झालावाड़।
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणों तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने और गांवों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर अब न केवल प्रशासनिक पहल के प्रतीक बन रहे हैं, बल्कि गांवों में समाधान और सौहार्द की नई मिसाल भी पेश कर रहे हैं।
शिविर में सुलझा वर्षों पुराना विवाद
सुनेल पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली सोयला ग्राम पंचायत में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर में गुरुवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक पहल से वर्षों पुराने विवाद भी आपसी सहमति से सुलझाए जा सकते हैं।
यहां श्मशान भूमि को लेकर राजपूत समाज के दो पक्षों के बीच करीब दो वर्षों से विवाद चल रहा था। मामला शिविर के दौरान कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उन्होंने दोनों पक्षों की बात धैर्यपूर्वक सुनी और पारस्परिक सहमति से समाधान का मार्ग सुझाया।
नतीजतन, सोयला निवासी सज्जनसिंह पुत्र रणजीतसिंह ने 0.0253 हेक्टेयर भूमि स्वेच्छा से समर्पित करने का निर्णय लिया। इस पहल से वर्षों पुराना विवाद शांतिपूर्वक समाप्त हो गया, जिससे गांव में फिर से आपसी मेलजोल और सौहार्द का माहौल बना।
प्रशासन ने बढ़ाया सौहार्द का संदेश
विवाद निस्तारण के बाद कलेक्टर ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों को माला पहनाकर सम्मानित किया और सामाजिक एकता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सेवा शिविरों का मुख्य उद्देश्य केवल शिकायतें सुनना नहीं, बल्कि आपसी संवाद और सहयोग के माध्यम से स्थायी समाधान तक पहुंचना है।
ग्रामीणों ने जताया आभार
विवाद समाप्त होने पर दोनों पक्षों के लोगों और गांववासियों ने प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे शिविरों से गांवों में न्याय, विकास और पारस्परिक विश्वास की भावना मजबूत हो रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनकी पहल से अब गांव और ढाणी तक सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर मिल रहा है, साथ ही समस्याओं का त्वरित समाधान भी हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना था कि इन शिविरों के माध्यम से गांवों में शांति, सहयोग और समरसता का वातावरण विकसित हो रहा है, जो नए राजस्थान के निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
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