पांच साल की बच्ची की तीन अंगुलियां उड़ीं, पाइप बम से बच्चे की आंख झुलसी; विशेषज्ञ बोले — लापरवाही और जिज्ञासा सबसे बड़ा खतरा
जयपुर। रोशनी और उल्लास के त्योहार दिवाली की रात जयपुर में कई परिवारों के लिए दर्द और डर की रात बन गई। पटाखों से खेलने की लापरवाही ने न सिर्फ बच्चों को घायल किया बल्कि कई घरों की खुशियां भी छीन लीं।
सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में सोमवार रात तक पटाखों से घायल 24 मरीजों को भर्ती किया गया, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं।
पटाखा हाथ में फटा — पांच साल की बच्ची की तीन उंगलियां गईं
जयपुर के महेश नगर इलाके में पांच साल की एक बच्ची के हाथ में पटाखा जलाने के दौरान विस्फोट हो गया। धमाका इतना तेज था कि उसकी तीन अंगुलियां पूरी तरह अलग हो गईं और हाथ गंभीर रूप से झुलस गया।
परिजन तुरंत उसे SMS अस्पताल लेकर पहुंचे जहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग में उसका उपचार चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, हाथ का एक हिस्सा दोबारा जोड़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन स्थिति नाजुक बनी हुई है।
पाइप बम से 14 वर्षीय बच्चे की आंख झुलसी
दूसरा बड़ा हादसा झोटवाड़ा इलाके में हुआ, जहां 14 वर्षीय बालक ने पाइप बम जैसी अवैध पटाखे की सामग्री में बारूद भरते समय आग पकड़ ली। धमाके से उसकी एक आंख बुरी तरह झुलस गई, जबकि आसपास मौजूद एक युवक की भी आंख में बारूद के कण चले गए। दोनों को SMS अस्पताल के नेत्र विभाग में भर्ती कराया गया है।
अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के पाइप बम और प्रयोगात्मक पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं, जिनसे अक्सर स्थायी चोटें या अंग-भंग की स्थिति बन जाती है।
SMS में पटाखों से घायल 24 मरीज भर्ती
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, दिवाली के 24 घंटे के भीतर 24 से अधिक लोग पटाखों की चपेट में आए, जिनमें कई बच्चों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं।
घायलों में हाथ और चेहरा झुलसने के कई मामले सामने आए हैं। अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड और बर्न यूनिट में अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया गया।
डॉक्टरों का कहना है कि हर साल दिवाली पर ऐसे हादसे बढ़ जाते हैं क्योंकि लोग सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं और उत्साह में बच्चों को बिना निगरानी के पटाखे चलाने देते हैं।
डॉक्टरों की अपील — बच्चों को अकेला न छोड़ें
अस्पताल के विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि पटाखे हमेशा खुले स्थान पर और वयस्कों की देखरेख में ही चलाएं।
डॉक्टरों का कहना है कि हाथ में पकड़े पटाखे, बमनुमा पटाखे या बारूद से भरे प्रयोग बच्चों के लिए बेहद खतरनाक हैं।
उन्होंने बताया कि SMS में भर्ती कई मरीजों की चोटें ऐसी हैं जिनमें स्थायी विकलांगता का खतरा है।
हर साल दोहराई जा रही वही गलती
दिवाली से पहले प्रशासन और डॉक्टर लगातार सावधानी बरतने की अपील करते हैं, लेकिन हादसों के आंकड़े बताते हैं कि जागरूकता के बावजूद लोग लापरवाही नहीं छोड़ते।
जयपुर में पिछले साल भी दिवाली के मौके पर 27 लोग पटाखों से घायल हुए थे, जिनमें से दो की आंखों की रोशनी चली गई थी।
त्योहार की सीख — सुरक्षा भी है सबसे बड़ा उत्सव
त्योहारों का मकसद खुशियां बांटना है, लेकिन एक छोटी सी गलती पूरी जिंदगी का दर्द दे सकती है।
जयपुर की यह दिवाली फिर एक बार यह सबक दे गई कि रोशनी के साथ सुरक्षा की लौ जलाना भी उतना ही जरूरी है।