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    दीपावली 20 अक्टूबर को: इस रात जलाएं एक दीपक अलक्ष्मी के लिए भी, दूर रहें दरिद्रता और दुर्भाग्य से समुद्र मंथन से पहले प्रकट हुईं अलक्ष्मी, देवी लक्ष्मी के साथ होती है इनकी भी आराधना का महत्व

    इस दीपावली न सिर्फ धन की देवी लक्ष्मी, बल्कि दरिद्रता की प्रतीक अलक्ष्मी से भी जुड़ी है एक खास परंपरासोमवार, 20 अक्टूबर को दीपावली है — रोशनी का पर्व, सौभाग्य का उत्सव और समृद्धि का प्रतीक। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है ताकि जीवन में धन, सुख और वैभव बना रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मी के साथ-साथ उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी से जुड़ी एक परंपरा भी इस दिन निभाई जाती है?दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व: • इस दिन मां लक्ष्मी का स्वागत घर में दीप जलाकर, सफाई कर और पूजा अर्चना से किया जाता है।• लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।• रात के समय विशेष लक्ष्मी पूजन से घर में स्थायी सुख-समृद्धि का वास होता है।कौन हैं अलक्ष्मी? क्यों जलाते हैं उनके नाम का दीपक?: • अलक्ष्मी, लक्ष्मी की बड़ी बहन मानी जाती हैं और इन्हें दरिद्रता, क्लेश और दुर्भाग्य की देवी के रूप में जाना जाता है।• पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, तो सबसे पहले अलक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। लक्ष्मी उनके बाद प्रकट हुईं।• शास्त्रों के अनुसार, दीपावली की रात घर के बाहर एक दीपक अलक्ष्मी के लिए जलाना चाहिए ताकि वे घर में प्रवेश न कर सकें।• यह दीपक मुख्य दरवाजे पर या किसी कोने में रखा जाता है।अलक्ष्मी का स्वभाव और प्रभाव: • अलक्ष्मी को गंदगी, झगड़े, आलस्य और अधार्मिकता प्रिय हैं।• वह उन्हीं घरों में वास करती हैं, जहां नकारात्मकता, अस्वच्छता और कुव्यवहार होता है।• एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब अलक्ष्मी का विवाह मुनि उद्दालक से हुआ तो उन्होंने खुद कहा कि वह केवल उन घरों में जाती हैं जो गंदे और असंयमी होते हैं।अलक्ष्मी से बचना है तो अपनाएं सकारात्मक जीवनशैली: • दीपावली के दिन केवल पूजा करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, स्वच्छता और धर्म पालन भी जरूरी है।• नियमित पूजा, जल्दी उठना, साफ-सुथरा घर और सद्व्यवहार से अलक्ष्मी का प्रभाव दूर रहता है।• जिनके जीवन में पूजा-पाठ के बावजूद धन हानि हो रही हो, उनके ऊपर अलक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है।• शास्त्रों के अनुसार, धार्मिक आचरण, सत्कर्म और सदाचार से ही अलक्ष्मी के प्रभाव को हटाया जा सकता है।एक दीपक, एक संदेश: इस दीपावली जब आप पूरे घर में दीपों की रोशनी से लक्ष्मी का स्वागत करें, तो दरवाजे के बाहर एक दीपक अलक्ष्मी के लिए भी जरूर जलाएं।यह न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जहां सजगता और सदाचार है, वहां नकारात्मकता टिक नहीं सकती।

    मोर सागर बांध से अजमेर बनेगा पेयजल में आत्मनिर्भर पुष्कर क्षेत्र में 7.04 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण, चयनित युवाओं का सम्मान

    अजमेर।राज्य के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि मोर सागर बांध परियोजना के पूर्ण होने से अजमेर जिले को पेयजल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक गांव और ढाणी तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाए।उन्होंने गुरुवार को पुष्कर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत खोरी और कड़ैल में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविरों का निरीक्षण किया तथा कुल 7.04 करोड़ रुपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और खेल सुविधाओं को सशक्त बनाने के लिए हो रहे प्रयासों की जानकारी दी।लोकार्पित कार्यों में अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड कनिष्ठ अभियंता उप कार्यालय, कड़ैल (20 लाख रुपये), उप स्वास्थ्य केंद्र डूगरिया खुर्द (38 लाख रुपये), वाचनालय भवन एवं खेल मैदान विकास, रेवत (65 लाख रुपये), क्रमोन्नत प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय कड़ैल एवं वाचनालय भवन, डूगरिया कला (25 लाख रुपये), कब्रिस्तान विकास कार्य, कड़ैल (14.99 लाख रुपये) तथा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कड़ैल के नवनिर्मित भवन (449 लाख रुपये) शामिल हैं।रावत ने कहा कि राज्य सरकार के विकासोन्मुखी दृष्टिकोण और डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप पुष्कर क्षेत्र तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने ग्रामीण सेवा शिविरों को शासन की पारदर्शी और जनकेंद्रित नीति का सशक्त उदाहरण बताया।कार्यक्रम के दौरान कड़ैल पंचायत के आरएएस टॉपर कुशल चौधरी सहित चयनित युवाओं को सम्मानित किया गया। मंत्री ने कहा कि यह उपलब्धियां ग्रामीण युवाओं की प्रतिभा और परिश्रम का प्रमाण हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।उन्होंने कहा कि सरकार का संकल्प है कि विकास की हर योजना का लाभ गांव-गांव और व्यक्ति-व्यक्ति तक पहुंचे, ताकि आत्मनिर्भर राजस्थान के लक्ष्य को साकार किया जा सके।

    उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने आरएएस में चयनित अभ्यर्थियों से मुलाकात कर दी बधाई, राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित रहने की सीख दी

    जयपुर। सरकारी नौकरी सेवा का बहुत बड़ा माध्यम है। आम जन बहुत विश्वास से अपने कार्य के लिए सरकारी कार्यालय जाता है। उसे सही दिशा मिल जाए तो उसके परिवार, गांव, क्षेत्र की बड़ी समस्या दूर हो जाती है। आप लोगों ने मेहनत और समर्पण से सफलता अर्जित की है जिसमें कहीं  न कहीं आपके परिवार, गुरूजन या किसी अन्य सदाशय व्यक्ति का सहयोग रहा होगा। अपने राजकीय दायित्व से परे भी कमजोर और विकास की दौड़ में पिछड़े कम से कम 1 परिवार का जीवन संवार कर ''गिव बैक टू सोसायटी'' की भावना को साकार करें। सदैव राष्ट्र सेवा को प्रथम रखें।राजस्थान प्रशासनिक सेवा— 2023 में चयनित हुए राज्यभर से आए हुए अभ्यर्थियों से बातचीत करते हुए उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने उन्हें यह प्रेरणा दी। इस दौरान दूदू विधानसभा क्षेत्र से भी सफल अभ्यर्थी मौजूद रहे।  उप मुख्यमंत्री ने चयनित हुए सभी अभ्यर्थियों से आत्मीय भेंट कर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित की। डॉ. बैरवा ने बताया कि यह सफलता आप सभी के कठिन परिश्रम, निष्ठा और समर्पण का परिणाम है। विश्वास है कि आप अपनी कर्मठता और ईमानदारी से प्रदेश के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाएँगे। उन्होंने उपस्थित अभ्यर्थियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना भी की।

    साक्ष्य आधारित डेटा से शिक्षा योजनाओं की समीक्षा को मिलेगी नई दिशा – यूनिसेफ की कार्यशाला में जोर

    जयपुर, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद और शिक्षा विभाग के तत्वाधान में यूनिसेफ के सहयोग से जयपुर में एकदिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसका केंद्रबिंदु था स्कूल शिक्षा में साक्ष्य आधारित योजना निर्माण। यह कार्यशाला शिक्षा नीति और योजना निर्माण में डेटा के महत्व को समझने और लागू करने के लिए आयोजित की गई।कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करना और डेटा आधारित निर्णय प्रक्रिया को मजबूत बनाना रहा। इसके तहत शिक्षा में प्रमुख चुनौतियों की पहचान, लक्षित समूहों का विश्लेषण और समाधान के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।साक्ष्य आधारित आंकड़ों से प्रभावी योजना निर्माणकार्यशाला में प्रतिभागियों को डेटा और सूचकांकों के मूल्यांकन पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया गया। इसके जरिए यह समझाया गया कि कैसे जिला और राज्य स्तर पर शिक्षा योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।यूनिसफ दिल्ली से आए शिक्षाविद डॉ. गणेश कुमार निगम ने कहा कि राजस्थान शिक्षा क्षेत्र में नवाचारों की जन्मभूमि रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में डेटा विज़ुअलाइजेशन और नवाचारी दृष्टिकोण के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उनका कहना था कि साक्ष्य आधारित डेटा से योजनाओं की समीक्षा करने पर परिणाम अधिक प्रभावी होते हैं और कोई बच्चा पीछे नहीं छूटता।डॉ. निगम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सटीक डेटा संग्रहण, विज़ुअलाइजेशन और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावी शिक्षा नीति निर्माण के महत्वपूर्ण उपकरण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा न केवल निर्णय क्षमता बढ़ाती है, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति में भी योगदान करती है, जिससे 0.37 प्रतिशत तक GDP में वृद्धि संभव है।कार्यशाला के प्रमुख शैक्षिक उद्देश्य• लक्षित और वंचित भौगोलिक क्षेत्रों तथा समूहों की सटीक पहचान• शिक्षा में कमियों की पहचान और प्रगति की निगरानी के लिए प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक (PGI) के उपयोग को बढ़ावा देना• PGI स्कैनर के माध्यम से प्रगति ट्रैकिंग और समीक्षा प्रक्रिया को सुदृढ़ बनानाशिक्षा क्षेत्र की व्यापक भागीदारीकार्यक्रम में समग्र शिक्षा अभियान, आरएससीईआरटी, स्टेट ओपन स्कूल, एसआईईएमएटी और यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य के सभी जिलों के शिक्षा अधिकारी, सीडीईओ और एडीपीडी सहित शिक्षा विभाग के वरिष्ठ प्रतिनिधि मौजूद रहे। उन्होंने शिक्षा सुधार और डेटा आधारित योजना निर्माण पर अपने अनुभव और सुझाव साझा किए।कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि साक्ष्य आधारित योजना निर्माण न केवल शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाता है, बल्कि सभी बच्चों तक समान अवसर पहुँचाने में भी मदद करता है। इस पहल से राजस्थान शिक्षा क्षेत्र में नवाचार और योजनाओं की प्रभावशीलता को नया आयाम मिलने की उम्मीद है।

    बियानी कॉलेज ने जरूरतमंद बच्चों के साथ मनाई दिवाली स्लम एरिया और अनाथालयों के बच्चों ने दिखाया उत्साह और प्रतिभा, कॉलेज परिसर गूंज उठा खुशियों से

    जयपुर। बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेस ने दिवाली के पावन अवसर पर एक विशेष सामाजिक पहल के तहत स्लम एरिया और अनाथालयों के बच्चों को आमंत्रित किया और उनके साथ उत्सव मनाया। इस अवसर पर कॉलेज परिसर बच्चों की हँसी, उत्साह और रंग-बिरंगी प्रस्तुतियों से जीवंत हो उठा।बच्चों की रचनात्मकता ने सभी को किया मंत्रमुग्धकार्यक्रम में बच्चों ने नृत्य, गीत और विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छोटे-छोटे बच्चों के उत्साह और मासूमियत ने सभी उपस्थितों का मन मोह लिया और कार्यक्रम को अत्यंत आनंदमय बना दिया।सकारात्मक जीवन मूल्यों की दी सीखसंस्थान के निदेशक डॉ. संजय बियानी ने बच्चों को जीवन में अनुशासन, सकारात्मक सोच और नियमित दिनचर्या के महत्व के बारे में प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों से यह शपथ दिलाई कि वे प्रतिदिन सुबह जल्दी उठेंगे, माता-पिता और ईश्वर को प्रणाम करेंगे, प्रार्थना करेंगे और अपने दैनिक कार्यों को ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूर्ण करेंगे।खुशियों की बाटी के साथ समापनकार्यक्रम के अंत में बियानी ग्रुप की ओर से सभी बच्चों को फूड पैकेट, स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक वितरित किए गए। बच्चों ने इस अवसर का भरपूर आनंद लिया और दिवाली की खुशियों को सभी के साथ साझा किया।यह पहल न केवल बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लेकर आई, बल्कि समाज के प्रति कॉलेज की संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बनी।

    1.8 करोड़ की फंडिंग के साथ जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी बनी राजस्थान के स्टार्टअप रिवॉल्यूशन का लॉन्चपैड टियर-2 और टियर-3 शहरों में इनोवेशन को मिले पंख, जेईसीआरसी-मेइटी साझेदारी ने गढ़ी नई एंटरप्रेन्योरशिप कहानी

    जयपुर। राजस्थान के स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के इनक्यूबेशन सेंटर (जेआईसी) ने भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मेइटी) के स्टार्टअप हब के सहयोग से राज्य में सबसे बड़ी फंडिंग पहल की घोषणा की है। इस सहयोग के तहत राजस्थान के 12 होनहार स्टार्टअप्स को कुल ₹1.8 करोड़ की फंडिंग प्रदान की जाएगी।राजस्थान के टियर-2 और टियर-3 शहरों में एंटरप्रिन्योरशिप को नया आयामइस पहल का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के छोटे और मझोले शहरों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। जेआईसी ने पहली बार 'जेनेसिस' और 'टाइड' जैसी प्रतिष्ठित सरकारी योजनाओं को राज्य स्तरीय तकनीकी विश्वविद्यालय में लॉन्च किया, जो उभरते एंटरप्रिन्योर्स को शार्क टैंक जैसी प्रतियोगी क्षमता वाले मंच प्रदान करता है।मल्टी लेवल फंडिंग से स्टार्टअप्स को मिलेगा विकास का पूरा सहयोगइस कार्यक्रम के अंतर्गत स्टार्टअप्स को उनके विकास के विभिन्न चरणों के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी:• टाइड 2.0 के तहत 4 स्टार्टअप्स को ₹7 लाख का ग्रांट मिलेगा।• 'जेनेसिस' कार्यक्रम के माध्यम से शुरुआती आइडिया (ईआईआर) के लिए ₹10 लाख तक, एमवीपी चरण (पायलट) के लिए ₹40 लाख तक और स्केल-अप (इन्वेस्टमेंट) के लिए ₹50 लाख तक फंडिंग प्रदान की जाएगी।लाभार्थियों में इंडिविजुअल इनोवेटर्स और डीपीआईआईटी रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स शामिल हैं, जिनमें कम से कम 51% भारतीय ओनरशिप हो।जेआईसी का पिछले पांच वर्षों में योगदानपिछले पांच सालों में जेआईसी ने 80 से अधिक स्टार्टअप्स को 8 करोड़ से अधिक की फंडिंग प्रदान की है। इसमें को–वर्किंग स्पेस, निवेशक कनेक्ट, पायलट कनेक्ट और इंडस्ट्री कनेक्ट जैसी फैसिलिटीज भी शामिल हैं। यह पहल केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों के एंटरप्रिन्योरियल इकोसिस्टम को सशक्त बनाकर राजस्थान के स्टार्टअप्स को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में भी सहायक है।भविष्य की दिशा और अवसरजेआईसी का यह कदम राजस्थान के स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर और विकास के रास्ते खोल रहा है। इससे न केवल युवा उद्यमियों को अपनी तकनीकी और व्यावसायिक प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा, बल्कि राज्य के टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी इननोवेशन और रोजगार की नई लहर आने की संभावना है।

    राजस्थान नीट-यूजी तृतीय राउंड काउंसलिंग में 1860 अभ्यर्थियों की बढ़ोतरी, रजिस्टर्ड कैंडिडेट्स की संख्या पहुँची 17,758, एनआरआई कैटेगरी में भी उल्लेखनीय वृद्धि

    जयपुर। राजस्थान राज्य स्तरीय नीट-यूजी 2025 काउंसलिंग के अंतर्गत मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की 85 प्रतिशत राज्य कोटा सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। इसी क्रम में राजस्थान मेडिकल एंड डेंटल अडमिशन काउंसलिंग बोर्ड ने गुरुवार दोपहर तृतीय राउंड की मेरिट लिस्ट जारी की। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस राउंड में 1,860 अभ्यर्थियों की वृद्धि दर्ज की गई है।करियर काउंसलिंग विशेषज्ञ पारिजात मिश्रा के अनुसार, पहले राउंड में 14,452 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जबकि दूसरे राउंड में यह संख्या बढ़कर 15,898 हो गई थी। अब तीसरे राउंड में पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या 17,758 तक पहुँच गई है। गौरतलब है कि 24 अभ्यर्थियों ने पहले से रजिस्टर्ड होने के बावजूद तृतीय राउंड में पुनः पंजीकरण कराया है, जो इस बार की प्रक्रिया का एक दिलचस्प पहलू रहा।एनआरआई कैटेगरी में भी बढ़ी प्रतिस्पर्धाएनआरआई श्रेणी में भी अभ्यर्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पहले राउंड में जहां 154 एनआरआई कैंडिडेट्स पंजीकृत थे, वहीं दूसरे राउंड में यह आंकड़ा बढ़कर 178 और तीसरे राउंड में 205 तक पहुँच गया।इनमें से पहले राउंड में 59 उम्मीदवार राजस्थान से तथा 95 अन्य राज्यों से थे। तीसरे राउंड में यह अनुपात बढ़कर 68 राजस्थान निवासी और 137 आउटसाइड राजस्थान उम्मीदवारों तक पहुँच गया है। द्वितीय से तृतीय राउंड के बीच एनआरआई अभ्यर्थियों में 27 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।अब 19 अक्टूबर तक चलेगी चॉइस फिलिंग प्रक्रियापारिजात मिश्रा ने बताया कि तृतीय राउंड की चॉइस फिलिंग प्रक्रिया 19 अक्टूबर 2025 तक जारी रहेगी। उम्मीदवारों द्वारा सब्मिट की गई प्राथमिकताएँ उसी दिन शाम 5 बजे ऑटो-लॉक हो जाएँगी।राजस्थान मेडिकल एंड डेंटल अडमिशन काउंसलिंग बोर्ड द्वारा सीट अलॉटमेंट रिजल्ट 27 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया जाएगा।सारांश• प्रथम राउंड में रजिस्टर्ड उम्मीदवार: 14,452• द्वितीय राउंड में रजिस्टर्ड उम्मीदवार: 15,898• तृतीय राउंड में रजिस्टर्ड उम्मीदवार: 17,758• कुल वृद्धि (द्वितीय से तृतीय राउंड): 1,860 अभ्यर्थी• एनआरआई उम्मीदवारों में वृद्धि: 178 → 205

    ग्रामीण सेवा शिविरों से गांव-गांव तक पहुंचा शासन — कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने किया सुमेरपुर क्षेत्र के शिविरों का निरीक्षण

    पाली/सुमेरपुर। राज्य सरकार द्वारा आमजन को योजनाओं का लाभ उनके doorstep तक पहुंचाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे ग्रामीण सेवा शिविरों का गुरुवार को पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने पाली जिले के सुमेरपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत कोरटा और सलोदरिया में निरीक्षण किया। जनता तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करने पर बलमंत्री कुमावत ने दोनों ग्राम पंचायतों में आयोजित शिविरों में विभिन्न विभागों के काउंटरों का अवलोकन करते हुए अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने प्रत्येक विभाग की स्टॉल पर जाकर अधिकारियों और ग्रामीणों से संवाद किया तथा कहा कि—“राज्य सरकार की मंशा है कि हर योजना का लाभ अंतिम छोर तक पहुँचे और कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे।”उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ग्रामीणों की परिवेदनाएं गंभीरता से सुनें और उनका त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करें, ताकि वास्तविक लाभार्थियों को शीघ्र राहत मिल सके।पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की दिशा में कदमकुमावत ने कहा कि इन शिविरों के माध्यम से शासन और प्रशासन जनता तक सीधे जुड़ रहे हैं, जिससे पारदर्शिता और सुविधा दोनों सुनिश्चित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 16 विभागों को इन शिविरों से जोड़ा है, जहाँ न केवल योजनाओं की जानकारी दी जा रही है, बल्कि नागरिकों की लंबित समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया जा रहा है।मुख्यमंत्री की मंशा — आमजन को राहत और सुविधामंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्राथमिकता है कि नागरिकों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। इसलिए एक ही मंच पर सभी विभागों को समन्वय के साथ आमजन की सेवा में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि ये शिविर जनकल्याण की सरकार की संवेदनशीलता का प्रतीक हैं।जल जीवन मिशन और पशुपालन योजनाओं का निरीक्षणग्राम सलोदरिया में मंत्री ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत निर्माणाधीन 75,000 लीटर क्षमता की पानी की टंकी का निरीक्षण किया और अधिकारियों को गुणवत्ता बनाए रखते हुए समय पर कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कृषि और पशुपालन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए ग्रामीण अधिक से अधिक मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना का लाभ उठाएं। उन्होंने बताया कि इस योजना का पंजीकरण 1 अक्टूबर 2025 से प्रारंभ हो चुका है।कार्यक्रम के दौरान पशुपालकों को मंगला पशु बीमा योजना की पॉलिसी तथा ग्रामीणों को आवासीय पट्टे भी वितरित किए गए।ग्रामीणों से संवाद और सहभागितानिरीक्षण के दौरान मंत्री ने ग्रामीणों से सीधे संवाद किया और उन्हें शासन की विभिन्न योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि नागरिक अपने आस-पास के जरूरतमंदों को भी इन शिविरों तक लाएं ताकि वे सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो सकें।शिविरों में रही सक्रिय उपस्थितिकार्यक्रम में गजेन्द्र सिंह (सरपंच कोरटा), पूनम सिंह परमार (जिला उपाध्यक्ष), जोगाराम रोहिन, शेर सिंह (उप सरपंच कोरटा), परबत सिंह राणावत (सरपंच सलोदरिया), दुदाराम माली (उप सरपंच), महेंद्र सिंह, कालूराम कुम्हार (उपखण्ड अधिकारी), प्रमोद दवे (विकास अधिकारी पंचायत समिति), दिनेश आचार्य (तहसीलदार) और खेमराज बेरवा (सहायक अभियंता, जलदाय विभाग) सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।शासन के निकट, जनहित के केंद्र बने शिविरइन ग्रामीण सेवा शिविरों ने शासन और जनता के बीच की दूरी कम कर एक जनोन्मुखी प्रशासन की मिसाल पेश की है। निरीक्षण के दौरान मंत्री कुमावत ने कहा कि ऐसे शिविर ही सुशासन और संवेदनशील सरकार की पहचान हैं, जहाँ “समाधान भी तुरंत और राहत भी सीधी” मिलती है।

    एमजीडी गर्ल्स स्कूल को शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाई — एजुकेशन वर्ल्ड रैंकिंग में जयपुर में प्रथम, देश में पाँचवाँ स्थान

    जयपुर। महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर ने एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता का परचम लहराया है। एजुकेशन वर्ल्ड इंडिया स्कूल रैंकिंग 2025–26 में एमजीडी गर्ल्स स्कूल को जयपुर में प्रथम, राजस्थान में द्वितीय और भारत में पाँचवाँ स्थान प्राप्त हुआ है। यह उपलब्धि स्कूल के सतत शैक्षणिक नवाचार, उत्कृष्ट शिक्षण पद्धतियों और छात्राओं के सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।राष्ट्रीय मंच पर जयपुर का नाम रोशननई दिल्ली में आयोजित भव्य पुरस्कार समारोह में प्रधानाचार्या प्रमेन्द्र खंगारोत ने यह सम्मान ग्रहण किया। समारोह में देशभर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। एमजीडी को यह रैंकिंग उसके शिक्षण की गुणवत्ता, छात्राओं के नेतृत्व कौशल, सामाजिक उत्तरदायित्व और समग्र विकास के मानकों पर उच्च प्रदर्शन के आधार पर प्रदान की गई।सामूहिक प्रयासों का परिणामस्कूल की डायरेक्टर अर्चना एस. मनकोटिया ने इस सफलता पर पूरी एमजीडी टीम को बधाई देते हुए कहा कि—“देश के शीर्ष पाँच स्कूलों में स्थान प्राप्त करना हमारे सामूहिक समर्पण, निरंतर उत्कृष्टता और सर्वांगीण शिक्षा के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उपलब्धि हमारे प्रत्येक शिक्षक, विद्यार्थी और अभिभावक के सहयोग से संभव हुई है।”“Our Utmost for the Highest” की ओर एक और कदमयह सम्मान न केवल एमजीडी परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह उसके आदर्श वाक्य ‘Our Utmost for the Highest’ को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की प्रेरणा भी देता है। विद्यालय प्रशासन का मानना है कि यह उपलब्धि छात्राओं को आगे बढ़ने, सीखने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रेरित करेगी।शिक्षा में उत्कृष्टता की नई परिभाषाएमजीडी गर्ल्स स्कूल लंबे समय से अपने अनुशासन, शैक्षणिक गुणवत्ता, सांस्कृतिक समृद्धि और आधुनिक शिक्षण दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। इस ताज़ा सम्मान ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि विद्यालय न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में महिला शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक बना हुआ है।

    राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का किया सम्मान

    जयपुर। राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) की ओर से आज राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का सम्मान समारोह उनके सरकारी आवास पर आयोजित किया गया। यह सम्मान उन्हें 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन (Commonwealth Parliamentary Conference), बारबाडोस में सफल भागीदारी के उपलक्ष्य में प्रदान किया गया।अंतरराष्ट्रीय मंच पर राजस्थान की गरिमा बढ़ाने पर अभिवादनकार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों और पदाधिकारियों ने देवनानी का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संसदीय मंच पर राजस्थान की लोकतांत्रिक परंपराओं और भारतीय संसदीय प्रणाली की विशिष्टता को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है। उनकी इस सहभागिता ने राज्य का गौरव बढ़ाया है।सम्मान समारोह में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की उपस्थितिइस अवसर पर प्रदेश मुख्य संरक्षक एवं प्रशासनिक अध्यक्ष सियाराम शर्मा, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल मीना, सभा अध्यक्ष (जयपुर) रामस्वरूप वर्मा, और जिला मंत्री (जयपुर) अमित कुमार मीना ने माला, साफा और शॉल ओढ़ाकर विधानसभा अध्यक्ष का सम्मान किया।प्रदेश महामंत्री नवीन शर्मा और प्रदेश प्रवक्ता मुकेश मीना ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान देवनानी ने बारबाडोस सम्मेलन में मिले अनुभव साझा किए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय लोकतंत्र की सकारात्मक छवि के प्रति अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया।लोकतंत्र की मजबूती में शिक्षकों की भूमिका पर विचारदेवनानी ने कहा कि शिक्षक समाज का बौद्धिक आधार हैं और लोकतंत्र की मजबूती में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने शिक्षक संघ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे संगठन समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता के संवाहक हैं।सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ आयोजनकार्यक्रम सौहार्द और सम्मान की भावना के साथ सम्पन्न हुआ। उपस्थित पदाधिकारियों ने कहा कि यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति का, बल्कि राजस्थान की शिक्षा और लोकतांत्रिक चेतना का भी प्रतीक है।इस अवसर ने शिक्षक समुदाय और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद और सहयोग की भावना को और प्रगाढ़ बनाया, साथ ही राज्य के लिए गर्व और प्रेरणा का नया अध्याय जोड़ा।

    शोध के नए आयामों से रूबरू हुई छात्राएं — कानोड़िया कॉलेज में “रिसर्च मेथाडोलॉजी” पर एकदिवसीय व्याख्यान आयोजित

    जयपुर। कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वावधान में “रिसर्च मेथाडोलॉजी” विषय पर एकदिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजुल भार्गव, पूर्व विभागाध्यक्ष (अंग्रेजी), राजस्थान विश्वविद्यालय रहीं।शोध प्रक्रिया को समझने पर रहा मुख्य फोकसअपने प्रेरक वक्तव्य में प्रोफेसर राजुल भार्गव ने शोध की मूल अवधारणा, उसके उद्देश्य और उसकी प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि शोध केवल तथ्यों की खोज नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, दृष्टिकोण और संवेदना का समन्वय है। वर्ड्सवर्थ, एमिली डिकिंसन और कूलरिज जैसे कवियों की रचनाओं के उदाहरण देते हुए उन्होंने रिसर्च टॉपिक के चयन, रिव्यू ऑफ लिटरेचर, डेटा कलेक्शन और विश्लेषण की विधियों को सरल भाषा में समझाया।शोध के प्रति रुचि बढ़ाने का प्रयासमहाविद्यालय की निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में यह आयोजन छात्राओं में शोध के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया। प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने बताया कि यह व्याख्यान छात्राओं को अकादमिक शोध की दिशा में प्रेरित करने वाला रहा। उन्होंने कहा कि शोध किसी भी विषय में गहराई से सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करता है, जो आज के प्रतिस्पर्धी युग में अत्यंत आवश्यक है।संवाद और सहभागिता से समृद्ध हुआ सत्रकार्यक्रम के दौरान छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर मुख्य वक्ता ने विस्तार से दिया। इस संवादात्मक सत्र ने छात्राओं की समझ को और गहरा किया तथा उन्हें शोध के प्रति अधिक सजग और प्रेरित किया। लगभग 75 छात्राओं ने इस व्याख्यान में सक्रिय भागीदारी निभाई।आयोजन का संचालन और सहयोगकार्यक्रम में मुख्य वक्ता का स्वागत अंग्रेजी विभागाध्यक्ष (यूजी) डॉ. प्रीति शर्मा ने किया। सेंटर की संयोजक डॉ. रितु जैन, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष (पीजी) डॉ. स्वाती धनवानी तथा विभाग की अन्य प्राध्यापिकाएं भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। सत्र का संचालन छात्राओं श्रेया शर्मा और नताशा चांदवानी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्राध्यापिका ऋषिता शर्मा ने प्रस्तुत किया।इस एकदिवसीय व्याख्यान ने छात्राओं को शोध की गहराई, उसकी प्रक्रिया और शैक्षणिक अनुशासन के महत्व से अवगत कराया। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि “ज्ञान का सबसे सुंदर रूप वही है, जो प्रश्न पूछने और उत्तर खोजने की प्रक्रिया में विकसित होता है।”

    छात्राओं ने सीखी जीवन बचाने की कला — कानोड़िया कॉलेज में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण सत्र संपन्न

    जयपुर। कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय के बेसिक लाइफ सपोर्ट सेंटर द्वारा एम्स, सत्यम तथा राजस्थान सड़क सुरक्षा विभाग के सहयोग से बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम National CPR Awareness Week (13–17 अक्टूबर) के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ। सत्र का उद्देश्य छात्राओं को आपात परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने हेतु प्रशिक्षित करना था।आपात स्थिति में जीवन रक्षक तकनीकों पर प्रशिक्षणप्रशिक्षण सत्र का नेतृत्व डॉ. दीपा चौहान और महिमा रामचंदानी ने किया। दोनों विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR), एयरवे मैनेजमेंट, और आपातकालीन प्रतिक्रिया तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने व्यावहारिक अभ्यास के माध्यम से दिखाया कि किसी व्यक्ति की सांस रुकने या दिल की धड़कन बंद होने पर किस प्रकार तुरंत सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।व्यावहारिक प्रदर्शन और सक्रिय सहभागितासत्र के दौरान छात्राओं को मैनिकिन्स पर सीपीआर के वास्तविक अभ्यास का अवसर दिया गया। प्रशिक्षकों ने यह भी बताया कि सड़क दुर्घटनाओं या किसी आकस्मिक स्वास्थ्य आपात स्थिति में समय पर दी गई प्राथमिक सहायता कितनी जीवनरक्षक साबित हो सकती है। इस प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों में आत्मविश्वास और त्वरित निर्णय क्षमता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी पहलयह प्रशिक्षण न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक सार्थक कदम था, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं के दौरान “पहले उत्तरदाता” बनने की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। कार्यक्रम ने इस बात पर बल दिया कि समाज के प्रत्येक सदस्य को जीवनरक्षक कौशल सीखना चाहिए ताकि संकट के क्षणों में किसी की जान बचाई जा सके।प्रमाणपत्र वितरण और निष्कर्षसत्र के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। प्रतिभागी छात्राओं ने इस अनुभव को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। महाविद्यालय प्रशासन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम छात्राओं को न केवल सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराते हैं, बल्कि उन्हें संवेदनशील और सक्षम नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करते हैं।इस प्रकार, बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण सत्र ने छात्राओं को “हर पल मदद के लिए तत्पर” रहने की भावना से ओतप्रोत किया और यह संदेश दिया कि समय पर दी गई सही सहायता किसी की ज़िंदगी बचा सकती है।