सिकंदरा, दौसा।
राजकीय कन्या महाविद्यालय सिकंदरा और स्वामी विवेकानंद बालिका प्रसार समिति, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य विषय था "भारतीय ज्ञान परंपरा और गांधी दर्शन - एक समग्र दृष्टिकोण"।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के साथ हुआ। इसके पश्चात छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं महात्मा गांधी का प्रिय भजन "रघुपति राघव राजा राम" प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।
प्राचीन ज्ञान ही भारत की असली धरोहर: प्रो. जनक सिंह मीना
मुख्य वक्ता के रूप में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. जनक सिंह मीना ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा वैदिक युग से चली आ रही है और यह विश्व की सबसे समृद्ध परंपराओं में से एक है।
उनका कहना था कि वेद, उपनिषद, स्मृतियां और ऋचाएं न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि समाज, जीवन, विज्ञान और दर्शन के मूल स्रोत भी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में नैतिकता, धर्म, सदाचार और जीवन दर्शन की नींव इन्हीं ग्रंथों में निहित है।
गांधी दर्शन – भारतीय ज्ञान परंपरा की जीवंत अभिव्यक्ति
प्रो. मीना ने अपने उद्बोधन में गांधी दर्शन को भारतीय ज्ञान परंपरा की सजीव व्याख्या बताया। उन्होंने कहा कि गांधी जी का जीवन सत्य, अहिंसा, स्वराज, सर्वोदय और अंत्योदय जैसे सिद्धांतों पर आधारित था, जो सीधे-सीधे भारतीय परंपरा से जुड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि आज हम इन सिद्धांतों को जीवन में अपनाएं तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। यह दर्शन केवल आदर्श नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन जीने की कला है।
महाविद्यालय को दी पुस्तकें
इस अवसर पर प्रो. जनक सिंह मीना ने महाविद्यालय को 11,000 रुपये की पुस्तकें भेंट करने की घोषणा की, जिससे छात्राओं को शैक्षणिक लाभ मिलेगा और अध्ययन सामग्री की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
उपस्थित रहीं महाविद्यालय की प्रमुख हस्तियां
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अखयराज मीना ने की।
कार्यशाला में डॉ. मुकेश वर्मा, डॉ. शैलेन्द्र मौर्य, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, जनप्रतिनिधि, शिक्षकगण तथा छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। यह कार्यशाला भारतीय परंपरा और गांधी विचारों की प्रासंगिकता को पुनः रेखांकित करने का एक सशक्त प्रयास रही। कार्यक्रम ने छात्राओं को न केवल वैचारिक प्रेरणा दी, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की अनुभूति भी कराई।
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