राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के बीच राजस्थान सरकार की पदोन्नति प्रक्रिया (DPC) में हो रही देरी ने शिक्षा व्यवस्था को संकट में डाल दिया है। वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा विभाग में व्याख्याता के 28,000 और वरिष्ठ अध्यापक के 41,000 पद खाली पड़े हैं। यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्र-छात्राएं बिना शिक्षक के पढ़ाई करने को मजबूर होंगे।
वाइस प्रिंसिपल नियुक्ति से बढ़ा खाली पदों का आंकड़ा
वर्ष 2023-24 और 2024-25 के चयन वर्ष में कुल 11,838 व्याख्याताओं को वाइस प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत किया गया है। चयनितों को 7 अक्टूबर 2025 तक यथास्थान कार्यग्रहण के निर्देश दिए गए हैं। इससे करीब 11,000 व्याख्याता पद अतिरिक्त रूप से रिक्त हो गए, जबकि 17,000 पद पहले से खाली चल रहे थे। इस तरह कुल 28,000 व्याख्याता पद अब रिक्त हैं।
संगठन की मांग है कि वाइस प्रिंसिपल पद पर यथास्थान कार्यग्रहण करने वाले सभी व्याख्याताओं की विषयवार संख्या एकत्र की जाए और उन्हें रिक्त मानकर व्याख्याता के 3 चयन वर्ष की डीपीसी तत्काल प्रारंभ करवाई जाए।
वरिष्ठ अध्यापक पद की डीपीसी 5 वर्षों से लंबित
तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक पद पर पिछले पांच चयन वर्षों से डीपीसी अटकी हुई है। मामला अतिरिक्त विषय स्नातक को शामिल करने से जुड़ा हुआ है, जो फिलहाल माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। ऐसे में 41,000 वरिष्ठ अध्यापक पद खाली पड़े हैं।
यदि वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद की 3 चयन वर्षों की डीपीसी हो जाती है और नए प्रमोशन होते हैं, तो वरिष्ठ अध्यापक के पदों की रिक्त संख्या बढ़कर 55,000 तक पहुंच जाएगी, जिससे कक्षा 9वीं और 10वीं की पढ़ाई पर बड़ा असर पड़ना तय है।
शिक्षक संगठन ने जताई चिंता, कार्य व्यवस्था से समाधान की मांग
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने मांग की है कि जिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पात्रता सूची उपलब्ध है, उन्हें वरिष्ठ अध्यापक पद पर कार्य व्यवस्था के तहत नियुक्ति दी जाए। इससे एक ओर कक्षा 9-10 के विद्यार्थियों को शिक्षक मिल सकेंगे, वहीं दूसरी ओर तृतीय श्रेणी में नई भर्ती के लिए पद खाली हो सकेंगे, जिससे बेरोजगारों को भी राहत मिलेगी।
संगठन के मुख्य महामंत्री महेंद्र पांडे ने बताया कि इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। विभाग द्वारा अगले माह से अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की योजना बनाई जा रही है, ऐसे में छात्रों को पढ़ाने के लिए शीघ्र शिक्षक उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
संगठन की मुख्य मांगें:
• वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद की 3 चयन वर्ष की डीपीसी तुरंत करवाई जाए।
• वाइस प्रिंसिपल पद पर यथास्थान कार्यग्रहण करने वाले व्याख्याताओं की विषयवार सूची तैयार की जाए।
• तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक पद पर पात्रता सूची के अनुसार कार्य व्यवस्था की जाए।
• सरकार शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने के लिए विशेष अभियान चलाए।
निष्कर्ष:
राज्य की शिक्षा व्यवस्था इस समय गहरे संकट में है। कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में पदोन्नति प्रक्रिया में हो रही देरी को दूर कर स्थायी और कार्य व्यवस्था दोनों स्तरों पर समाधान निकालना अब बेहद जरूरी हो गया है। शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को इस ओर तत्काल गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है।
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