही वाहनों की जांच, सीसीटीवी निगरानी, वीडियोग्राफी, सामग्री की जब्ती एवं दस्तावेजीकरण प्रक्रिया का अवलोकन किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्वाचन नियमों की कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि पर सतर्क निगरानी रखने के निर्देश दिए। निरीक्षण के बाद नंदा ने सर्किट हाउस बारां में जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर तथा पुलिस अधीक्षक अभिषेक अंदासु के साथ बैठक की। बैठक में निर्वाचन तैयारियों, सुरक्षा व्यवस्था, संवेदनशील एवं अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की स्थिति, फ्लाइंग स्क्वाड, एसएसटी टीमों की गतिविधियों तथा मतदाता जागरूकता अभियानों की प्रगति की समीक्षा की गई। जनरल ऑब्जर्वर ने निर्देश दिए कि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें, ताकि 11 नवम्बर को होने वाला मतदान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और शत-प्रतिशत मतदान वाला हो। उन्होंने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूर्ण निष्पक्षता और सजगता से संपन्न कराया जाना चाहिए। इस अवसर पर रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम अंता हवाई सिंह यादव, लाइजनिंग ऑफिसर एवं सहायक निदेशक जूही अग्रवाल, पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी तथा संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
पर्यटन मंत्रालय अपने भारत पर्यटन कार्यालयों, होटल प्रबंधन संस्थानों (आईएचएम), भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम), भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) और कार्यक्रम प्रभागों के साथ मिलकर लंबित मामलों के निपटान के लिए विशेष अभियान (एससीडीपीएम) 5.0 में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। पर्यटन मंत्रालय ने विशेष अभियान 5.0 के लिए कुल 6429 लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें एससीडीपीएम पोर्टल पर अपलोड कर दिया है। विशेष अभियान 5.0 के अंतर्गत स्वच्छता के लिए कुल 413 स्थलों की पहचान की गई है। समीक्षा के लिए 4700 से अधिक भौतिक फाइलें और 1,100 ई-ऑफिस फाइलें चिन्हित की गई हैं। अब तक, 1553 गतिविधियां क्रियान्वित की जा चुकी हैं, जो कुल लक्ष्यों का 24.15 प्रतिशत है। 14095 वर्ग फुट जगह खाली कराई गई है और कबाड़ निपटान से 172991 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। प्रगति की निगरानी की जा रही है तथा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के एससीडीपीएम पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। पर्यटन मंत्रालय और इसके क्षेत्रीय कार्यालय/संस्थान सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से विशेष अभियान 5.0 के तहत नियमित रूप से की रही गतिविधियों की जानकारी दे रहे हैं।
इस्पात मंत्रालय और इसके केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) लंबित मामलों के निपटान के लिए विशेष अभियान (एससीडीपीएम) 5.0 सक्रिय रूप से 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2025 तक चला रहे हैं। यह अभियान संसद सदस्यों (सांसदों), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वीआईपी और मंत्रीमंडल, राज्य सरकारों, सीपीजीआरएएमएस मामलों और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से प्राप्त संदर्भों सहित प्रमुख श्रेणियों में लंबित मामलों की प्रभावी ढंग से सुनवाई और निपटारा करके शासन को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है। अब तक की गई महत्वपूर्ण प्रगति: लोक शिकायत निवारण के 96 प्रतिशत लक्ष्य पहले ही प्राप्त कर लिए गए हैं। कुल 8,525 भौतिक फाइलों को सफलतापूर्वक हटा दिया गया है। 282 स्वच्छता अभियान के लक्ष्य के सापेक्ष 195 स्वच्छता अभियान चलाए गए। स्क्रैप, ई-कचरा और अनावश्यक फाइलों के निपटान के माध्यम से लगभग 9,851 वर्ग फुट कार्यालय स्थान खाली हो गया है। मंत्रालय के अंतर्गत कई सीपीएसई ने रिकॉर्ड प्रबंधन और शिकायत समाधान में सर्वोत्तम तौर-तरीकों को लागू किया है , इससे अन्य विभागों के लिए मानक स्थापित हुए हैं। इस्पात मंत्रालय प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप कार्यकुशलता बढ़ाने, स्वच्छता को बढ़ावा देने तथा लंबित मामलों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) ने 17 अक्टूबर 2025 को 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया। आयुर्वेद को स्वास्थ्य और कल्याण के समग्र दृष्टिकोण के रूप में बढ़ावा देने की दिशा में यह ऐसा महत्वपूर्ण कदम है जो स्थायित्व और प्राकृतिक जीवन शैली पर आधारित है। इस अवसर पर लोगों में वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान का संचार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पहल #SVASTIK (वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान) के अंतर्गत एक एनआईएससीपीआर स्वस्तिक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर कर्मचारियों के लिए एक निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित किया गया। नई दिल्ली स्थित सीसीआरएएस-केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) के डॉ. किशोर पटेल ने आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों पर गहन एनआईएससीपीआर स्वस्तिक व्याख्यान दिया। उन्होंने जीवनशैली और तनाव से जुड़ी बीमारियों के कारणों पर चर्चा की और समग्र स्वास्थ्य के लिए आचार रसायन और सद्वृत्त की अवधारणाओं के माध्यम से संतुलित पोषण, संयमित आहार और नैतिक जीवन जीने के महत्व पर बल दिया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने उल्लेखनीय रूप से विश्व में आयुर्वेद के विस्तार के बारे में बताया कि एक दशक से भी कम समय में आयुर्वेद दिवस एक राष्ट्रीय उत्सव से एक वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन में बदल गया है। उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सकों और शोधकर्ताओं द्वारा गलत सूचनाओं का विरोध करने और मिलावट रोकने, मानकीकृत योगों, साक्ष्य-आधारित एकीकरण, तर्कसंगत विपणन और जन जागरूकता की वकालत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पारंपरिक ज्ञान को जनता के बीच प्रसारित करने वाली #SVASTIK पहल की भी सराहना की। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के प्रशासन नियंत्रक, राजेश कुमार सिंह रोशन ने आयुर्वेद की ऐतिहासिक जड़ों और आचार्य नागार्जुन जैसे प्राचीन चिकित्सकों के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा की व्यापक प्रणाली के रूप में आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक मान्यता के बारे में भी बताया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुमन रे ने इस वर्ष के विषय, "लोगों और पृथ्वी के लिए आयुर्वेद" की सराहना की। यह वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय सद्भाव के लिए आयुर्वेद की क्षमता का लाभ उठाने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर में 10 वें आयुर्वेद दिवस समारोह के लिए नोडल अधिकारी और प्रधान वैज्ञानिक एवं समन्वयक स्वस्तिक डॉ. चारु लता ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया तथा समारोह को सफल बनाने के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के निदेशक और सभी प्रतिष्ठित वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य मूल्यांकन शिविर में एनआईएससीपीआर के कर्मचारियों और छात्रों ने ओपीडी परामर्श का लाभ उठाया। इस तरह की पहल का उद्देश्य पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जानकारी बढ़ाना, सामुदायिक स्वास्थ्य जागरूकता में सुधार करना और आयुर्वेदिक क्षेत्र में वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा देना है।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने राष्ट्रीय पहल स्वस्तिक (वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान) के अंतर्गत "भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संचार और प्रसार" पर शिक्षकों के लिए एक क्षमता निर्माण राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान को समाज तक पहुंचाना है। कार्यशाला का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी (आईएनवाईएएस) के साथ मिलकर किया गया। कार्यशाला का आयोजन अपने प्रमुख कार्यक्रम रुसेटअप (ग्रामीण विज्ञान शिक्षा प्रशिक्षण उपयोगिता कार्यक्रम) के अंतर्गत किया गया। कार्यशाला में 75 विभिन्न संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया और सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत एमडीयू के डॉ. सुरेंद्र यादव के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. गीता वाणी रायसम ने ऑनलाइन परिचयात्मक भाषण दिया। उन्होंने स्वस्तिक का परिचय दिया और आईकेएस को क्षेत्रीय संस्थानों और शिक्षकों तक पहुंचाने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, आईएनवाईएएस और एमडीयू के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की। मुख्य अतिथि और हिमालयन पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को), देहरादून के संस्थापक पद्म भूषण डॉ. अनिल पी. जोशी ने एक प्रेरक मुख्य भाषण दिया। अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों पर अपनी चर्चा में, डॉ. जोशी, जिन्हें "भारत के पर्वत पुरुष" के रूप में जाना जाता है, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान हमेशा स्थिरता और आत्मनिर्भरता पर आधारित रहा है। उन्होंने शिक्षकों को भारत के स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान के संदर्भ में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने आईकेएस पर अंतःविषय पहल को बढ़ावा देने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, आईएनवाईएएस और एमडीयू के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज्ञान का सच्चा प्रसार शिक्षकों से शुरू होता है, जो समाज में प्रमुख संचारक और परिवर्तनकर्ता के रूप में कार्य करते हैं। धन्यवाद ज्ञापन स्वस्तिक समन्वयक डॉ. चारु लता ने दिया और कार्यशाला की सफलता में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों, आयोजकों और प्रतिभागियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक सार्थक मंच प्रदान करने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, आईएनवाईएएस और एमडीयू के सामूहिक प्रयासों की सराहना की। "भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विरासत: संरक्षण से स्थायित्व तक" विषय पर आयोजित कार्यशाला के पहले तकनीकी सत्र में भारत की समृद्ध एवं विविध वैज्ञानिक विरासत और वर्तमान युग में इसकी निरंतरता पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रख्यात कार्बनिक रसायनज्ञ, सीएसआईआर की उत्कृष्ट वैज्ञानिक और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की पूर्व निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्राकृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विज्ञानों को एकीकृत करने वाला एक समग्र दृष्टिकोण भारत की वैज्ञानिक विरासत का आधार है। उन्होंने स्पष्ट संचार, वैज्ञानिक सत्यापन और शैक्षिक समावेशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डिजिटल युग में अक्सर गलत जानकारी पारंपरिक ज्ञान को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है। उन्होंने सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की स्वस्तिक परियोजना, आयुष मंत्रालय, एआईसीटीई के आईकेएस प्रभाग और एनईपी 2020 जैसे कई भाषाओं में पारंपरिक प्रथाओं का दस्तावेजीकरण और सत्यापन करने वाले कार्यक्रमों का उल्लेख किया। जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विनी तिवारी ने भारत में बढ़ते जल संकट से निपटने में पारंपरिक वर्षा जल संचयन प्रणालियों के महत्व पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया। स्थानीय जल संरक्षण प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए, उन्होंने शिक्षकों को पर्यावरण शिक्षा में पारंपरिक जल ज्ञान को शामिल करने की सलाह दी। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. चारु लता ने भारत के पारंपरिक खाद्य ज्ञान पर एक गहन व्याख्यान दिया। उन्होंने स्वस्तिक के अंतर्गत पारंपरिक प्रथाओं की पहचान और सत्यापन से लेकर उन्हें डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जनता तक पहुँचाने तक अपनाई गई व्यवस्थित प्रक्रिया की भी रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने क्षेत्रों के पारंपरिक ज्ञान के स्थानीय उदाहरण प्रस्तुत करके "स्वस्तिक के ब्रांड एंबेसडर" के रूप में कार्य करने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि जो शिक्षक और शोधकर्ता पारंपरिक ज्ञान को सत्यापित वैज्ञानिक आंकड़ों से जोड़ सकते हैं, वे ही विज्ञान का प्रभावी ढंग से संचार करने वाले पहले व्यक्ति हैं। दूसरे सत्र की शुरुआत सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक और स्वस्तिक टीम के डॉ. परमानंद बर्मन द्वारा पारंपरिक ज्ञान संचार पर एक इंटरैक्टिव व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ हुई। उन्होंने विज्ञान संचार के मूल सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए शुरुआत की और लोकप्रिय विज्ञान लेखन, इन्फोग्राफिक्स, पॉडकास्ट और सोशल मीडिया आउटरीच सहित इसके विभिन्न रूपों पर चर्चा की, जो वैज्ञानिक अवधारणाओं को व्यापक दर्शकों तक पहुँचाने में मदद करते हैं। सत्र के दौरान, प्रतिभागियों को संचार सामग्री डिज़ाइन करने और पारंपरिक प्रथाओं पर आकर्षक इन्फोग्राफिक्स, पोस्टर और लघु वीडियो बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। सत्र के अंत में, डॉ. राज मुखोपाध्याय, वैज्ञानिक, भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल ने स्वदेशी मृदा प्रबंधन पद्धतियों और मृदा उर्वरता, सूक्ष्मजीवी गतिविधि और पोषक चक्रण को बढ़ाने में उनकी भूमिका पर एक जानकारीपूर्ण व्याख्यान दिया। कार्यशाला का समापन एक संवादात्मक प्रतिक्रिया और धन्यवाद प्रस्ताव सत्र के साथ हुआ, जहाँ स्कूलों और कॉलेजों के प्रतिभागियों ने इस समृद्ध अनुभव के लिए आभार व्यक्त किया। समापन भाषण में, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संध्या लक्ष्मणन ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) ने असम (एलएसए) के लिए अपने स्वतंत्र ड्राइव टेस्ट (आईडीटी) निष्कर्ष जारी किए, जिसमें अगस्त 2025 के महीने में सिलचर शहर, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों और आसपास के क्षेत्रों के व्यापक शहरी मार्गों को शामिल किया गया। टीआरएआई क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता की देखरेख में आयोजित ड्राइव परीक्षणों को विविध उपयोग परिवेशों - शहरी क्षेत्रों, संस्थागत हॉटस्पॉट, ग्रामीण आवासीय क्षेत्रों आदि में वास्तविक मोबाइल नेटवर्क प्रदर्शन को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया था। 18 अगस्त 2025 और 22 अगस्त 2025 के बीच, टीआरएआई की टीमों ने असम राज्य के सिलचर शहर, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों और आसपास के इलाकों में विस्तृत परीक्षण किए, जिसमें 284.1 किलोमीटर का सिटी ड्राइव टेस्ट, 10 हॉटस्पॉट लोकेशन और 2.4 किलोमीटर का पैदल परीक्षण शामिल था। मूल्यांकन की गई तकनीकों में 2जी, 3जी, 4जी और 5जी शामिल थे, जो विभिन्न हैंडसेट क्षमताओं वाले उपयोगकर्ताओं के सेवा अनुभव को दर्शाते हैं। आईडीटी के निष्कर्षों से सभी संबंधित टीएसपी को पहले ही अवगत करा दिया गया है। मूल्यांकित प्रमुख पैरामीटर: क) वॉयस सेवाएं : कॉल सेटअप सफलता दर (सीएसएसआर), ड्रॉप कॉल दर (डीसीआर), कॉल सेटअप समय, कॉल साइलेंस दर, आवाज़ की गुणवत्ता (एमओएस), कवरेज। ख) डेटा सेवाएं : डाउनलोड/अपलोड थ्रूपुट, विलंबता, जिटर, पैकेट ड्रॉप दर और वीडियो स्ट्रीमिंग में देरी। सिलचर शहर, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों और आसपास के क्षेत्रों में समग्र मोबाइल नेटवर्क प्रदर्शन का सारांश नीचे दिया गया है: कॉल सेटअप सफलता दर - एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की कॉल सेटअप सफलता दर ऑटो-सिलेक्शन मोड (5जी/4जी/3जी/2जी) में क्रमशः 99.80%, 82.03%, 100.00% और 90.62% है। ड्रॉप कॉल दर- एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की ऑटो-सिलेक्शन मोड (5जी/4जी/3जी/2जी) में कॉल ड्रॉप दर क्रमशः 1.18%, 3.04%, 0.00% और 0.83% है। 5G डेटा सेवाओं ने शहरी क्षेत्रों में अधिकतम औसत डाउनलोड गति 219.13 एमबीपीएस तथा अधिकतम औसत अपलोड गति 27.26 एमबीपीएस प्रदान की। सिलचर शहर, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों में, मूल्यांकन में तारापुर, कुम्भिरग्राम, बंशकांडी, रोंगपुर, कनकपुर, श्रीकोना, कालीनगर, लामाजुअर, बागरसांगन, ताजपुर, कनिशैल, बागबाड़ी, कलचेरा, कंचनपुर और अल्गापुर आदि क्षेत्र शामिल थे। टीआरएआई ने (i) असम विश्वविद्यालय, (ii) कछार कॉलेज, तारापुर सिलचर, (iii) जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिलचर का न्यायालय और कार्यालय, (iv) डीसी कार्यालय श्रीभूमि असम, (v) जिला सत्र न्यायालय हैलाकांडी, (vi) गंगपर धुमकर डाकघर, (vii) हैलाकांडी सिविल अस्पताल, (viii) करीमगंज कॉलेज करीमगंज, (ix) एनआईटी सिलचर, और (x) सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थैतिक परीक्षण के माध्यम से और (i) हैलाकांडी रेलवे स्टेशन, (ii) न्यू करीमगंज रेलवे स्टेशन, और (iii) सिलचर रेलवे स्टेशन पर वॉक-टेस्ट के माध्यम से वास्तविक दुनिया की स्थितियों का मूल्यांकन किया। प्रमुख QoS मापदंडों के विरुद्ध प्रदर्शन: सीएसएसआर: कॉल सेटअप सफलता दर (% में), सीएसटी: कॉल सेटअप समय (सेकंड में), डीसीआ: ड्रॉप कॉल दर (% में) और एमओएस: औसत राय स्कोर सारांश-डेटा सेवाएँ डेटा डाउनलोड प्रदर्शन (समग्र): एयरटेल (5जी/4जी/2जी) की औसत डाउनलोड गति 141.87 एमबीपीएस, बीएसएनएल (4जी/3जी/2जी) 1.69 एमबीपीएस, आरजेआईएल (5जी/4जी) 219.13 एमबीपीएस और वीआईएल (5जी/2जी) 22.68 एमबीपीएस है। डेटा अपलोड प्रदर्शन (समग्र): एयरटेल ((5जी/4जी/2जी) की औसत अपलोड गति 27.26 एमबीपीएस, बीएसएनएल (4जी/3जी/2जी) 3.70 एमबीपीएस, आरजेआईएल (5जी/4जी) 15.73 एमबीपीएस और वीआईएल (4जी/2जी) 6.71 एमबीपीएस है। विलंबता (समग्र): एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की 50 वीं प्रतिशत विलंबता क्रमशः 27.00 एमएस, 54.00 एमएस, 20.55 एमएस और 48.85 एमएस है। डेटा प्रदर्शन - हॉटस्पॉट (एमबीपीएस में): एयरटेल- 4जी डी/एल: 32.83 4जी यू/एल :11.05 5जी डी/एल: 153.635जीयू /एल: 29.73 बीएसएनएल- 4जी डी/एल: 1.564जीयू/एल: 4.76 आरजेआईएल- 4जी डी/एल: 33.034जीयू/एल: 7.02 5G डी/एल: 311.78 5G यू/एल: 22.40 वीआईएल- 4जी डी/एल: 26.464जीयू/एल: 9.16 नोट- “डी/एल” डाउनलोड गति, “यू/एल” अपलोड गति सारांश-वॉयस सेवाएँ कॉल सेटअप
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अगस्त 2025 के महीने में अगरतला शहर और आसपास के क्षेत्रों के व्यापक शहरी मार्गों को कवर करते हुए असम (एलएसए) के लिए स्वतंत्र ड्राइव परीक्षण (आईडीटी) के निष्कर्ष जारी किए। ट्राई क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता की निगरानी में किए गए ड्राइव परीक्षणों को विविध वातावरणों- शहरी क्षेत्रों, संस्थागत हॉटस्पॉट, व्यावसायिक क्षेत्रों, ग्रामीण आवासीय क्षेत्रों आदि में वास्तविक दुनिया के मोबाइल नेटवर्क की पहुंच के लिए तैयार किया गया था। 25 अगस्त 2025 और 29 अगस्त 2025 के बीच ट्राई के दलों ने त्रिपुरा राज्य के अगरतला शहर और आसपास के इलाकों में विस्तृत परीक्षण किए। इन परीक्षणों में 292.5 किलोमीटर का शहरी ड्राइव परीक्षण, 10 हॉटस्पॉट लोकेशन और 1.7 किलोमीटर का पैदल परीक्षण शामिल था। मूल्यांकन की गई तकनीकों में 2G, 3G, 4G और 5G शामिल थे, जो विभिन्न हैंडसेट क्षमताओं वाले उपयोगकर्ताओं के सेवा अनुभव को दर्शाते हैं। आईडीटी के निष्कर्षों से सभी संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को पहले ही अवगत करा दिया गया है। मूल्यांकित प्रमुख मापदंड: क) वॉयस सेवाएं : कॉल सेटअप सफलता दर (सीएसएसआर), ड्रॉप कॉल दर (डीसीआर), कॉल सेटअप समय, कॉल साइलेंस दर, आवाज़ गुणवत्ता (एमओएस), कवरेज। ख) डेटा सेवाएं : डाउनलोड/अपलोड सेवाएं, विलंबता, आवाज़ में बाधा उत्पन्न होना, पैकेट ड्रॉप दर और वीडियो अपलोड होने में देरी। अगरतला शहर और आसपास के क्षेत्रों में समग्र मोबाइल नेटवर्क प्रदर्शन का निम्नलिखित है: कॉल सेटअप सफलता दर - ऑटो-सिलेक्शन मोड (5G/4G/3G/2G) में एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की कॉल सेटअप सफलता दर क्रमशः 97.77%, 83.23%, 95.20% और 82.28% है। ड्रॉप कॉल दर- ऑटो-सिलेक्शन मोड (5G/4G/3G/2G) में एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल में ड्रॉप कॉल दर क्रमशः 0.91%, 5.83%, 0.00% और 2.48% है। 5G डेटा सेवाओं ने शहरी क्षेत्रों में अधिकतम औसत डाउनलोड गति 209.52 एमबीपीएस तथा अधिकतम औसत अपलोड गति 22.09 एमबीपीएस प्रदान की। अगरतला शहर और आसपास के क्षेत्रों में , मूल्यांकन में मोहनपुर, खोवाई, चेबरी, कल्याणपुर, कमलनगर, तेलियामुरा, जिरानिया, गाकुलनगर, बिशालगढ़, काकरबन, उदयपुर, जम्पुइजाला और श्यामनगर आदि क्षेत्र शामिल थे। ट्राई ने (i) जिला और सत्र न्यायाधीश न्यायालय अगरतला, (ii) खोवाई अस्पताल चौमुहानीखोवाई, (iii) महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज अगरतला, (iv) में वास्तविक दुनिया की स्थितियों का भी मूल्यांकन किया। नीरमहल रुडिजला, (v) नेताजी सुभाष महाविद्यालय उदयपुर ध्वजनगर, (vi) सचिवालय परिसर, (vii) तेलियामुरा हायर सेकेंडरी स्कूल करैलोंग, (viii) त्रिपुरा विश्वविद्यालय अगरतला, (ix) त्रिपुरासुंदरी शक्तिपीठ अगरतला, और (x) उज्जयंता पैलेस स्थैतिक परीक्षण के माध्यम से और (i) अगरतला सिटी सेंटर, (ii) अगरतला रेलवे स्टेशन, और (iii) आईएलएस अस्पताल अगरतला, के माध्यम से वॉक-टेस्ट । प्रमुख QoS मापदंडों के विरुद्ध प्रदर्शन: सीएसएसआर : कॉल सेटअप सफलता दर (% में), सीएसटी : कॉल सेटअप समय (सेकंड में), डीसीआर : ड्रॉप कॉल दर (% में) और एमओएस : औसत राय स्कोर वॉयस सेवाएँ कॉल सेटअप सफलता दर: एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की कॉल सेटअप सफलता दर ऑटो-सिलेक्शन मोड (5G/4G/3G/2G) में क्रमशः 97.77%, 83.23%, 95.20% और 82.28% है। कॉल सेटअप समय: एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल में ऑटो-सिलेक्शन मोड (5G/4G/3G/2G) में कॉल सेटअप समय क्रमशः 2.46, 2.84, 0.73 और 1.51 सेकंड है। ड्रॉप कॉल दर: एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल में ऑटो-सिलेक्शन मोड (5G/4G/3G/2G) में ड्रॉप कॉल दर क्रमशः 0.91%, 5.83%, 0.00% और 2.48% है। कॉल साइलेंस/म्यूट दर: पैकेट स्विच्ड नेटवर्क (5G/4G) में एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की साइलेंस कॉल दर क्रमशः 2.70%, 1.66%, 3.42% और 1.58% है। औसत राय स्कोर (एमओएस): एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल का औसत एमओएस क्रमशः 4.02, 2.72, 3.86 और 4.58 है। डेटा सेवाएँ डेटा डाउनलोड प्रदर्शन (समग्र): एयरटेल (5G/4G/2G) की औसत डाउनलोड गति 116.89 एमबीपीएस, बीएसएनएल (4G/3G/2G) 0.89 एमबीपीएस, आरजेआईएल (5G/4G) 209.52 एमबीपीएस और वीआईएल (4G/2G) 23.17 एमबीपीएस है। डेटा अपलोड प्रदर्शन (समग्र): एयरटेल (5G/4G/2G) की औसत अपलोड गति 22.09 एमबीपीएस, बीएसएनएल (4G/3G/2G) 2.62 एमबीपीएस, आरजेआईएल (5G/4G) 14.72 एमबीपीएस और वीआईएल (4G/2G) 8.00 एमबीपीएस है। विलंबता (समग्र): एयरटेल, बीएसएनएल, आरजेआईएल और वीआईएल की 50 वीं प्रतिशत विलंबता क्रमशः 28.60 एमएस, 86.00 एमएस, 21.60 एमएस और 47.85 एमएस है। डेटा प्रदर्शन - हॉटस्पॉट (एमबीपीएस में): एयरटेल- 4G D/L: 25.03 4G U/L: 13.36 5G डी/एल: 143.425GU/एल: 40.93 बीएसएनएल- 4जी डी/एल: 0.574जीयू/एल: 3.11 आरजेआईएल- 4जी डी/एल: 21.994जीयू/एल: 6.89 5G डी/एल: 209.40 5G यू/एल: 13.78 वीआईएल- 4जी डी/एल: 24.54 4जी यू/एल: 9.50 नोट- “D/L” डाउनलोड गति, “U/L” अपलोड गति ये परीक्षण वास्तविक समय में ट्राई द्वारा सुझाए गए उपकरणों और मानकीकृत प्रोटोकॉल का उपयोग करके किए गए थे। विस्तृत रिपोर्ट ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्ध है । किसी भी स्पष्टीकरण/जानकारी के लिए, श्री कौशिक मुखर्जी, सलाहकार (क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता) ट्राई से ईमेल: adv.kolkata@trai.gov.in या फ़ोन नंबर +91-33-22361401 पर संपर्क किया जा सकता है।
शहरी क्षेत्रों के लिए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक गांधी जयंती पर समाप्त हुआ। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 17 सितंबर 2025 को स्वच्छता शपथ के साथ इस अभियान की शुरुआत की। इससे कार्यालयों और समुदायों में स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई। इस वर्ष के अभियान का मुख्य उद्देश्य स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों को आदर्श स्वच्छ क्षेत्रों में बदलना और अधिक लोगों की आवाजाही वाले सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखना था। निरोधक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए सफाई मित्रों के लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए। व्यक्तिगत स्वच्छता और सतत स्वच्छता प्रथाओं को रेखांकिंत करने के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और उसके कार्यालयों में जागरूकता गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं। अभियान के दौरान 52 स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों का कायाकल्प किया गया और 104 सार्वजनिक स्थलों की सफाई की गई। इससे स्वच्छता मानकों में सुधार देखा गया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में सफाई मित्रों के लिए व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इसका एक प्रमुख आकर्षण 25 सितंबर 2025 को आयोजित राष्ट्रव्यापी श्रमदान था। इसमें 2,500 से अधिक अधिकारियों और स्वयंसेवकों ने सफाई अभियान, वृक्षारोपण और जागरूकता गतिविधियों में भाग लिया। उनकी सक्रिय भागीदारी ने पर्यावरणीय स्थिरता और स्वच्छ भारत के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी के प्रति सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। इन प्रयासों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा 2025 अभियान ने सामुदायिक सेवा, पर्यावरण संरक्षण और निरोधक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत किया। इससे एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा मिला।
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी 20-22 अक्टूबर, 2025 तक फिलीपींस में एक उच्च स्तरीय ज्ञान आदान-प्रदान मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। यह कार्यक्रम विश्व बैंक के सहयोग से आयोजित किया गया है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस दौरान प्रवासी श्रमिक विभाग (डीएमडब्ल्यू), तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास प्राधिकरण (टीईएसडीए), फिलीपीन सांख्यिकी प्राधिकरण (पीएसए) और प्रवासी श्रमिक कल्याण प्रशासन (ओडब्ल्यूडब्ल्यूए) जैसे फिलीपींस के प्रमुख संस्थानों के साथ कई बैठकें होंगी। इस यात्रा का उद्देश्य ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना तथा कौशल विकास, श्रम गतिशीलता और डेटा-संचालित नीति ढांचे से संबंधित क्षेत्रों में सर्वोत्तम नियमों को साझा करना है। यह मिशन मानव पूंजी विकास पर सहयोग करने, पारस्परिक शिक्षा को बढ़ावा देने तथा कौशल एवं उद्यमिता के माध्यम से न्यायसंगत और सतत विकास के लिए ग्लोबल साउथ की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
केंद्र सरकार ने गुजरात और हरियाणा में ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को मज़बूत बनाने के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) के अनुदान जारी किए हैं। गुजरात में, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹522.20 करोड़ की असंबद्ध अनुदान की दूसरी किस्त राज्य की सभी 38 ज़िला पंचायतों, 247 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 14,547 पात्र ग्राम पंचायतों के लिए जारी की गई है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुक्त (अनटाइड) अनुदान की पहली किस्त के रोके गए हिस्से के ₹13.5989 करोड़ अतिरिक्त पात्र 6 जिला पंचायतों, 5 ब्लॉक पंचायतों और 78 ग्राम पंचायतों को भी जारी कर दिए गए हैं। जबकि हरियाणा के लिए, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुक्त अनुदान की ₹195.129 करोड़ की पहली किस्त जारी की है, जो राज्य की 18 जिला पंचायतों, 134 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 6,164 ग्राम पंचायतों के लिए है। भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) के माध्यम से, राज्यों को पंचायती राज संस्थाओं/ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए XV-FC अनुदान जारी करने की सिफारिश करती है, जिन्हें बाद में वित्त मंत्रालय जारी करता है। आवंटित अनुदानों की सिफारिश की जाती है और एक वित्तीय वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाता है। वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, पंचायती राज संस्थाओं/ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित उनतीस (29) विषयों के अंतर्गत स्थान-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए मुक्त अनुदानों का उपयोग किया जाएगा। बद्ध (टाइड) अनुदानों का उपयोग (क) स्वच्छता और खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, और इसमें घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, विशेष रूप से मानव मल और मल प्रबंधन, और (ख) पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण शामिल होना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। वर्ष 1959 में आज ही के दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 10 वीर पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में शहीद नायकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र के प्रति उनके अदम्य साहस व सेवा के लिए पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल और पुलिस बल दोनों ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मजबूत स्तंभ हैं, जहां सशस्त्र बल देश की सीमाओं तथा भौगोलिक अखंडता की रक्षा करते हैं, वहीं पुलिस बल समाज एवं सामाजिक अखंडता की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सेना और पुलिस भले ही अलग-अलग मंचों पर कार्यरत हों, लेकिन उनका मिशन एक ही है — राष्ट्र की रक्षा करना। सिंह ने कहा, “जब हम 2047 तक विकसित भारत की दिशा में अग्रसर हैं, तब राष्ट्र की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है।” राजनाथ सिंह ने वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां एक ओर सीमाओं पर अस्थिरता बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ समाज के भीतर अपराध, आतंकवाद एवं वैचारिक युद्ध के नए स्वरूप उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपराध अब पहले से कहीं अधिक संगठित, अदृश्य व जटिल हो गए हैं, जिनका उद्देश्य समाज में अराजकता फैलाना, आपसी विश्वास को कमजोर करना और राष्ट्र की स्थिरता को चुनौती देना है। रक्षा मंत्री ने अपराध नियंत्रण की अपनी आधिकारिक जिम्मेदारी के साथ-साथ समाज में विश्वास बनाए रखने के नैतिक दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने के लिए पुलिस बल की सराहना की। उन्होंने कहा, “यदि आज नागरिक चैन की नींद सो पा रहे हैं, तो इसका श्रेय हमारे सतर्क सशस्त्र बलों और सतर्क पुलिस कर्मियों पर उनके अटूट विश्वास को जाता है। यही भरोसा हमारे देश की स्थिरता और सुरक्षा की सबसे मजबूत नींव है।” लंबे समय तक देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बने नक्सलवाद का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के संगठित एवं ठोस प्रयासों ने इस समस्या को विस्तार से रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने अब राहत की सांस ली है, क्योंकि अशांति की जगह विश्वास तथा विकास का वातावरण स्थापित हो रहा है। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले वर्ष मार्च तक नक्सलवाद की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कई शीर्ष नक्सलियों का सफाया किया गया है और जो लोग पहले देश के खिलाफ हथियार उठाते थे, वे अब आत्मसमर्पण कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। रक्षा मंत्री ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, जो क्षेत्र कभी नक्सलवाद के गढ़ माने जाते थे, वे अब शिक्षा और प्रगति के केंद्र बन रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो इलाके कभी लाल गलियारे के रूप में जाने जाते थे, वे अब विकास गलियारों में परिवर्तित हो गए हैं। इस परिवर्तन में पुलिस और सुरक्षा बलों का योगदान अत्यंत सराहनीय एवं निर्णायक रहा है।” रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और इस दिशा में पुलिस बलों की निरंतर भूमिका व योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक एक राष्ट्र के रूप में हम पुलिस के योगदान को पूरी तरह से मान्यता नहीं देते थे, किंतु प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना करके इस ऐतिहासिक कमी को पूरा किया गया। सिंह ने बताया कि सरकार ने पुलिस बलों को अत्याधुनिक हथियारों, उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित किया है। उन्होंने कहा कि अब पुलिस के पास उन्नत निगरानी प्रणालियां, ड्रोन, आधुनिक फोरेंसिक प्रयोगशालाएं और डिजिटल पुलिसिंग जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं उपलब्ध हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, “पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए राज्यों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग तभी संभव है, जब सभी सुरक्षा एजेंसियां बेहतर समन्वय और एकीकरण के साथ कार्य करें। रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि समाज व पुलिस एक-दूसरे के पूरक और परस्पर निर्भर अंग हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत, प्रभावी एवं सतर्क बनाने के लिए दोनों के बीच संतुलित तथा विश्वासपूर्ण संबंध बनाए रखना अत्यावश्यक है। सिंह ने कहा, “पुलिस व्यवस्था तभी प्रभावी रूप से कार्य कर सकती है, जब नागरिक सक्रिय भागीदारी के साथ कानून का सम्मान करें और उसका पालन करें। उन्होंने कहा कि जब समाज और पुलिस के बीच का संबंध आपसी समझ, सहयोग एवं जिम्मेदारी की भावना पर आधारित होता है, तब दोनों ही सशक्त व समृद्ध बनते हैं।” इस कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और दिल्ली पुलिस की एक प्रभावशाली संयुक्त परेड आयोजित की गई। इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार, गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, बीएसएफ के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी सहित सीएपीएफ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त महानिदेशकगण तथा पुलिस के कई अधिकारी उपस्थित रहे।